
बदबू से परेशान ग्रामीणों ने लिया मतदान बहिष्कार का निर्णय
बरसों से बस्ती के पास ही मृत मवेशी व जानवर तथा रोज का कचरा डाले जाने से परेशान हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने पूरे आबादी क्षेत्र मेें अलग-अलग जगह मतदान बहिष्कार के लगभग 50 बैनर टांग कर विरोध व्यक्त किया है।
सुल्तानपुर। सांगोद विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर के दीगोद कस्बे में कई वर्षों से कोटा-श्योपुर स्टेट हाइवे के दोनों ओर रिहायशी बस्ती के समीप मृत मवेशी और कस्बे का दैनिक कचरा डालने की समस्या से परेशान होकर कस्बे वासियों ने इस बार 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। कस्बे वासियों ने इस समस्या के संदर्भ में बताया कि विगत 3-4 वर्षों से स्थानीय प्रशासन व जन प्रतिनिधियों से लगातार गुजारिश करने के बाद भी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। बस्ती के समीप ही सड़क के दोनों ओर मृत मवेशी और कस्बे का दैनिक कचरा डाले जाने से गंदगी और दुर्गंध से आसपास रहने वालों का जीना दुश्वार हो गया है।
मजबूर होकर उठाना पड़ा कदम
ग्रामीणों ने बताया कि जब किसी ने भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो पीड़ित कस्बे वासियों को अपनी पीडा संबंधितों तक पहुंचाने के लिए यह कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा। ग्रामीणों ने पूरे आबादी क्षेत्र मेें अलग-अलग जगह मतदान बहिष्कार के लगभग 50 बैनर टांग कर विरोध व्यक्त किया है।
किसी भी चुनाव में नहीं करेंगे मतदान
पीड़ित कस्बे वासियों ने बताया कि अब जब तक मृत पशु निस्तारण का रिहायशी इलाके से स्थान परिवर्तित नहीं होता, तब तक हमने किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करने का संकल्प लिया है।
मृत मवेशियों के लिए जमीन का होगा आवंटन
इस मामले में तहसीलदार वैभव शेट्टी का कहना है कि कस्बे वासियों से शत-प्रतिशत मतदान करने की अपील की जा रही है। मतदान नहीं करना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। समस्या समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही कस्बे वासियों की समस्या के समाधान के लिए मत मवेशियों की जगह आवंटन के लिए जिला कलेक्टर के पास फाइल भेजी जा चुकी है आचार संहिता समाप्त होने के बाद कस्बे वासियों को इस समस्या से समाधान मिल जाएगा।
इनका कहना है
कई बार इस समस्या से प्रशासन को अवगत करवा चुके हैं। तीन-चार दिन में अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उपखंड कार्यालय के बाहर धरना देंगे।
- गोविंद खींची, ग्रामीण
तहसील में कई बार शिकायत की। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कचरे और मृत मवेशियों की दुर्गंध के मारे बाहर बैठना दूभर हो गया है। दुर्गंध इतनी तेज होती है कि हम लोग ठीक से खाना भी नहीं खा पाते। साथ ही गंदगी और कचरे के कारण कई प्रकार की बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है।
- पप्पू कुमार, ग्रामीण
इस तरफ की हवा चलने पर बदबू के मारे हमसे खाना नहीं खाया जाता। यहां के लोग कई बार बिना खाए भूखे प्यासे रह जाते हैं। 20 साल पहले से मृत मवेशी व पशु यहां डाले जा रहे हैं। लेकिन उस समय यहां आबादी नहीं थी। अब तो यहां पर काफी बस्ती हो गई है। फिर भी कचरा और मृत जानवर यहां डाले जा रहे हैं।
-रामप्रसाद, ग्रामीण
एक साल से तहसीलदार व सरपंच को अवगत कराते आ रहे हैं। सरपंच एक साल से पटवारी से जगह दिखवा कर समस्या समाधान का आश्वासन देते आ रहे हैं। लेकिन अभी तक न तो इनके निस्तारण के लिए जगह देखी गई है, और न ही समस्या को गंभीरता से लिया जा रहा है। बस टालमटोल चल रही है। यही कारण है कि हमने इस बार किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करने का निर्णय लिया है।
-अरविंद माहेश्वरी, ग्रामीण
समस्या के समाधान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके तहत उस स्थान पर सफाई करवा दी गई है। कचरा डालने वालों को भी कचरा नहीं डालने के लिए पाबंद कर दिया गया है। जिससे कस्बे वासियों की समस्या का समाधान हो सकेगा।
-वैभव शेट्टी, तहसीलदार
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