न्यायिक जांच की रिपोर्ट के बाद सरकार ने मेयर सौम्या गुर्जर को हटाया
6 साल तक नहीं लड़ सकेंगी चुनाव
स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर को पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार कर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भेजा था, जिस पर मंजूरी मिलने के बाद आदेश जारी किए गए।
जयपुर। राजस्थान में सरकार ने न्यायिक जांच रिपोर्ट के बाद मंगलवार को नगर निगम जयपुर ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर को पद से बर्खास्त कर दिया है। स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर को पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार कर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भेजा था, जिस पर मंजूरी मिलने के बाद आदेश जारी किए गए। इसके साथ ही सौम्या को अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया है।
4 जून, 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में सौम्या गुर्जर, तत्कालीन नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच बैठक में विवाद हुआ था। इस दौरान बात इतनी बढ़ गई कि आयुक्त ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की का आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया।
सरकार ने सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रीय निदेशक को सौंप दी। जांच में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया। इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करा दी। इसके बाद 7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया। 1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी। इसके बाद 22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है।
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