ट्रेकमैन की सर्तकता से टला हादसा, मेवाड़ को बूंदी व मंदसौर एक्सप्रेस को उपरमाल स्टेशन पर रोका 

मेवाड़ एक्सप्रेस, मंदसौर और एक मालगाड़ी बेपटरी होने से बची 

ट्रेकमैन की सर्तकता से टला हादसा, मेवाड़ को बूंदी व मंदसौर एक्सप्रेस को उपरमाल स्टेशन पर रोका 

इस मामले में पटरी फ्रैक्चर होने के क्या कारण रहे इसकी जांच की जा रही है।

कोटा। कड़ाके की ठंड़ के असर से पटरियों में फ्रैक्चर आना शुरू हो गए हैं। रविवार को  चित्तौड़गढ़ कोटा बूंदी रेलवे खंड में रात को पटरी में फ्रैक्चर आने का मामला पेट्रोलियम के दौरान सामने आया है। समय रहते ट्रैकमैन को इस पता चलने से बड़ा हादसा टल गया है। चित्तौड़गढ कोटा बूंदी रेलखंड में सोमवार तड़के  मेवाड़, मंदसौर और एक मालगाड़ी यहां गिरने से बाल-बाल बच गई। बाद में पटरी की मरम्मत का ट्रेनों को धीमी रफ्तार से निकाला गया। सीनियर डीसीएम सौरभ जैन ने बताया कि रविवार रात को करीब 1.30 बजे  रोज की तरह ट्रेकमैन रवि सैन तेज सर्दी में पटरी टूटने की आशंका में रात्रि गश्त कर रहा था। गश्त के दौरान रवि पटरी की जांच करते चल रहा था। तभी रवि को श्रीनगर-जालंधरी के बीच एक जगह अचानक रेल पटरी टूटी नजर आई। कुछ ही देर में यहां निजामुद्दीन-उदयपुर मेवाड़ एक्सप्रेस 12963 और मंदसौर-कोटा पैसेंजर ट्रेन 59834 पहुंचने वाली थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए रवि ने तुरंत बूंदी और ऊपरमाल स्टेशन मास्टरों को घटना की जानकारी दी और ट्रेनों रोका गया। पटरी पर फैक्चर की सूचना पर बूंदी स्टेशन पर मेवाड़ एक्सप्रेस को रोका गया वहीं ऊपरमाल स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेन को रोका गया। बाद में सभी ट्रेनों को यहां से धीमी रफ्तार से निकाला गया। इस पटरी की स्थाई मरम्मत की गई। इसके बाद यहां से समान्य रफ्तार से ट्रेनों को निकाला गया। इस घटना के चलते दोनों ट्रेनें करीब आधा-आधा घंटे तक स्टेशनों पर ही खड़ी रही। 

एक मालगाड़ी भी बची
पटरी वैल्डिंग वाली जगह से टूटी है। यहां पटरी टूटने की आशंका के चलते पहले से ही प्लेट बांध रखी थी। इसलिए एकदम से दुर्घटना की आशंका नहीं थी। लेकिन लगातार तेज रफ्तार से ट्रेनें निकलने से दुर्घटना हो सकती थी। घटना नजर आने के कुछ ही देर पहले मौके से एक मालगाड़ी भी निकली थी। गनीमत रही की मालगाड़ी भी बच गई। हो सकता है मालगाड़ी निकलने के दौरान ही पटरी टूटी हो। 

हर साल सर्दियों में पटरियों में आते है फ्रैक्चर
सर्दी में पटरियां सुकड़ती हैं। इसके चलते पटरियों में दरार पड़ जाती है। हालांकि वर्तमान में फ्रैक्चर रहित ट्रैक पर पटरियां बिछाई है लेकिन कुछ स्थानों पर अभी पुराने ट्रैक वहां पटरियों में क्रेक आ जाते है।  कई बार पटरियां टूट जाती है। इसकी निगरानी के लिए ही सर्दियों में ट्रेकमैनों द्वारा लगातार गश्त की जाती है।

इस मामले में पटरी फ्रैक्चर होने के क्या कारण रहे इसकी जांच की जा रही है। हालांकि इस बार सर्दी में कोटा मंडल में पटरी क्रेक आने के मामले बहुत कम है। 
-सौरभ जैन, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य
 प्रबंधक कोटा

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