जानिए राजकाज में क्या है खास
अस्पताल मार्ग पर बने हाथ वालों के वॉर रूम में चौकड़ी के आदमियों को लेकर काफी चर्चा है।
अटकी नियुक्तियां
भगवा वाले भाई लोगों के एक खेमे में फिर मायूसी छा गई। इधर-उधर भागादौड़ी कर बड़ी मुश्किल से पद के लिए हामी कराई थी। सवामणी तक बोली थी, पर अब चन्द्रमा बिगड़ने से सारे किए धरे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। उनको साफ कह दिया गया है कि पहले मंत्रिमंडल रिशफलिंग, बाकी सारे काम धाम बाद में। अब उन बेचारों को कौन समझाए कि सब कुछ भाग्य से होता है, नहीं तो आठ महीने बाद भी अटकने का सवाल ही नहीं है। बेचारे अलवर जिले से ताल्लुक रखने वाले भाई साहब ने तो आठ महीने पहले ही कार्यभार संभालने के साथ ही मीडिया के सामने बढ़ चढ़ कर बोलने तक की तैयारी कर ली थी।
डिमाण्ड चने की
राज के एक रत्न ने दूसरे रत्नों को करामाती चने क्या खिला दिए, बैठे-ठाले आफत मोल ले ली। अगुणी दिशा में नाम में दुबई की बराबरी करने वाली नगरी वाले रत्न ने आयुर्वेद चने के पैकैट बांटते समय जब उनकी खासियत गिनाई तो सामने वाले बड़े रत्न ने एक साथ ही दस-बारह पैकेट्स की डिमाण्ड कर दी। उनकी डिमाण्ड को सुनकर नदबई वाले भाई साहब भी मंद-मंद मुस्कराए बिना नहीं रह सके। थोड़ी देर तो इधर-उधर देखा और फिर वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझी। राज का काज करने वालों ने सूंघासांघी की तो पता चला कि इन चनों को खाने से घुटने चटकने तो बंद होते ही हैं, स्फूर्ती भी घोड़े की तरह हो जाती है।
राज चुप्पी का
इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के ठिकाने पर इन दिनों कुछ भाई लोग गांधीजी के तीन बंदरों की तरह न तो बोलते हैं, न ही किसी की सुनते हैं और नाही इधर-उधर देखते हैं, वे केवल चुपचाप रहते हैं। ना तो वे किसी का नाम लेकर बात करते हैं और न ही सामने वालों को करने देते हैं। सामने वाला कुछ बोलने के लिए मुंह खोलता है, तो इशारों से चुप करा देते हैं। ठिकाने पर भाई लोग बतियाते हैं कि सूबे में नए सदर की सुगबुगाहट के बीच जोधपुर वाले भाई साहब के इस खेमे की चुप्पी ने कइयों का हाजमा बिगाड़ दिया।
चौकड़ी के आदमी
अस्पताल मार्ग पर बने हाथ वालों के वॉर रूम में चौकड़ी के आदमियों को लेकर काफी चर्चा है। वहां आने वाले कार्यकर्त्ता की राज के काज को लेकर थोड़ी भी जुबान फिसलती है, तो उसे चौकड़ी का आदमी माना जाता है। चौकड़ी भी आजकल की नहीं बल्कि तीन दशक पुरानी है, जब भाई साहब ने 26 साल पहले चेंज के लिए ट्यूर पर निकले थे तो चौकड़ी इर्द गिर्द ही रहती थी। इस बार चौकड़ी वाले भाई लोग ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहे। उनके चेहरों पर वो लाली नहीं है, जो कभी रोज ही अपना असर दिखाती थी। अब ठिकाने पर पर आने वाले भाई लोग चाय की थड़ियों पर भी चुस्कियों के साथ पुरानी चौकड़ी के आदमियों को लेकर चटकारे ले रहे हैं।
एक जुमला यह भी
हाथ पार्टी में चल रहे अन्तरकलह को लेकर भगवा वालों के भी चेहरे खिले हुए हैं। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वाले के ठिकाने पर दिनभर भाई लोग अपनी नहीं बल्कि हाथ वाली पार्टी के भीतर की इधर-उधर बातें में व्यस्त रहते हैं। अब उन्हें कौन समझाए कि जब अपने घर में बेटा ही नहीं है, तो पड़ोसी के बेटी होने पर पताशे बांटने से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
एल एल शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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