नाटक ‘बगिया बांछाराम की’ में दिखा प्रकृति प्रेम

मंचन रवीन्द्र मंच के मिनी थिएटर में हुआ

नाटक ‘बगिया बांछाराम की’ में दिखा प्रकृति प्रेम

राम सहाय पारीक निर्देशित नाटक एक गरीब वृद्ध किसान बांछाराम की धरती के प्रति प्रेम और संघर्ष की कहानी है। बांछाराम ने उम्र भर मेहनत करके अपनी बगिया को संजोए रखा है।

जयपुर। नाटक ‘बगिया बांछाराम की’ का मंचन रवीन्द्र मंच के मिनी थिएटर में हुआ। राम सहाय पारीक निर्देशित नाटक एक गरीब वृद्ध किसान बांछाराम की धरती के प्रति प्रेम और संघर्ष की कहानी है। बांछाराम ने उम्र भर मेहनत करके अपनी बगिया को संजोए रखा है। वह महज आजीविका के लिए पेड़-पौधे नहीं उगाता। उसका धरती के प्रति श्रद्धा व प्रेम उसकी मेहनत के मूल में छिपी है। इस हरे-भरे बाग को कई लोग हड़पना चाहते हैं। गांव का पूर्व जमींदार छैकोड़ी इसी बाग की आस मन में लिए मर गया और अब भूत बनकर इसी बाग में रहता है। उसका बेटा नौकोड़ी अपने सहयोगी मुख्तार के साथ बगीचे को हथियाने की नई साजिश रचता है। इसी के ईद-गिर्द नाटक की कहानी घूमती है। इस नाटक में जहां एक ओर बांछा के प्रकृति प्रेम व जीने की इच्छा-शक्ति का चित्रण है, वहीं दूसरी ओर सामंतवादी दुष्चक्रों व धरती को व्यापार का साधन बनाने की मानसिकता व उपभोगवादी संस्कृति भी परिलक्षित होती है। इस पूरे कथानक को लेखक ने बहुत सुंदरता से हास्य के ताने-बाने से बुना है।

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