जाने राजकाज में क्या है खास

जाने राजकाज में क्या है खास

खाकी वाले एक साहब इन दिनों दिल्ली के चक्कर कुछ ज्यादा ही लगा रहे हैं। उनकी पिंकसिटी से लालकिले वाली नगरी की इस चकरघिन्नी को उनके ही महकमे के कई साहब लोग पचा नहीं पा रहे हैं।

चर्चा में दिल्ली की चकरघिन्नी
खाकी वाले एक साहब इन दिनों दिल्ली के चक्कर कुछ ज्यादा ही लगा रहे हैं। उनकी पिंकसिटी से लालकिले वाली नगरी की इस चकरघिन्नी को उनके ही महकमे के कई साहब लोग पचा नहीं पा रहे हैं। उनके इस पगफेरे की पीएचक्यू से लेकर सचिवालय तक चर्चा है। चर्चा है कि तुला राशि वाले साहब दिल्ली दरबार के लिए होने वाली चुनावी जंग में खुद को जयपुर ग्रामीण सीट से मजबूत लड़ाका मान रहे हैं। राज का काज करने वाले लंच केबिनों में बतियाते हैं कि चंदूजी की मेहरबानी से सब कुछ ठीकठाक रहा तो नवाबों की नगरी से ताल्लुक रखने वाले साहब जल्द ही वीआएस के लिए पंडितों से शुभ मुहूर्त निकलवाएंगे। 

भाईसाहबों की उड़ी नींद 
भगवा वाले भाई लोगों का एक बड़ा खेमा परिवार बढ़ने को लेकर कुलाचें मार रहा है। हाथ वाले भाई लोगों के पगफेरे को लेकर उनके पैर जमीं पर नहीं टिक रहे हैं। इसे बड़ी उपलब्धि मान कर गुजराती बंधुओं छोटा भाई और मोटा भाई के गुणगान गाते थक भी नहीं रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच एक उनका खेमा ऐसा भी है, जो इस पगफेरे से नाखुश है। राज का काज करने वाले भी लंच केबिनों में बतियाते हैं कि नाखुश वाले इस खेमे में हार्डकोर वर्कर हैं, जिन्होंने सालों से भगवा के लिए दिन-रात पसीने बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ भाईसाहबों को उम्मीद थी कि इस बार दिल्ली दरबार की जंग में उनकी लाटरी भी लग सकती है। लेकिन जब से हाथ वाले नेताओं के पगफेरे की सुगबुगाहट हुई है, तब से उनको सपने टूटते दिख रहे हैं। चूंकि जिन नेताओं का पगफेरा हो रहा है, वे बिना किसी प्रलोभन के आने वाले नहीं है।

तलाश एक बहाने की
हाथ वाले भाई लोगों में एक बहाने की तलाश जोरों पर है। तलाश भी चुनाव नहीं लड़ने के पिण्ड छुड़ाने के बहाने की है। राज का काज करने वालों में चर्चा है जब से हाथ वाले भाई लोग 70 में सिमटे हैं, तब से दिल्ली दरबार के चुनावों के लिए कोई भी तैयार नहीं है। वर्तमान एमपीज भी तू-लड़, तू-लड़ की रट लगाने लगे हैं। कुछ भाई लोग पाला बदलने के लिए बहाना ढूंढ रहे हैं, तो कुछ चुनाव नहीं लड़ने के लिए बहाना बना रहे हैं। कइयों ने तो पिण्ड छुड़ाने के लिए देवताओं के देवरे तक धोकने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटी नहीं, बल्कि हाथ वाले भाई लोगों से ताल्लुक रखता है। जुमले की इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने से ज्यादा सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के दफ्तर में ज्यादा है। जुमला है कि हाथ वाले दल ने जिन भाई लोगों की सात पीढ़ियों का जुगाड़ कराने में न आगा सोचा और न ही पीछा, उन्होंने ही हाथ वाले दल से दो-दो हाथ कर कमल की सुगंध लेने की ठान ली है। पीसीसी में रोजाना आने वाले भाई लोगों की मानें, तो अगर हार्डकोर वर्कर्स के लिए इसका आधा भी करते, तो 138 साल पुरानी पार्टी की दशा ब्रेन डेड बॉडी जैसी नहीं होती और दिल्ली वाले नेताओं को यह दिन नहीं देखने पड़ते।

-एल.एल. शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)

Tags: rajkaj

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