पॉक्सो के तहत जयपुर जिले में पहली बार फांसी के आदेश : ‘इस दरिंदे को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाओ जब तक इसकी मौत नहीं हो जाती’

पॉक्सो के तहत जयपुर जिले में पहली बार फांसी के आदेश : ‘इस दरिंदे को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाओ जब तक इसकी मौत नहीं हो जाती’

‘फूल जैसी बच्ची की मानसिक और शारीरिक स्थिति क्या रही होगी और वह दुष्कर्म के दौरान किस सीमा तक तड़पी होगी’

 जयपुर। जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नरेना थाना इलाके में 11 अगस्त 2021 को साढेÞ चार साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने वाले अभियुक्त सुरेश कुमार बलाई को पॉक्सो अधिनियम की धारा 5/6 और आईपीसी की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने अभियुक्त पर तीन लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

ट्रायल के दौरान चेहरे पर शिकन तक नहीं
अदालत ने कहा कि अभियुक्त को पहली बार रिमांड पर भेजते समय से लेकर आज तक उसके चेहरे पर पश्चाताप के भाव नहीं है। उसे देखने से कभी नहीं लगा कि उसे अपने कृत्य पर लेश मात्र भी पछतावा हो। सजा के बिन्दु पर सुनवाई के दौरान भी अभियुक्त ने वकील के कहने पर माफी मांगी है, जिससे जाहिर है कि उसने अपनी इच्छा से माफी नहीं मांगी है।

एफएसएल ने राख से निकाला डीएनए,
जो सजा में बना अहम सबूत

दुष्कर्म प्रकरण में एफएसएल ने अहम साक्ष्य जुटाए थे। एफएसएल के निदेशक अजय कुमार शर्मा ने बताया कि 16 अगस्त 2021 को डीएनए परीक्षण के लिए सैम्पल लिए। तीन दिन में जांच के लिए गठित टीम ने रिपोर्ट दे दी। प्रकरण में मृतका के स्कर्ट, वेजाइनल स्वाब, स्मीयर एवं एनल स्वाब, स्मीयर पर पाए गए मानव वीर्य के डीएनए का मिलान मुल्जिम के डीएनए से पाया गया। इसके अलावा चड्डा व जले हुए कपड़ों की राख पर रक्त की मौजूदगी पाई गई, जिसका मिलान मृतका के डीएनए से पाया गया।

एक पशु भी नहीं कर सकता ऐसा कृत्य
पीठासीन अधिकारी संदीप कुमार शर्मा ने अपने आदेश में कहा कि 25 वर्षीय अभियुक्त ने बच्ची के साथ इतनी बर्बरता की है, वह सामान्यत: किसी पशु द्वारा भी किए जाने की कल्पना नहीं की जा सकती। इतने छोटे बच्चे को कांटा चुभने पर ही कितनी पीड़ा होती है तो घटना के समय फूल जैसी बच्ची की मानसिक और शारीरिक स्थिति क्या रही होगी और वह दुष्कर्म के दौरान किस सीमा तक तड़पी होगी। अदालत ने कहा कि जिस बच्ची को सिर्फ खाने, पीने और सोने के अलावा कोई समझ नहीं थी, अभियुक्त ने उसके साथ ऐसा अपराध किया और साक्ष्य मिटाने के लिए उसे पानी की तलाई में फेंक कर हत्या कर दी। अभियुक्त ने अकल्पनीय वासना के वशीभूत होकर हैवानियत की हद पार कर न केवल उसके साथ दुष्कर्म किया बल्कि इस हद तक अप्राकृतिक कृत्य किया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।

क्या है मामला
विशेष लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत और विजया पारीक ने बताया कि परिवादी ने गत 12 अगस्त की सुबह रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी साढे चार साल की बेटी बीती रात पड़ोस में गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। वहीं थोड़ी देर बाद पुलिस को सूचना मिली की एक बच्ची की लाश तलाई में तैर रही है। इस पर बच्ची के शव की शिनाख्त कराई तो वह लापता हुई बच्ची का ही निकला। शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया कि हत्या पूर्व उसके साथ दुष्कर्म व अप्राकृतिक कृत्य भी किया गया था। इस पर पुलिस ने अलग-अलग टीम बनाकर अनुसंधान किया और 13 अगस्त को अभियुक्त को गिरफ्तार कर 25 अगस्त को उसके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश कर दिया। अभियोजन पक्ष की ओर से 41 गवाहों के बयान दर्ज कराने के साथ ही 139 दस्तावेज भी अदालत में पेश किए गए।

अब आगे क्या
ट्रायल कोर्ट की ओर से अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाने के बाद सीधे फांसी नहीं दी जाती। अभियुक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर सकता है, लेकिन यदि अभियुक्त अपील नहीं भी करे तो मामला फिर भी हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाता है। राज्य सरकार ट्रायल कोर्ट के फैसले की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में डेथ रेफरेंस पेश करती है। हाईकोर्ट डेथ रेफरेंस पर सभी पक्षों को सुनकर फैसला देता है। वहीं यदि अभियुक्त भी मामले में अपील करता है तो डेथ रेफरेंस और अपील पर एक साथ सुनवाई होती है। सुप्रीम कोर्ट में अपील और राष्टÑपति के पास दया याचिका भी पेश की जा सकती है।

पानी से निकाला था शव
प्रकरण में मृतका का शव पानी से बरामद हुआ था। यहां से राखनुमा जले एवं भीगे हुए कपड़ों के अवशेष को पानी से छानकर निकाला गया था। इनमें से एफएसएल टीम ने डीएनए निकाला। ये सबूत मुल्जिम को फांसी तक पहुंचाने में अहम साक्ष्य बने।

आरोपी को पकड़ने के लिए लगे थे 700 पुलिसकर्मी
दुष्कर्मी को पकड़ने के लिए 700 पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने दिन-रात कड़ी मशक्कत कर गिरफ्तार किया था। डीजीपी एमएल लाठर ने बताया कि मासूम बच्चियों के बलात्कार करने के मामलों में पोक्सो के तहत पूर्व में चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। यह पांचवां आरोपी है। आरोपी सुरेश कुमार को पकड़ने के लिए एसआईटी का गठन किया गया था।

इस मामले में कोविड की मुश्किलों के बावजूद केस आॅफिसर स्कीम के तहत आठ कार्य दिवस में चालान पेश किया गया था। आज अभियुक्त को फांसी दी गई। मामले में एसपीपी नियुक्त किया गया था। हमारी सरकार के कार्यकाल में सात दोषियों को फांसी और 123 से अधिक को उम्रकैद दी गई है। पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करना हमारा ध्यैय है।
-अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री (फैसला आने के बाद किया ट्विट)

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