बच्चों को फुटबाल के गुर सिखा रहा है ला लीगा का फुटबॉल स्कूल

ला लीगा स्कॉलरशिप कार्यक्रम पर भी काम कर रहा है

बच्चों को फुटबाल के गुर सिखा रहा है ला लीगा का फुटबॉल स्कूल

भारत में ला लीगा की प्रतिनिधि आकृति वोहरा ने बताया कि उन्होंने भारत में अपना पहला फुटबॉल स्कूल 2018 में शुरू किया था। साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से उनके स्कूल के कामों पर भी असर पड़ा। इन स्कूलों की गतिविधियां अब फिर पटरी पर आ रही है।

नई दिल्ली। फुटबॉल के क्षेत्र में कोसों पिछड़े भारत में इस खेल का स्तर ऊपर करने के लिए स्पेन का नामी फुटबाल संगठन 'ला लीगा' अपने फुटबॉल स्कूल के जरिये देश में कम से कम 20 जगह बच्चों को इस लोकप्रिय खेल के गुर सिखा रहा है।       

यूरोप, खास कर स्पेन में फुटबॉल संस्कृति व्यापक और गहरी है। इसी संस्कृति से प्रेरित स्पेन की यह शीर्ष फुटबॉल डिवीजन लीग भारत समेत कई देशों में युवा प्रतिभाओं के साथ काम कर रही है। ला लीगा अपने फुटबाल स्कूल की कई देशों में शाखाएं चला रही है जिसमें भारत भी शामिल है।

भारत में ला लीगा की प्रतिनिधि आकृति वोहरा ने बताया कि उन्होंने भारत में अपना पहला फुटबॉल स्कूल 2018 में शुरू किया था। साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से उनके स्कूल के कामों पर भी असर पड़ा। इन स्कूलों की गतिविधियां अब फिर पटरी पर आ रही है।

आकृति ने कहा, ''हम चीजों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। हमने 2018 में शुरुआत की थी लेकिन कोरोना के कारण हमारी योजनायें प्रभावित हुईं। हमने उस दौरान बच्चों के विकास के काम को रुकने नहीं दिया और वर्चुअल (वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग विधि) से फुटबाल की कक्षाएं आयोजित कीं। अब हम मैदान पर वापस लौट आये हैं और बच्चों के सानिध्य में उनके साथ काम कर रहे हैं।"       

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उन्होंने कहा कि भारत में ला लीगा स्कूल की उपस्थिति से युवाओं को खेल सीखने का अवसर तो मिलता ही है, साथ ही उनके लिये यूरोप की लीगों में पहुंचने के रास्ते भी आसान हो जाते हैं। ला लीगा के अडॉप्शन कार्यक्रम के तहत प्रतियोगिता में खेलने वाले क्लब इन स्कूलों को गोद ले सकते हैं और इनके संचालन में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। काडिज़ एफ़सी ने इस कार्यक्रम के तहत बीते मार्च ठाणे के टीएमसी टर्फ पार्क को गोद लिया है। आकृति को लगता है कि हालांकि भारत में फुटबॉल से जुड़ी संभावनायें बहुत ज्यादा हैं, भारतीय युवाओं को यूरोप तक पहुंचने के लिये बहुत लंबा सफर तय करना है।

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उन्होंने कहा, ''सच कहूं तो अभी भारतीय फुटबॉल में काफी काम करना बाकी है। सभी चाहते हैं कि भारतीय खिलाड़ियों को किसी यूरोपीय फुटबॉल लीग में खेलते हुए देखने का अवसर मिले। भारत के पास क्षमता है, लेकिन अभी हमें बहुत लंबा सफर तय करना है।"

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आकृति ने बताया कि ला लीगा अडॉप्शन जैसे कार्यक्रमों पर जोर दे रहा है। भारतीय स्कूलों के चुनिंदा प्रशिक्षुकों को स्पेन के स्कूलों के खिलाफ खेलने का अवसर दिया जाता है। साथ ही कई युवाओं की क्लब खिलाड़ियों से मुलाकात करवाई जाती है, जिससे वह खेल के नये आयामों को समझ सकें और नये अनुभव कर सकें।

आकृति ने बताया कि प्रशिक्षुकों को नये अनुभव कराने के लिये ला लीगा स्कॉलरशिप कार्यक्रम पर भी काम कर रहा है। इसके तहत हर साल चुनिंदा युवाओं को दो हफ्तों के प्रशिक्षण के लिये स्पेन भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि भले ही यह एक कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) परियोजना नहीं है, लेकिन ला लीगा का उद्देश्य भारतीय कौशल को चमकाना और विश्व मंच के लिये तैयार करना है। आकृति ने कहा कि यदि सरकार देशभर में प्रतिभाओं को तलाशने पर काम करना चाहती है, तो वह उनके साथ काम करने के लिये तैयार हैं।

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