कीर्तिमान स्थापित कर चुकी खिलाड़ियों को अपना आदर्श मानती है हमारी बैडमिंटन खिलाड़ी

बेटियों की इच्छा कि वे देश के लिए खेले -बैडमिंटन में भी नाम कमा रही हैं कोटा की बेटियां -प्रशिक्षक बोले मिले सरकारी सुविधाएं तो बहुत कुुछ कर सकती हैं लड़कियां

कीर्तिमान स्थापित कर चुकी खिलाड़ियों को अपना आदर्श मानती है हमारी बैडमिंटन खिलाड़ी

आज वक़्त बदल गया है। बेटियां खेलों में उतना ही नाम रोशन कर रही है जितना की बेटे करते थे। कोटा जिला बैडमिंटन संघ में भी अनेकों लड़कियां रोज अभ्यास करती है व अलग-अलग स्तर पे अपना व अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहीं हैं।

कोटा । यूं ही बेटियों पर नाज नहीं करते हैं हम, यूंही कन्याआें को शास्त्रों में माता स्वरूप माना गया है। किसी की कही इन पंक्तियों पर खरी उतरते हुए और पीवी सिंधु और साइना नेहवाल जैसी बैडमिंटन में देश का परचम फहरा चुकी महिला खिलाड़ियों को अपना आर्दश मानकर हमारे कोटा की बेटियां भी बैडमिंटन में ना केवल अपने शहर का बल्कि राज्य का भी नाम रोशन कर रही है। यहां की बेटियों को बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में तैयार करने वालों की माने तो भले ही खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से प्रैक्टिस के लिए कोई भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हो इसके बाद कभी खिलाड़ी का मनोबल नहीं टूटा हैं और वे निरन्तर अच्छा प्रदर्शन करती आई हैं। कुछ समय पहले तक जहां हम खेलों का नाम सुनते हैं, यही पूछते थे कि किसका बेटा जीतकर आया है लेकिन आज वक़्त बदल गया है। आज हमारी बेटियां खेलों में उतना ही नाम रोशन कर रही है जितना की बेटे करते थे। कोटा जिला बैडमिंटन संघ में भी अनेकों लड़कियां रोज अभ्यास करती है व अलग-अलग स्तर पे अपना व अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रहीं हैं। अंडर-13 में दीपशिखा शर्मा ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता जीतकर कोटा का नाम रोशन किया। रीतिका झामनानी भी इसी आयु वर्ग में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। यह दोनों जोशी शटलर अकादमी में अभ्यास करती हैं। इसी प्रकार 8 वर्षीय तुहिन बादल सिंघानिया बैडमिंटन हॉल में रोजाना तीन घंटे अभ्यास करती है और कोटा की शान बढ़ा रही है। 

वही गरिमा और संगम अपनी परीक्षाओं के साथ रोजाना अभ्यास करती है और जिला ही नहीं बल्कि राज्यस्तर पर भी अपना नाम रोशन कर रही है। वहीं वेदिका, अनन्या, लशकारा, अदिति ने राज्य स्तर के साथ-साथ स्कूल गैम्स व राष्ट्रीय स्तर पर भी खूब नाम कमाया है। यहां लड़कियों को बैडमिन्टन का प्रशिक्षण देने वाले बताते हैं कि आजकल माता-पिता का सहयोग भी काफी मिलने लगा है। वह अपने बच्चों को खेलों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। माता-पिता दूर-दूर से अपनी बेटियों को लेकर अभ्यास कराने लाते है व जब तक अभ्यास खत्म नहीं हो जाता तब तक बाहर ही उनका इंतजार करते है। कोटा जिला बैडमिंटन संघ ने भी इन बालिकाओं को इस खेल में पारंगत करने में कोई कसर नहीं रख रहा है। संघ की ओर से लड़कियों के अभ्यास करवाने के लिए तीन कोच लगा रखे हैं। ये कोच साक्षी श्रीवास्तव, मोहम्मद अजहर एवं अंकित अरोड़ा हैं जो यह बच्चों को नियमित कोचिंग दे रहे हैं। ये प्रशिक्षक कहते हैं कि लड़कियों को हमेशा खेल में भाग लेते रहना चाहिए। इससे उनके करियर को एक नई राह मिलती है और खेल में भाग लेने से आत्मविश्वास जागृत होता है। कोटा में सभी अकादमियों में 50-50 का बालक एवं बालिकाओं का अनुपात सामने आया है। सिंघानिया बैडमिंटन हॉल,15-20 लड़कियां, जोशी शटलर 10-15 लड़कियां, विजयवीर क्लब 13 तथा श्रीनाथपुरम में 1 लड़की नियमित रूप से अभ्यास कर रही है। 

इनका कहना हैं...
साइना नेहवाल और पीवी सिन्धु के इन खलों में कीर्तिमान स्थापित करने के बाद से ही लड़कियों में इस खेल को लेकर के्रज बढ़ा हैं। वर्तमान समय में स्कूल लेवल पर भी बच्चों को प्रमोट किया जा रहा है। माता-पिता बच्चों को पूरा सपोर्ट करते हैं। आने वाले समय में ऐसी आशा करते हैं कि कोटा के बच्चें राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करेंगे। राज्य सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। यदि कभी किसी प्रतियोगिता में उच्च स्थान प्राप्त करने के बाद प्रोत्साहन राशि भी मिलती है तो वो ना जाने कब आती हैं पता ही नहीं पड़ता है। 
-मोहम्मद अजहर, कोच, कोटा जिला बैडमिंटन संघ।   

चार साल से खेल रही हूं। बहुत अच्छा खेल लगता है। रोजाना करीब 4 घंटे अभ्यास करती हंू। मरी पै्रक्टिस का पढ़ाई पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। पीवी सिंधु को अपना आदर्श मानती हंू। माता-पिता का पूरा सहयोग मिलता हैं। देश का नाम अन्तराष्टÑीय स्तर पर ऊचा करना चाहती हंू। 
-रितिका झामनानी, बैडमिंटन खिलाड़ी।  

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भारत में क्रिकेट के बाद बच्चों में बैडमिंटन की लोकप्रियता बहुत बढ़ रही है। पिछले कुछ वर्षांे से बैडमिंटन बच्चों का पसंदीदा खेल बनता जा रहा हैं। बैडमिन्टन में खिलाड़ी के पूरे शरीर की कसरत होती है और स्टेमिना भी बढ़ती है। जिला बैडमिंटन संघ में भी लगभग 70 से अधिक बच्चे अभ्यास के लिए नियमित रूप से आ रहे हैं। इससे अधिक बच्चों को कम कोर्ट और समयाभाव के कारण नहीं ले सकते है। हॉल के पीछे खाली जमीन पर यदि सरकार के सहयोग से 4 कोर्ट का निर्माण हो जाए तो ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षण दे पाना संभव होगा। 
-आशीष माहेश्वरी, सचिव, कोटा जिला बैडमिंटन संघ।  

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कुछ सालों पहले पापा लेकर गए थे बैडमिंटन खिलाने के लिए तो खेल बहुत अच्छा लगा तभी से इस खेल में रूचि बढ़ी। भारत के लिए खेलना मेरा सपना है। माता-पिता का पूरा सहयोग मिलता है। पापा ने टेÑनिंग के लिए हैदराबाद आदि दूसरे शहरों में भी भेजा है। 
-अदिति शर्मा, बैडमिंटन खिलाड़ी। 

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