बाल सत्र : परीक्षाओं में भाई-भतीजावाद और प्रदेश में नेटबंदी का मुद्दा सदन में गूंजा

बाल सत्र : परीक्षाओं में भाई-भतीजावाद और प्रदेश में नेटबंदी का मुद्दा सदन में गूंजा

राजस्थान विधानसभा में उठे ज्वलंत मुद्दे तो हंगामा-वॉकआउट भी हुआ : कई नेताओं के पोते-पोती, दोहिते भी दिखे मंत्री, विधायक की भूमिका में

जयपुर। राजस्थान विधानसभा के इतिहास में रविवार को पहली बार बाल सत्र का आयोजन हुआ। देश-प्रदेश के 200 बच्चे विधायक और मंत्रियों की भूमिका में विधानसभा पहुंचे। सदन में बच्चों को मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री और विधायक की भूमिका दी गई। बच्चों की सदन में बैठने की व्यवस्था भी उसी हिसाब से की गई। विधायक-मंत्रियों की भूमिका में मौजूद बच्चों में कई बच्चे कई विधायकों, मंत्रियों और जजों तक के पोते-पोती और दोहिते-दोहिती थे। विधानसभा में सदन की अधिकारी दीर्घा में मंत्री और विधायक मौजूद रहे। सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और राष्टÑमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के सचिव संयम लोढ़ा मौजूद रहे।

जातिवाद और धर्म के नाम पर राजनीति देशहित में नहीं: गहलोत

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भावी पीढ़ी और आगामी पीढ़ी को इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि छुआछूत और जातिवाद से दूर रहकर भाईचारा अपनाना होगा, तभी देश आगे बढ़ेगा। जातिवाद और धर्म के नाम पर राजनीति देश हित में नहीं है। इस देश का संविधान सभी को बराबरी का हक देता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में आज भी अनेकता में एकता है। लाखों लोगों की कुर्बानी से हमें आजादी मिली। देश-प्रदेश में लम्बे समय तक कांग्रेस का राज रहा है। संविधान की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस की सरकारों ने राज किया है। बाल सत्र के आयोजन पर गहलोत ने विधानसभा स्पीकर जोशी को बधाई दी।


नीति बनाते समय बच्चों की बात भी सुनी जाए: जोशी

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि हमें बच्चों की मन की बात सुनकर उनके हिसाब से नीतियां बनाने पर सोचना होगा। बच्चों से यह पूछा जाना चाहिए कि वे किस तरह की सरकार चाहते हैं। हमारे संसदीय लोकतंत्र में चर्चा के बाद निर्णय होते हैं, इसके बाद भी यहां जेपी आंदोलन, अन्ना आंदोलन और किसान आंदोलन हो रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा यदि लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं करेंगे तो संसदीय लोकतंत्र कमजोर होगा। बाल सत्र में आए 200 बच्चों के मन की कल्पनाओं पर हमें विश्लेषण करना चाहिए।

भारत के लोकतंत्र ने दुनिया में हमारा मान बढ़ाया: कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बाल सत्र के आयोजन से विधानसभा में आज सदन का गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 70 साल में लोकतंत्र मजबूत हुआ है। सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन देश की जनता जो फैसला करती है, वह सबको मानना होता है। भारत के लोकतंत्र ने दुनिया में हमारा मान बढ़ाया है। उन्होंने बाल सत्र के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को धन्यवाद दिया।

प्रश्नकाल और शून्यकाल की कार्रवाई हुई

सदन की कार्रवाई में पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के बीच सवालों पर नोक झोंक हुई, आसन को इस दौरान हस्तक्षेप भी करना पड़ा। प्रतियोगी परीक्षाओं में नेटबंदी और भाई भतीजावाद का मुद्दा उठा और विधायकों ने जनता को परेशानी की बात रखी तो सत्तापक्ष के जबाव से विपक्ष के विधायक असंतुष्ट नजर आए और सदस्यों ने हंगामा कर दिया। कुछ सवालों के सत्तापक्ष की तरफ से जबाव नहीं आने पर विपक्ष ने एक बार वॉकआउट भी किया। सदन की कार्रवाई के दौरान प्रश्नकाल और शून्यकाल में हंगामा और नोक झोंक हुई। 

विधायकों ने ये मुद्दे उठाए:
बाल सत्र के दौरान विधायक बने बच्चों ने बाल विवाह, दुष्कर्म, युवाओं में नशीले पदार्थ की बढ़ती लत, कोरोना, पानी, बिजली और बाल मजदूरी जैसे मुद्दे उठाए। तकरीबन 12 सवाल प्रश्नकाल में पूछे गए। बाल सत्र के लिए देशभर के 5500 बच्चों में से 200 बच्चे चुने गए थे, जो विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर सदन में बैठे।


गुजरात के हर्ष भाई पिपलिया बने मुख्यमंत्री:
बाल सत्र में गुजरात के हर्ष भाई पिपलिया राजस्थान के मुख्यमंत्री की भूमिका में नजर आए। इसके अलावा जान्हवी शर्मा विधानसभा अध्यक्ष और वैभवी गहलोत नेता प्रतिपक्ष बनी। बाल सत्र में कई मंत्री, विधायकों और जजों के दोहिते-दोहिती, पोते-पोती भी विधायक और मंत्री की भूमिका में नजर आए। सीएम गहलोत की पोती काश्विनी गहलोत को विधायक, जलदाय मंत्री बीडी कल्ला के पोते राघव कल्ला को कला संस्कृति मंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिवंगत भोमराज आर्य के दोहिते मनीष ढाका को विधायक बनाया गया। वित्त मंत्री बनाई गई अनुष्का राठौड़ के पिता जज हैं।

कानून बनाते समय संवाद की कमी चिंता का विषय
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि संसद और विधानसभा में कानून बनाते समय लम्बी चर्चा और संवाद का दौर कम होना हम सभी के लिए चिंता का विषय है। चर्चाओं से कई निष्कर्ष निकलकर सामने आते हैं। सहमति और असहमति हमारे लोकतंत्र की विशेष व्यवस्था है। मुद्दों पर सही चर्चा से सरकार का ध्यान आकर्षित होता है तो जनता में सही संदेश जाता है। लोकतंत्र में जनता की भी सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए। बाल सत्र में बच्चों ने देश और प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर संयमित, शालीनता और अनुशासन में चर्चा करके दिखाई है।  बिरला ने इस अवसर पर घोषणा करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा में हुए बाल सत्र की तर्ज पर हर विधानसभा में ऐसे आयोजन करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने बच्चों से वादा किया कि संसद की कार्रवाई शुरू होने के बाद वे बच्चों को कार्रवाई में शामिल करेंगे।



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