शिक्षा नगरी में नहीं चल रहा 10 रुपए का सिक्का

रिजर्व बैंक ने नहीं, लोगों ने ही कर दिया चलन से बाहर

शिक्षा नगरी में नहीं चल रहा 10 रुपए का सिक्का

बाजारों में दस रुपए के सिक्कों को लेकर आए दिन दुकानदार व ग्राहकों के बीच नोकझोक के हालात बने रहते हैं।

कोटा। पहले एक, फिर दो रुपया और अब 10 रुपए का सिक्का चलन से बाहर हो गया। इन सिक्कों को रिजर्व बैंक ने नहीं बल्कि शहर के ही छोटे-बड़े कारोबारियों ने चलन से बाहर कर दिया। राष्ट्रीय मुद्रा पर अफवाहों की ऐसी छाप पड़ी की उसका वजूद ही खतरे में पड़ गया। शिक्षा नगरी के बाजारों में दस का सिक्का दम तोड़ता नजर आ रहा है। हालात यह है कि शहर व ग्रामीण इलाकों में दस रुपए का सिक्का न तो दुकानदार ले रहे और न ही ग्राहक। सिक्कों को लेकर दुकानदार और उपभोक्ताओं के बीच नोकझोक होती है। इधर, प्रशासन व बैंकों द्वारा अफवाहों की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। नतीजन, दुकानदारों के पास दस के सिक्कों के ढेर लगे हुए हैं, जिन्हें बारां, बूंदी व झालावाड़ में चलाने पड़ रहे हैं।

कोटा में क्यों नहीं चल रहे सिक्के 
नवज्योति ने जिले में 10 रुपए के सिक्के न चलने की वजह तलाशने के लिए दुकानदारों व शहरवासियों से बात की तो एक-दो नहीं, बल्कि कई वजह सामने आई। कारोबारियों ने बताया कि कोटा में अफवाह है कि 10 रुपए का सिक्का चलन से बाहर हो गया है। वहीं, कुछ वर्षों पहले दिल्ली में नकली सिक्के बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। जिसमें सामने आया कि आरोपियों ने बड़ी मात्रा में सिक्के बनाए और बाजार में चला दिए। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह जाने बगैर ही बाजार में अफवाह आग की तरह फैल गई। इसके अलावा, सिक्कों की विभिन्न डिजाइन, थीम व आकार को लेकर भी लोगों में गलतफहमी है। होलसेल विक्रेता दिनेश नायक कहते हैं, राष्ट्रीय मुद्रा का सम्मान करते हैं, इसलिए कुछ मात्रा में सिक्के ले लेते हैं लेकिन ग्राहक लेते ही नहीं तो हम भी लेकर क्या करें। 

कोई लेता नहीं, तो हम क्यों ले
नवज्योति टीम जब विज्ञान नगर व गुमानपुरा मुख्य बाजार में इलेक्ट्रिक, किराना, स्टेशनरी, सब्जीमंडी, फल-फूट बेचने वाले दुकानदारों से बात की तो उन्होंने बताया कि जब होलसेल वाले हमसे दस रूपए के सिक्के नहीं लेते तो हम क्यों लें। हालांकि, हम एक-दो सिक्के तो ले लेते हैं, जब बदले में किसी दूसरे ग्राहक को देते हैं तो वे लेने से मना कर देते हैं। ऐसी स्थिति में दोबारा सिक्का लेने की हिम्मत नहीं होती। हाल ही में एक उपभोक्ता को राशन सामग्री देने के बाद छुट्टे पैसों में दस का सिक्का दिया तो बहस करने लगा। विवाद न बढ़े इसलिए हम सिक्के लेने से बचते हैं। 

हाड़ौती के तीनों जिलों में दौड़ रहे सिक्के
फल-फ्रूट विक्रेता अब्दुल रशिद बताते हैं, पिछले वर्ष उनके पास 4 किलो की मात्रा में 10 रुपए के सिक्के जमा हो गए थे। ग्राहक दे जाते हैं, बदले में लेने से इंकार करते हैं। वहीं, मंडी में होलसेल विक्रेता भी सिक्के लेने से मना करते हैं। सिक्कों की वजह से कई बार मंडी से बैरंग लौटना पड़ा। इसका असर गृहस्थी पर भी पड़ा। किराना दुकानदारों ने भी सिक्के नहीं लिए। ऐसे में इन सिक्कों को कई टुकड़ों में बारां, झालावाड़ व टोंक में चलाने पड़े। इतनी मुश्किलों के बाद सिक्के चलाए, अब फिर से सिक्के कैसे लूं। 

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113 सिक्के बूंदी में चलाए
किराना व्यवसायी प्रकाश मेहता ने बताया कि स्थानीय बाशिंदे पहचान के होते हैं, ऐसे में उनसे दस के सिक्के ले लेते हैं लेकिन उन पैसों को सैल्समेन व हॉलसेल वालों को देते हैं तो वह नहीं लेते। वहीं, बच्चे चीज खरीदने आते हैं तो उन्हें बदले में सिक्का देने पर वे सिक्का नहीं चलता यह कहते हुए लेने से मना करते हैं। हाल ही में दस-दस के 113 सिक्के बूंदी में जाकर चलाने पड़े। वहीं, लाइनों में लगने के झंझट व समय लगने के चलते बैंक नहीं जाते। बैंक व प्रशासन को ही हस्तक्षेप कर समाधान करना चाहिए। 

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दुकानदार व ग्राहकों के बीच होती कहासुनी 
बाजारों में दस रुपए के सिक्कों को लेकर आए दिन दुकानदार व ग्राहकों के बीच नोकझोक के हालात बने रहते हैं। दुकानदार सिक्के लेने से मना करते हैं तो कभी ग्राहक। ऐसे में दोनों के बीच तू तू-मैं-मैं बड़ी घटना की वजह न बन जाए, इसके लिए प्रशासन को पहल करते हुए लोगों की समझाइश कर जागरूक करना चाहिए। ताकि, बाजारों में फैल रही अफवाहों पर विराम लग सके।  

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एक हजार के सिक्के बैंक में कर सकते जमा
रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए सभी सिक्के वैध हैं और चलन में हैं। दुकानदार व ग्राहक रोजमर्रा के कार्यों में सिक्कों का लेनदेन करें। कोई भी व्यक्ति एक बार में एक हजार रुपए के सिक्के बैंक में जमा करवा सकता है। यह राशि स्वत: ही नोट में तब्दील होकर अकाउंट में जमा हो जाती है। शहरवासी जागरूक रहें और अफवाहों पर ध्यान न दें। किसी तरह की कोई समस्या हो तो नजदीकी बैंक में सम्पर्क कर सकते हैं। 
-संजय कुमार, मुख्य प्रबंधक, स्टेट बैंक आॅफ इंडिया

आरबीआई द्वारा जारी सभी सिक्के चलन में हैं। कोई दुकानदार सिक्के लेने से मना नहीं कर सकता। लीड बैंक मैनेजर को पाबंद कर समस्याओं का समाधान करवाएंगे। 
- ब्रजमोहन बैरवा, एडीएम सिटी

रिजर्व बैंक द्वारा जारी सिक्के कोई दुकानदार लेने से इंकार करता है और उसके खिलाफ शिकायत आती है तो पुलिस जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करेगी। 
-पवन जैन, एएसपी कोटा शहर
 
सिक्का लेने से इंकार तो कानूनी कार्रवाई
सिक्का निर्माण अधिनियम 2011 के तहत रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया द्वारा जारी किए गए सिक्कों के साथ छेड़छाड़ गंभीर अपराध माना गया है। यदि कोई व्यक्ति प्रचलित सिक्के को लेने से इंकार करता है तो उसके खिलाफ नजदीकी पुलिस थाने में परिवाद दिया जा सकता है। पहली बार में पुलिस समझाइश करती है, फिर भी सिक्के लेने से मना करने पर उसके विरूद्ध धारा 107 में मामला दर्ज कर कार्रवाई कर सकती है। आरबीई कई बार स्पष्ट कर चुकी है कि दस का सिक्का चलन में है, इसे बंद नहीं किया गया है, इसलिए लेने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद मना करते हैं तो यह भारतीय मुद्रा का अपमान है। संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। 
- विवेक नंदवाना, वरिष्ठ एडवोकेट कोटा

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