PM मोदी ने कुलसेकरपट्टिनम में रखी ISRO के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला

दो साल में हो जाएगा तैयार

PM मोदी ने कुलसेकरपट्टिनम में रखी ISRO के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला

कुलसेकरपट्टिनम में निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किया जा रहा दूसरा स्पेसपोर्ट विशेष रूप से एसएसएलवी के लिए समर्पित होगा और यह लगभग दो वर्षों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

चेन्नई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करते हुए बुधवार को थूथुकुडी जिले के कुलसेकरपट्टिनम में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दूसरे स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखी।

मोदी ने थूथुकुडी में वीओसी पोर्ट पर एक कार्यक्रम में विभिन्न नयी सुविधाओं की आधारशिला भी रखी। इसरो ने बताया कि दूसरे स्पेसपोर्ट का उपयोग विशेष रूप से केवल छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) मिशनों को लॉन्च करने के लिए किया जाएगा ताकि उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में रखा जा सके। यह देश के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयास को भौगोलिक लाभ प्रदान करेगा। हरिकोटा का स्पेसपोर्ट पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलएमवी-3 और अन्य मिशनों समेत सभी रॉकेट लॉन्च मिशनों के लिए प्राथमिक केंद्र बना रहेगा। शार रेंज में दो लॉन्च पैड हैं।

दूसरा रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र लगभग 2,233 एकड़ क्षेत्र में लगभग 950 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा और यह देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक नये युग की शुरुआत करेगा। कुलसेकरपट्टिनम स्पेसपोर्ट का रणनीतिक महत्व यह होगा कि यह उपग्रह प्रक्षेपण के दौरान ईंधन की खपत को कम करेगा।

हरिकोटा से लॉन्च के लिए दक्षिणपूर्व प्रक्षेपवक्र की आवश्यकता होती है, इसके विपरीत कुलसेकरपट्टिनम से उपग्रहों का प्रक्षेपण सीधे दक्षिण दिशा की ओर से संभव होगा, जिसके परिणामस्वरूप ईंधन का संरक्षण होगा। कुलसेकरपट्टिनम में निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किया जा रहा दूसरा स्पेसपोर्ट विशेष रूप से एसएसएलवी के लिए समर्पित होगा और यह लगभग दो वर्षों में पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

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यह थूथुकुडी जिले में एक पूर्ण प्रक्षेपण केंद्र होगा जो एसएसएलवी लॉन्च के लिए समर्पित होगा। इस लॉन्च पैड का उपयोग केवल निजी क्षेत्र द्वारा किया जाएगा क्योंकि यहां से इसरो के रॉकेट लॉन्च नहीं होंगे। एसएसएलवी को पूरी तरह निजी क्षेत्र को सौंप दिया जायेगा। एसएसएलवी 3-चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जो 500 किलोमीटर की समतलीय कक्षा में लगभग 500 किलोग्राम वजनी उपग्रहों को लॉन्च करने में सक्षम है।

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