रोज 41 करोड़ लीटर पानी का शोधन

पानी जिसे मिल रहा वो व्यर्थ बहा रहा, जिसे नहीं वो तरस रहा

रोज 41 करोड़ लीटर पानी का शोधन

शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी पाइप लाइन नहीं है, या लाइन के टेल पर मौजूद हैं।

कोटा। चंबल जैसी नदी जिसमें पूरे साल भर पानी रहता है,इससे  पूरे शहर को जलापूर्ति की जाती है। लेकिन अव्यवस्थित वितरण और व्यर्थ बहने के कारण जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त जल शोधन होने के बावजूद कई इलाकों को पानी नहीं मिल पाता है। सरकारी मानकों के अनुसार हर व्यक्ति को प्रतिदिन करीब 135 लीटर पानी उपलब्ध होना आवश्यक है। जिसके तहत कोटा के प्रत्येक व्यक्ति के लिए करीब 280 लीटर जल का शोधन किया जा रहा है। तय मात्र से ज्यादा जल शोधन के बाद भी कई इलाके ऐसे हैं जिनमें आज भी पानी को लेकर भारी किल्लत देखने को मिलती है। कोटा शहर की अनुमानित जनसंख्या करीब 15 लाख है जिसके लिए कोटा के तीनों जल संयंत्रों से वर्तमान में 410 एमएलडी यानी करीब 41 करोड़ लीटर का जल शोधन किया जा रहा है।

निचले इलाकों में 24 घंटे, नए कोटा में एक घंटा जलापूर्ति
कोटा शहर में आबादी के अनुसार पर्याप्त पानी की उपलब्धता होने के बाद भी पानी का वितरण सुव्यवस्थित तरीके से नहीं होने के कारण कई इलाकों में पानी नहीं पहुंच पाता है। दरअसल शहर के पुराने इलाकों में अकेलगढ़ प्लांट से ऊंचाई कम होने के कारण बिना किसी मोटर के पानी की सप्लाई होती है। जिससे इन इलाकों में पानी की सप्लाई 24 घंटे चालू रहती है। इस तरह जलापूर्ति 24 घंटे होने से पानी की बर्बादी होती है। जो दूसरे इलाकों में पानी की किल्लत को बढ़ाती है। वहीं नए कोटा के कई इलाकों में आज भी सिर्फ एक घंटा ही जलापूर्ति की जाती है। 

हर वर्ष 7 फीसदी वृद्धि 
अधीक्षण अभियंता साल 2011 में जनगणना के अनुसार कोटा की आबादी 10 लाख से अधिक थी। लेकिन उसके बाद जनगणना नहीं होने के कारण विभाग के पास शहर की सही आबादी का आंकड़ा नहीं है ऐसे में विभाग द्वारा जनसंख्या को हर साल 7 फीसदी के अनुसार बढ़ता हुआ माना जा रहा है जिसके अनुसार शहर की कुल अनुमानित आबादी 15 लाख से अधिक मानी जा रही है। वहीं विभाग द्वारा इसी अनुपात को मानते हुए पानी की आपूर्ति के लिए संसाधन तैयार किए जा रहे हैं। 

कितनी आबादी को कितना पानी
शहर में जल शोधन के लिए तीन जल संयंत्र स्थापित हैं जिनमें अकेलगढ़ स्थित 280 एमएलडी क्षमता वाला अकेलगढ़ प्लांट, सकतपुरा स्थित 130 और 70 एमएलडी क्षमता वाले दो प्लांट साथ ही, 50 एमएलडी क्षमता वाले श्रीनाथपुरम प्लांट से वर्तमान में 410 एमएलडी पानी का शोधन किया जा रहा है। जिसमें शहर की करीब 15 लाख की जनसंख्या को 41 करोड़ लीटर पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। इस तरह शहर के प्रत्येक व्यक्ति को करीब 270 लीटर चंबल का पानी मिल रहा है। जो शहरी विकास मंत्रालय के मानकों से 135 लीटर ज्यादा है। इसके अलावा जलदाय विभाग द्वारा हाल ही में निर्मित दो जल संयंत्रों 70 एमएलडी सकतपुरा और 50 एमएलडी श्रीनाथपुरम के पूरी क्षमता पर चलाने पर करीब 53 करोड़ लीटर पानी का शोधन किया जा सकेगा।

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पाइप लाइनों का नहीं होना भी बड़ा कारण
शहर में कई इलाके ऐसे हैं जहां आज भी पाइप लाइन नहीं है, या लाइन के टेल पर मौजूद हैं। जिससे पानी का पर्याप्त उत्पादन होने की स्थिति में भी इन इलाकों में पानी की समस्या रहती है। विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रद्युमन बागला ने बताया कि शहर के कई इलाकों में पाइप लाइन मौजूद नहीं है जिस कारण वहां जलापूर्ति नहीं हो पाती है। इसी समस्या को दूर करने के लिए विभाग द्वारा अमृत योजना 2.0, स्मार्ट सिटी पेयजल योजना और 15वें वित्तीय आयोग के तहत शहरी जलप्रदाय योजनाओं में करीब 150 किलोमीटर नई पाइप लाइन बिछाई जाएगी जिससे इन इलाकों में विशुद्ध जलापूर्ति की जा सकेगी। इसके अलावा विभाग द्वारा पानी की सप्लाई को व्यवस्थित करने की भी योजना बनाई जा रही है।

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पानी की समस्या हर साल रहती है, जो गर्मियों के दिनों में अधिक हो जाती है। ऐसे में विभाग को पानी की आपूर्ति के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ताकी सबको पर्याप्त पानी मिल सके।
- शिवराज सैनी, आंवली रोझड़ी

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पर्याप्त जल सोधन के बाद भी सबको पानी नहीं मिल पाना विभाग की कमी को दर्शाता है। संसाधन होने पर भी उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है किसी को जरूरत से ज्यादा मिल रहा है किसी को मिल ही नहीं रहा।
- आनंद नागर, प्रेम नगर

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