
केन्द्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को मिला अखिलेश का साथ
सपा अध्यक्ष ने उनका साथ देने का भरोसा दिया
दिल्ली के सीएम ने कहा कि उन्हें पता है कि भाजपा सरकार इस अध्यादेश को लोकसभा में तो संख्या बल के लिहाज से पारित करा लेगी मगर राज्यसभा में अगर विपक्षी दल एकजुट हुए तो निश्चित रूप से यह प्रस्ताव गिर जाएगा।
लखनऊ। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात कर उनसे दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर केन्द्र सरकार के जारी एक अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा जिसे स्वीकार करते हुये सपा अध्यक्ष ने उनका साथ देने का भरोसा दिया।
केजरीवाल आज दोपहर चार्टड प्लेन से लखनऊ पहुंचे और हवाई अड्डे से उनका काफिला सपा के दफ्तर पहुंचा जहां पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनका स्वागत गर्मजोशी से किया। दोनों नेताओं के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुयी। इस मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मौजूद थे। बाद में दोनो नेताओं ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया।
दिल्ली के सीएम ने कहा कि केन्द्र सरकार दिल्ली में आप की चुनी हुयी सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है। वर्ष 2015 में आप ने दिल्ली में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी मगर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने तीन महीने बाद ही एक नोटीफिकेशन के जरिये सरकार की शक्तियां छीनने का प्रयास किया। इस नोटीफिकेशन के खिलाफ हमने अदालत में गुहार लगायी और आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद दिल्ली की जनता को आखिरकार इंसाफ मिला जब उच्चतम न्यायालय की पीठ ने पिछली 11 मई को अपने एक आदेश में कहा कि चुनी हुयी सरकार के पास सारी शक्तियां होनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली की आठ साल की लडाई का पटाक्षेप मात्र आठ दिनो में कर दिया जब 19 मई की रात केन्द्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर उच्चतम न्यायालय के फैसले का पलट दिया। केन्द्र की भाजपा सरकार ने एक सोची समझी रणनीति के तहत यह अध्यादेश उस रात जारी किया जब उच्चतम न्यायालय में अवकाश शुरू होने थे। उन्होने कहा कि वे कोर्ट खुलने के बाद सरकार के मनमाने फैसले के खिलाफ फिर गुहार लगायेंगे।
दिल्ली के सीएम ने कहा कि उन्हें पता है कि भाजपा सरकार इस अध्यादेश को लोकसभा में तो संख्या बल के लिहाज से पारित करा लेगी मगर राज्यसभा में अगर विपक्षी दल एकजुट हुये तो निश्चित रूप से यह प्रस्ताव गिर जायेगा क्योंकि राज्यसभा में भाजपा के 93 सदस्य हैं। उन्होने कहा कि सपा अध्यक्ष ने उन्हे समर्थन देने का भरोसा दिलाया है। यह लडाई सिर्फ दिल्ली की जनता की नहीं है बल्कि उन राज्यों की भी है जहां भाजपा अलोकतांत्रिक तरीके से मनमाने कार्य कर रही है। यदि भाजपा का यह अध्यादेश संसद में पारित नहीं होता है तो देश में भाजपा की कुरीतियों के खिलाफ अच्छा संदेश जायेगा जिसका परिणाम निश्चित रूप से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।
इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार दिल्ली सरकार के अधिकारों का हनन कर रही है जो अलोकतांत्रिक है। वास्तव में भाजपा सरकार को दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किये गये नेक काज रास नहीं आ रहे हैं। भाजपा अच्छी सोच और अच्छे कार्य करने वालों से घबराती है और यही कारण है कि केन्द्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर दिल्ली की जनता का अपमान किया है मगर सपा दिल्ली की जनता का साथ देगी और संसद में अध्यादेश का विरोध करेगी।
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि राजभवन भाजपा के मुख्यालय बन गये हैं जबकि गर्वनर भाजपा के स्टार प्रचारक की भूमिका निभा रहे हैं। इसका एक उदाहरण पंजाब है जहां के राज्यपाल ने पहले तो बजट सत्र की अनुमति प्रदान नहीं की और जब अदालत ने फटकार लगायी तो उन्होने कहा कि वह अपने अभिभाषण में आप की सरकार को मेरी सरकार कह कर संबोधित नहीं करेंगे।
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को लेकर पूछे गये एक सवाल पर दोनो नेताओं ने सीधी प्रतिक्रिया देने से बचते हुये कहा कि अलोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ समय आने पर मिल कर लडाई लडी जायेगी।
Related Posts

Post Comment
Latest News

Comment List