खिलाड़ी की मांसपेशियों के दबाव पर अब मशीन रखेगी नजर

नेशनल कॉन्फ्रेंस आईएसएमकॉन-2024 में एक्सपर्ट्स ने दी नई जानकरी 

खिलाड़ी की मांसपेशियों के दबाव पर अब मशीन रखेगी नजर

इस आइसोकाइनेटिक टेस्टिंग तकनीक से खिलाड़ी अपने हर शारीरिक कोण पर समान दबाव बनाकर अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं।

जयपुर। स्पोर्ट्स मेडिसिन में अब ऐसी तकनीक आ गई है जिसमें वेट लिफ्टर या दूसरे एथलीट्स अपनी मांसपेशियों र एक जैसा दबाव बनाए रखेंगे और उनकी क्षमता बढ़ा सकेंगे। इस आइसोकाइनेटिक टेस्टिंग तकनीक से खिलाड़ी अपने हर शारीरिक कोण पर समान दबाव बनाकर अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर कर सकते हैं। साथ ही इससे मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या भी दूर हो सकेगी। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अकैडमिक ब्लॉक में इंडियन एसोसिएशन ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन और थार एसोसिएशन ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन की ओर से आयोजित तीन दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस आईएसएमकॉन-2024 में विशेषज्ञों ने कुछ ऐसी ही नई तकनीकों के बारे में बताया।

व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर पर मिलेगी बेसिक गाइडलाइन
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन और स्पोर्ट्स इंजरी विशेषज्ञ डॉ. विक्रम शर्मा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन थार एसोसिएशन ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन का स्पोर्ट्स इंजरी के लिए व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर (9587077444)  जारी किया। इस नम्बर से व्हाट्सएप पर कोई भी अपनी एमआरआई रिपोर्ट भेजकर अनुभवी विशेषज्ञों से बेसिक गाइडलाइन प्राप्त कर सकता है। इस दौरान डॉ. विक्रम शर्मा ने प्रेसिडेंशियल टॉक दिया जिसमें उन्होंने आमजन में भी स्पोर्ट्स इंजरी के बढ़ते मामलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मरीज व खिलाड़ियों को तभी पूरा फायदा होगा जब स्पोर्ट्स मेडिसिन से जुड़े सभी विशेषज्ञ आपसी तालमेल से काम करेंगे। इस दौरान एसएमएस के ऑर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी बंशीवाल, डॉ. सुधीर यादव आदि मौजूद रहे।

नई तकनीक द्वारा मसल इंजरी से होगा बचाव
डॉ. राजेश ने बताया कि आइसोकाइनेटिक टेस्टिंग तकनीक में ऐसी सेंसरयुक्त मशीनें आ गई हैं जो खिलाड़ी की सभी मांसपशियों पर बराबर दबाव बनाकर रखेगी। गुरुत्वाकर्षण बल के तहत यह तकनीक खिलाड़ी की हर मांसपेशियों पर नजर रखेगी और उनकी क्षमता बढ़ायेगी। इससे खिलाड़ी की क्षमता बढ़ने के साथ ही मसल इंजरी से भी बचाव होगा।

50 प्रतिशत चोटें कमर से निचले हिस्से में
चंडीगढ़ से आए डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल ने अलग-अलग गेम्स में लगने वाली चोटों के प्रकारों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फुटबॉल जैसे गेम्स में 15 प्रतिशत चोट टखने, 12 प्रतिशत घुटने और 9 प्रतिशत चोट सिर में लगती हैं। अगर सभी गेम्स की बात करें तो 50 प्रतिशत चोटें कमर से निचले हिस्से में लगती हैं। अगर गेम्स के हिसाब से चोटों का डाटा बनता है तो बेहतर इंजरी मैनेजमेंट तैयार किया जा सकता है।

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