
खाद दिवस पर अभियान का ढोंग, मिलावटखोरों के हौंसले बुलंद : राठौड़
प्रोत्साहन राशि देने में भी अमानक व अनसेफ श्रेणी के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है
राठौड़ ने कहा कि बजट 2022-23 के पैरा 69 में NFSA पात्रता सूची में जोड़ने की दृष्टि से 31 जनवरी 2022 तक शेष परिवार में 10 लाख नये परिवार जोड़ने की घोषणा की, उस घोषणा का कोई अता-पता नहीं है।
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाने का ढोंग रच रही है जबकि प्रदेश में मिलावटखोरों के हौसले इस कदर बुलंद है कि वे जनता की सेहत के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहे हैं और जिम्मेदार मौन है। यदा-कदा अभियान चलाने से मिलावटखोर भी इसे महज खानापूर्ति मानकर मिलावटी खाद्य सामग्रियों का अपना धंधा बेरोकटोक चला रहे हैं।
राठौड़ ने कहा कि बजट 2022-23 के पैरा 69 में NFSA पात्रता सूची में जोड़ने की दृष्टि से 31 जनवरी 2022 तक शेष परिवार में 10 लाख नये परिवार जोड़ने की घोषणा की, उस घोषणा का कोई अता-पता नहीं है लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद 17.80 लाख लोगों के नाम जरूर खाद्य सुरक्षा से जांच के नाम पर हटाये है। वहीं कांग्रेस सरकार के नीतिगत दस्तावेज जन घोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 14 के बिन्दु संख्या 2 में खाद्य सुरक्षा योजना के सभी वर्गों के गरीब पात्रताधारियों के लिए वर्तमान सरकार की सीमा 69% को बढ़ाकर 100% किए जाने का वादा भी धूलदर्शित साबित हुआ है।
राठौड़ ने कहा कि घोषणावीर मुख्यमंत्री जी ने साल 2020-21,2021-22 व 2022-23 के बजट भाषणों में प्रत्येक जिले में मोबाइल लैब की स्थापना करने, मिलावटी पदार्थों की जांच के लिए प्रत्येक जिले में अलग से लैब का गठन, मिलावटखोरों के विरुद्ध त्वरित कानूनी कार्रवाई हेतु फास्ट ट्रेक कोर्ट खोलने, 7 मोबाइल फूड सेफ्टी लैब खोलने, फूड सेफ्टी ऑफिसर के 100 नए पद सृजित करने और जिला स्तर पर फूड सेफ्टी एंड ड्रग कंट्रोल ऑफिस जैसी अनेकों घोषणाएं तो कर डाली लेकिन सारी घोषणाएं अधर में है। एक भी घोषणा ऐसी नहीं है जो सरकार ने पूर्ण की हो।
राठौड़ ने कहा कि विगत साल 2022 में खाद्य पदार्थों में मिलावट के 14000 सैंपल एकत्रित किए गए जिसमें 300 अनसेफ यानी जानलेवा श्रेणी के मिले थे। हैरानी की बात है कि राज्य की लैब में जो सैंपल अनसेफ मिले उसमें से 70% को रेफरल लैब में अमानक श्रेणी में बदल दिया गया। वहीं विगत 4 साल में करीब 34,525 फूड सैंपल एकत्रित किये गये जिसमें 5942 नमूने सब स्टैंडर्ड, 2479 नमूने मिसब्रांड, 764 नमूने अनसेफ पाये गये और 7342 नमूने न्याय निर्णय अधिकारी को प्रस्तुत किए।
राठौड़ ने कहा कि अनसेफ को अमानक श्रेणी में बदलने के खेल के कारण राज्य में मिलावटखोर बेखौफ होकर जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं क्योंकि अमानक श्रेणी में सैंपल आने के बाद दोषियों की अपराध की गंभीरता कम हो जाती है और वे महज पैनल्टी देकर छूट जाते हैं।
राठौड़ ने कहा कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान-मुखबिर योजना के तहत मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने या विक्रय करने वाले के संबंध में सूचना देने वाले व्यक्ति को 51 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देने में भी अमानक व अनसेफ श्रेणी के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। एकत्रित किए गए सैंपलों को अनसेफ की बजाय अमानक बताने पर सूचना देने वालों को महज 5 हजार रुपये की राशि देकर इतिश्री कर दी जाती है।
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