जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में जगह-जगह बनाए फूड कोर्ट और पिंक टॉयलेट
जेएलएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की व्यवस्थाओं का अवलोकन
जबकि मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय और इनके विभिन्न परिसरों को मिलाकर शहर के बीच इनके पास करीब 45 एकड़ जमीन है।
अजमेर। प्रमुख शासन सचिव (चिकित्सा शिक्षा) अम्बरीश कुमार ने कहा कि राजकीय जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय प्रशासन सबसे पहले जनहित के उन छोटे-छोटे कार्यों पर ध्यान केन्द्रित करे जिनकी यहां आने वाले प्रत्येक मरीज एवं उनके परिजन को जरूरत है। जिसमें सबसे प्रमुख है कि चिकित्सालय में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर खाद्य पदार्थ जैसे नाश्ता एवं भोजन करने के लिए कैंटीन अथवा फूड कैफे खोले जाएं और खासतौर पर महिलाओं के लिए गैलरियों में पिंक टॉयलेट तैयार करवाए जाएं। इसी के साथ चिकित्सालय में प्रस्तावित सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक के अलावा शहर के बीच स्थित इसकी 45 एकड़ जमीन पर चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करने के लिए अगले 100 साल तक का आर्किटेक्चर प्लान तैयार कर उस पर अमल किया जाए। कुमार यहां राजकीय जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय की शिक्षा एवं चिकित्सा व्यवस्थाओं के अवलोकन के लिए आए थे। इस दौरान सबसे पहले उन्होंने चिकित्सक शिक्षकों तथा चिकित्सालय के सभी विभागाध्यक्षों की बैठक ली। इसमें स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों व अभियंताओं के साथ नगर निगम के अधिकारियों को भी तलब किया गया था। ‘नवज्योति’ से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि राजकीय जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय अजमेर का सबसे पुराना चिकित्सालय है और यहां वर्ष 1890 से लेकर अब तक सभी निर्माण एवं अन्य कार्य टुकड़ों में हुए हैं।इसीलिए सुविधाओं में कोई ना कोई कमी रह ही जाती है। इस अवधि में यहां अब तक मरीजों के लिए 1500 बेड की ही व्यवस्था हो सकी है। जबकि मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सालय और इनके विभिन्न परिसरों को मिलाकर शहर के बीच इनके पास करीब 45 एकड़ जमीन है।
यदि यहां मास्टर प्लान बनाकर कार्य किए जाएं तो प्रदेश में उच्चस्तरीय चिकित्सा व्यवस्थाओं वाले स्थानों में यह भी शुमार हो सकता है। इसके लिए अब संक्रमण रहित एयरकंडीशन मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाए जाने का जमाना आ चुका है। जिसमें ढाई हजार बेड तक की व्यवस्था हो। जहां मरीजों के लिए सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं हों। क्योंकि उनकी जानकारी में है कि 8 से 10 एकड़ जमीन में भी प्लानिंग के साथ कार्यों को इस तरह से किया गया है कि वह अगले 100 वर्ष तक के लिए सुचारू रूप से काम आएंगे। इसीलिए उनका कहना है कि अब टुकड़ों में काम करने का जमाना जा चुका है। इससे ना तो काम ही पूरा हो पाता है और ना ही उसमें गुणवत्ता आती है। नए जमाने के हिसाब से कार्य करने के लिए राज्य सरकार भी तैयार है।
सुधार की बहुत गुंजाइश
मौजूदा प्लानिंग के नक्शे देखने के बाद उन्होंने कहा कि अभी इसमें और सुधार करने की बहुत गुंजाइश है। इसके लिए एक आर्किटेक्ट कंसल्टेंसी फर्म से भी संपर्क किया गया है। बैठक में पीडब्ल्यूडी से सेवानिवृत्त एक्सईएन अशोक रंगनानी को भी आमंत्रित किया गया था। उन्होंने भी चिकित्सालय परिसर में किए जाने वाले नए निर्माणों को लेकर कुछ नक्शे एवं प्लान कुमार के समक्ष प्रस्तुत किए।
50 वर्ष की प्लानिंग करें
तुरंत कर इसकी मरम्मत का काम शुरू करवाना चाहिए। इसके लिए सभी रोगों के विभागाध्यक्षों एवं यूनिट हैड को अपने स्तर पर छोटी-मोटी जरूरी मरम्मत के अधिकार दे दिए गए हैं। क्योंकि राज्य सरकार की ओर से मरीजों को चिकित्सा सुविधाओं के साथ साफ-सफाई और सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए धन की कमी की कोई दिक्कत नहीं है।
लगेंगे सौर ऊर्जा संयंत्र
चिकित्सालय की मौजूदा बिल्डिंग पर सौर ऊर्जा संयंत्र (सोलर प्लांट) लगाने की बात पर उनका कहना था कि सरकार की यही मंशा है कि सभी सरकारी कार्यालय भवनों पर बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएं। इसलिए यहां भी लगाए जाएंगे।
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