कश्मीर में सीट बंटवारे पर कांग्रेस के साथ जारी है बातचीत  : फारूक

कश्मीर में छह लोकसभा सीटें हुआ करती थीं

कश्मीर में सीट बंटवारे पर कांग्रेस के साथ जारी है बातचीत  : फारूक

कश्मीर में पिछले संसदीय चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा ने तीन-तीन सीटें जीती थीं। जम्मू-कश्मीर में इस बार लोकसभा सीटों की संख्या घटकर पांच हो गई है।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी की आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट बंटवारे पर कांग्रेस के साथ बातचीत चल रही है और वह इंडिया समूह के हिस्से के रूप में चुनाव लड़ेगी। अब्दुल्ला ने कहा कि देश को बर्बादी से बचाने के लिए इंडिया समूह को मजबूत बनाना ही होगा। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा कि अगर इंडिया समूह को मजबूत नहीं किया जा सका तो हम खुद ही देश को संकट में डाल देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ बातचीत चल रही है और कुछ दिनों में सीट बंटवारे पर फैसले के बारे में लोगों को बता दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें कांग्रेस के साथ गठबंधन करना होगा, उमर (अब्दुल्ला) साहब उनके संपर्क में हैं और कुछ दिनों में ही इस पर फैसला आ जाने की संभावना है। अगस्त 2019 में राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने से पहले जम्मू-कश्मीर में छह लोकसभा सीटें हुआ करती थीं। 

कश्मीर में पिछले संसदीय चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा ने तीन-तीन सीटें जीती थीं। जम्मू-कश्मीर में इस बार लोकसभा सीटों की संख्या घटकर पांच हो गई है, क्योंकि लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि हम अकेले नहीं रह सकते थे, यह देश का एक हिस्सा है। हम अकेले मजबूत नहीं हो सकते। यह पूछे जाने पर कि नेशनल कांफ्रेंस के कुछ पूर्व नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, अब्दुल्ला ने कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे। ये कोई नयी बात नहीं है। कोई भाजपा में जायेगा और कोई भाजपा से बाहर आयेगा। ये चुनाव का हिस्सा है। इसका नेशनल कांफ्रेंस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने बल पर चुनाव लड़ना है। हमने पहले भी चुनाव लड़ा है और आज फिर अपनी ताकत के दम पर चुनाव लड़ेंगे। अब्दुल्ला ने कहा कि वह चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव हों। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसदीय चुनाव हो सकता है, लेकिन राज्य विधानसभा चुनाव नहीं।

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