
सतरंगी सियासत
यात्रा में राहुल गांधी रंग जमा रहे
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मरुधरा में आने वाली। उसके राज्य में रूट को लेकर किचकिच मची हुई। फिर राज्य में एक विधानसभा उपचुनाव भी। प्रदेश में सरकार एवं पार्टी के आंतरिक हालात से नेतृत्व वाकिफ।
अब उत्तर भारत...
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अब दक्षिण से उत्तर भारत में प्रवेश करने की तैयारी में। फिलहाल यह महाराष्ट्र में। उसके बाद मध्यप्रदेश और उससे आगे अपनी मरूधरा में। यात्रा में राहुल गांधी रंग जमा रहे। लेकर यात्रा के राजस्थान आने को लेकर राजनीतिक जानकारों की दिलचस्पी। क्योंकि राज्य की राजनीति खदबदाने का संकेत दे रही। लेकिन असल कहानी कुछ और। कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे। दक्षिण में तो ठीक से निपट गया। लेकिन राजनीतिक लिहाज से दक्षिण भारत के मुकाबले उत्तर काफी कुछ अलग। जहां यूपी जैसा प्रदेश भी। जिसमें राजनीतिक जागरूकता बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा मानी जाती। कांग्रेस यहां बीते तीन दशक से सत्ता का स्वाद नहीं चख पाई। ऐसे में उत्तर भारत को लेकर पार्टी अलग से रणनीति बना रही। खुद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी जुटे। अपने पायलट को भी बुलाया गया। शायद पार्टी ज्यादा उपयोग करे।
जी-20 की अगुवाई
एक दिसंबर- 2022 से भारत को जी-20 की अगुवाई मिलने जा रही। अब भारत अपने तरीके से इस संगठन के लिए काम करेगा। अगले साल से भारत में जी-20 देशों की विभिन्न बैठकें होंगी। दूसरी ओर, विपक्ष ने इसे ईवेंन्ट बताना भी शुरू कर दिया। विपक्ष ने ‘जी-20’ के लोगो में कमल का होने पर आपत्ति जता दी। जिस पर सरकार ने सफाई भी दी। असल में, मोदी सरकार इस अवसर को भारत की ब्रांडिंग करने के रुप में भी देख रही। सो, ईवेंन्ट तो होगा ही। सरकार पूरी पुख्ता योजना एवं प्रबंधन के साथ आगे बढ़ रही। इसीलिए पर्यटन के लिहाज से हर उस शहर में कोई न कोई आयोजन रख लिया गया। अपने उदयपुर एवं श्रीनगर समेत देशभर के विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की बैठकों का आयोजन होगा। हां, पारदर्शिता रखते हुए विपक्ष शासित राज्यों में भी बैठकें होंगी।
डबल डोज की तैयारी!
भाजपा ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल को डबल डोज देने की तैयारी में। केजरीवान ने जिस प्रकार से गुजरात में चुनावी प्रचार की शुरूआत की। तो उससे आप मौजूदगी दर्ज करवाती हुई दिख रही। इसी बीच, एमसीडी के चुनाव कार्यक्रम का एलान। चार दिसंबर को एमसीडी का मतदान होगा। और उसके अगले ही दिन गुजरात में दूसरे चरण का मतदान भी। इसी प्रकार सात दिसंबर को एमसीडी और आठ को गुजरात का विधानसभा चुनाव का परिणाम आएगा। माना जा रहा। गुजरात में भाजपा आगे। तो एमसीडी में भाजपा और आप टक्कर में। फिर कांग्रेस भी तो मैदान में। अब यदि दोनों ही चुनावों में आप पिछड़ी। तो भाजपा का आप को डबल डोज जैसा होगा। क्योंकि एमसीडी में कांग्रेस भी। वह गुजरात में भी प्रचार के मोर्चे पर ढीली नजर आ रही। वहीं, केजरीवाल गुजरात एवं एमसीडी में फंसे नजर आ रहे!
किसकी घेराबंदी?
राजस्थान सरकार के मंत्रियों एवं विधायकों की बयानबाजी में अचानक तेजी देखी जा रही। यह किसका संकेत? किसकी घेराबंदी और कौन कील कांटे दुरुस्त कर रहा? प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेन्द्र गुढ़ा, राजेन्द्र यादव, हरीश चौधरी, हरीश मीणा एवं दिव्या मदेरणा के बयान सुर्खियां बटोर रहे। जबकि राज्य सरकार और कांग्रेस संगठन भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियों में जोर शोर से मशगूल। वैसे भी भारत जोड़ो यात्रा के रूट को अंतिम रुप देने के मामले में काफी कुछ हो रहा। वहीं, तीन नेताओं को यात्रा की संचालन समिति से ऐन वक्त पर अलग करके संकेत दिया जा रहा। ऐसे में जिम्मेदार नेताओं के बयान पर बयान क्या बतला रहे? कहीं, ऐसा तो नहीं कि राहुल गांधी के राजस्थान में प्रवेश को एक अवसर के रुप में देखा जा रहा। ताकि उन तक अपनी बात पहुंचाई जा सके। या जिसे समाधान करना। वह सुन ले।
कुछ और तो नहीं?
अशोक गहलोत और सचिन पायलट की राजनीतिक अदावत कोई नई नहीं। यह 2018 के अंत में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही जारी। पहले प्रभारी अविनाश पांडे पर पक्षपात के आरोप लगे। और अब अजय माकन पर। माकन सीधे मानो ‘पार्टी’ बनते नजर आ रहे। इसीलिए जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए इस्तीफे की पेशकश कर दी। लेकिन बात यही या माजरा कुछ और? बताया जा रहा वह कुछ नेताओं पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज। लेकिन उनका काम रिपोर्ट तैयार कर नेतृत्व को देना। जिस पर निर्णय लेना नेतृत्व का काम। सो, माकन का इतना आग्रह क्यों? क्या आलाकमान उनके अनुसार निर्णय लेने के लिए बाध्य? क्या माकन आगे निकल गए? अब माकन की पेशकश के बाद आगे क्या? किसी को पता नहीं। लेकिन इससे भारत जोड़ा यात्रा एवं सरदारशहर उपचुनाव की तैयारियों पर फर्क पड़ेगा!
पंगा नहीं चाहिए!
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मरुधरा में आने वाली। उसके राज्य में रूट को लेकर किचकिच मची हुई। फिर राज्य में एक विधानसभा उपचुनाव भी। प्रदेश में सरकार एवं पार्टी के आंतरिक हालात से नेतृत्व वाकिफ। फिर प्रभारी अजय माकन का इस्तीफा भी चर्चा का विषय। हालांकि सब कुछ दुरूस्त तो भाजपा में भी नहीं। वहां भी सरकार के खिलाफ जनाक्रोश रैलियों में लगने वाला पोस्टर बहुत कुछ कह रहा। लेकिन बात भारत जोड़ो यात्रा। और उसके बहाने इधर उधर से चल रहे तीर। जिनसे नेतृत्व का चिंतित होना लाजमी। इसीलिए आलाकमान सतर्क एवं सजग। नेतृत्व की चिंता यह कि अब तक यात्रा शांतिपूर्ण ढंग से सुचारू तरीके से चल रही। जबकि राजस्थान तो कांग्रेस शासित प्रदेश। ऐसे में कुछ भी गड़बड़ हुई। तो काफी छिछालेदर होगी। इसीलिए बताया जा रहा। सब कुछ ‘होल्ड’ पर। किसी भी ओर से कोई पंगा नहीं चाहिए!
-दिल्ली डेस्क
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