
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के आवास पर छापे, जानकारी को सार्वजनिक करने से भारी क्षति की आशंका
विभाग हलफनामे के विवरण का खुलासा नहीं करना चाहता
शुक्रवार को जारी वारंट के अनुसार पाम बीच स्थित संपत्ति से आठ अगस्त को तलाशी में गोपनीय फाइलों के ग्यारह सेट बरामद हुए थे। कई समाचार संगठनों ने वारंट प्राप्त करने के लिए आवश्यक सबूत वाले अदालती दस्तावेज को सार्वजनिक करने के लिए याचिका दायर की है।
वाशिंगटन। अमेरिका के न्याय विभाग ने कहा कि पिछले हफ्ते पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित आवास पर छापेमारी के लिए जारी वारंट की जानकारी सार्वजनिक करने से इसकी जांच को भारी क्षति हो सकती है।
बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया कि विभाग हलफनामे के विवरण का खुलासा नहीं करना चाहता है। अमेरिका की प्रमुख जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के एजेंटों ने मार-ए-लेगो स्थित रिपब्लिकन नेता आवास पर सरकारी रिकॉर्ड को गलत तरीके इस्तेमाल को लेकर छापेमारी की थी। यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार है की जब किसी पूर्व राष्ट्रपति के आवास पर आपराधिक जांच के दौरान छापा मारा गया हो।
शुक्रवार को जारी वारंट के अनुसार पाम बीच स्थित संपत्ति से आठ अगस्त को तलाशी में गोपनीय फाइलों के ग्यारह सेट बरामद हुए थे। कई समाचार संगठनों ने वारंट प्राप्त करने के लिए आवश्यक सबूत वाले अदालती दस्तावेज को सार्वजनिक करने के लिए याचिका दायर की है। लेकिन अभियोजकों ने सोमवार को इस याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि इस कदम से चल रही आपराधिक जांच को महत्वपूर्ण और अपूरणीय क्षति होगी। उन्होंने यह भी कहा कि हलफनामे को सीलबंद रखना चाहिए क्योंकि जांच में अत्यधिक गोपनीय दस्तावेज शामिल है।
सोमवार को ट्रम्प ने कहा कि एफबीआई छापे के दौरान उनके तीन पासपोर्ट ले गई। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक प्रतिद्वंदी पर हमला है।
अदालती फाइलिंग में अभियोजकों ने अदालत को बताया कि एफबीआई के खिलाफ धमकियों के मद्देनजर हलफनामे को सार्वजनिक नहीं किया जाए।अदालत की फाइलिंग में कहा गया है- गवाहों के बारे में जानकारी विशेष रूप से संवेदनशील है। इस मामले की हाई-प्रोफाइल प्रकृति का होने से गवाहों की पहचान का खुलासा होने का खतरा है जोकि जांच में सहयोग करने की उनकी इच्छा को प्रभावित करेगा।
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