जेकेलोन में एक बेड पर तीन- तीन बच्चों का करना पड़ रहा इलाज

मौसमी बीमारियों की मार, बच्चों से लेकर बडेÞ तक हो रहे बीमार, निमोनिया,डायरिया, बुखार और संक्रमण के मरीज बढ़े

जेकेलोन में एक बेड पर तीन- तीन बच्चों का करना पड़ रहा इलाज

शहर में हो रही लगातार बारिश के चलते वायरल इंफेक्शन और मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सबसे ज्यादा बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे है।

कोटा । शहर में हो रही लगातार बारिश के चलते वायरल इंफेक्शन और मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। सबसे ज्यादा बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे है। जेकेलोन में निमोनिया,डायरिया, बुखार, वायरल फीवर के मरीज ज्यादा आ रहे है। ओपीडी से लेकर आईपी सभी जगह मरीज फुल चल रहे है। आईपीडी में एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को लेटाकर इलाज किया जा रहा है। बारिश के मौसम में बच्चों उल्टी दस्त की शिकायत ज्यादा होती है। जेकेलोन अस्पताल में इन दिनों इसी प्रकार के मरीज ज्यादा आ रहे है।

एक बेड पर तीन तीन बच्चों का कर रहे इलाज
जेकेलोन अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अस्पताल में वायरल इंफेक्शन, उल्टी, दस्त के बच्चे ज्यादा भर्ती हो रहे है। मरीजों की संख्या ज्यादा होने और बेड कम होने से एक बेड पर तीन बच्चों को लेटाकर इलाज किया जा रहा है।

बीमारियों से बच्चे को बचा कर रखें परिजन
नवजात बच्चों को मां के दूध के अलावा गर्म और सुपाच्य भोजन ही परोस्ोंं और साफ कपड़े पहनाएं।  रोजाना बदल रहे मौसम में सावधानी नहीं बरतने से बच्चे हों या वयस्क बीमार हो रहे हैं। ऐसे में माता व पिता को बच्चों का विशेष ध्यान रखना होगा, ताकि उन्हें बीमारियों से बचाया जा सके।  दूसरी ओर कोरोनकाल में यदि बच्चे सर्दी, जुखाम, बुखार आदि से पीड़ित हो रहे हैं तो परिजनों के साथ-साथ अब चिकित्सकों के मन में सबसे कोरोना की बात आ रही है। लेकिन इसमें डरने की बात नहीं है और सही इलाज, दवाएं व देखभाल से आप अपने बच्चों को बीमारियों से दूर रख सकते हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमृता मंयकर ने बताया कि  मौसम बदला लेकिन अभिभावकों बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्हें पूरा कपड़ा नहीं पहनाने की वजह से ठंड लग जाती है और सर्दी-खांसी व बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। बच्चों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। शीघ्र इलाज नहीं करवाने पर निमोनिया होने की संभावना होती है।

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बढ़ती है एलर्जी
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अमृता मंयकर ने बताया कि बच्चों को पूरा कपड़ा पहनाएं, सुबह नहीं टहलाएं, धूप निकलने पर भी घर से बाहर लाएं, रात में पंखा नहीं चलाए और हल्की चादर बच्चों को ओढ़ाएं। मौसम बदलने से जिन लोगों को एलर्जी है वह बीमार होने लगते हैं। इसमें सर्दी, खांसी बुखार आदि होने लगता है। अभी के मौसम में हर घंटे बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सुबह में हल्की ठंड, दोपहर में तेज गर्मी, शाम में उमस और रात में बारिश होती है। जिसके कारण तापमान में उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। जिसमें बच्चे सबके जल्दी बदलते एलर्जी की चपेट में आ जाते हैं। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। गंजी या बिना कपड़ा के खुले बदन में शाम या सुबह घर से निकलना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए साफ व पूरा कपड़ा पहने। साथ ही फ्रिज या कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं कराएं।

बच्चों को न दें बाहरी सामान
बच्चों के लिए सही और संतुलित आहार चावल, दाल, हरी सब्जी और फल है। लेकिन छह माह से एक वर्ष तक के बच्चों को पेस्टनुमा मुलायम भोजन दें, ताकि उसे निगलने में कोई परेशानी नहीं हो। छोटे बच्चों को छोटा टॉफी कैंडी आदि नहीं दें। इसके फंसने का भय रहता है। एक साल से कम के बच्चों को मां का दूध बहुत जरूरी है। वहीं, छह माह से अधिक के बच्चों के हमेशा ताजा व हल्का गर्म भोजन ही परोसे। बच्चों को साफ बर्तन में भोजन दें। एलर्जी की शिकायत वाले बच्चों को धूल और धूप से बचाकर रखें। बीमार होने की स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर के पास बच्चों को ले जाएं ताकि समय पर उनका इलाज किया जा सके।
- डॉ. अमृता मंयकर, शिशुरोग विभाध्यक्ष जेकेलोन अस्पताल

अस्पताल में इन दिनों मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या में कुछ वृद्धि हुई है। सभी मरीजों का इलाज किया जा रहा है। पर्याप्त बेड है। सभी मरीजों का बेहतर इलाज किया जा रहा है। हाउसफूल जैसी स्थिति नहीं है।
- डॉ. एच एल मीणा, अधीक्षक जेकेलोन अस्पताल कोटा

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