20 साल से एलएलएम को तरस रहा कोटा संभाग

हर साल पीजी करने से वंचित रह जाते हैं सैंकड़ों विद्यार्थी

20 साल से एलएलएम को तरस रहा कोटा संभाग

हाड़ौती के एक भी लॉ कॉलेज में कानून में स्पेशलाइजेशन नहीं होती हैं।

कोटा। हाड़ौती के राजकीय विधि महाविद्यालय बरसों से सरकारी तंत्र की लापरवाही का दंश झेल रहे हैं। जिसका खामियाजा सैंकड़ों विद्यार्थी भुगत रहे हैं। संभाग में तीन गवर्नमेंट लॉ कॉलेज हैं, जो पिछले 20 साल से एलएलएम को तरस रहे हैं। हालात यह हैं, सभी कॉलेज यूजी हैं लेकिन पीजी एक में भी नहीं है। जिसकी वजह से भावी वकील कानूनी शिक्षा में स्पेशलाइजेशन नहीं कर पा रहे। वहीं, पीजी के अभाव में रिसर्च सेंटर तक नहीं खुल पाए। ऐसे परिवेश में क्वालिटी एजुकेशन तो छोड़िए कानून की बारीकियां तक सीखने को नहीं मिलती। निजी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में महंगी फीस होने से हर साल हजारों विद्यार्थी पोस्ट ग्रेज्युएशन करने से वंचित रह जाते हैं। 

हाड़ौती के एक भी लॉ कॉलेज में नहीं एलएलएम
हाड़ौती में झालावाड़, बूंदी व कोटा में राजकीय विधि महाविद्यालय संचालित हैं। इनमें से एक भी कॉलेज में पीजी नहीं है। हर साल सैंकड़ों विद्यार्थी ग्रेज्युएशन करते हैं जो एलएलएम नहीं होने से कानूनी शिक्षा में स्पेशलाइजेशन नहीं कर पाते। जबकि, संभाग का सबसे बड़ा कॉलेज होने के बावजूद कोटा 20 साल से पीजी संकाय खुलवाने को संघर्ष कर रहा है। सरकारी तंत्र की उपेक्षा से विद्यार्थी न तो आपराधिक और सुरक्षा, बौद्धिक सम्पदा, अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार, सार्वजनिक नीति और सुशासन जैसे कानून के विशेषज्ञ बन पा रहे और न ही स्किल डवलप हो पा रही। 

छात्रों ने मंत्री से जनप्रतिनिधि तक लगाई गुहार
छात्रों ने बताया कि कोटा विधि महाविद्यालय में एलएलएम खुलवाने के लिए मंत्री से जनप्रतिनिधि तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। गत सत्र में कॉलेज में 1.50 करोड़ की लागत से कई विकास कार्य हुए। 6 कक्षा कक्ष भी बने। शिक्षकों की उपलब्धता भी पर्याप्त है। इसके बावजूद पीजी संकाय शुरू नहीं हो सका।  हालात यह हैं, पीजी के अभाव में रिसर्च सेंटर तक नहीं खुल पा रहा। एलएलएम खुले तो करियर को और आगे ले जाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।

भवन बदलते रहे, नहीं मिली पीजी
कोटा में राजकीय विधि महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी, जो 2016 तक गवर्नमेंट कॉलेज में अस्थाई कॉलेज के रूप में संचालित रहा। इसके बाद फरवरी 2017 में रावतभाटा रोड स्थित टैगोर नगर में खुद की बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ। इसके बाद से लगातार पीजी संकाय शुरू करने  को लेकर प्रयास होते रहे लेकिन, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। नतीजन, 20 साल बाद भी विद्यार्थी एलएलएम को तरस रहे। 

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निजी कॉलेजों में 2 लाख फीस
हाड़ौती के तीनों कॉलेजों से हर साल दो हजार से ज्यादा विद्यार्थी ग्रेज्युएशन करते हैं। इसके बाद आपराधिक और सुरक्षा कानून, संवैधानिक और प्रशासनिक व बौद्धिक सम्पदा कानून में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए पीजी करनी होती है लेकिन निजी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में पर ईयर की फीस ही 1.50 से 2 लाख होती है। ऐसे में सैंकड़ों विद्यार्थी कानून में स्पेशलाइजेशन से वंचित रह जाते हैं और उनकी स्किल भी डवलप नहीं हो पाती। 

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यह है बीसीआई की गाडइ लाइन
- महाविद्यालय में 120 स्टूडेंट्स के दो सेशन होते हैं, जिस पर 10 शिक्षक होने चाहिए।
- आधुनिक लाइब्रेरी में न्यूनतम 10 हजार किताबें होना अनिवार्य है और प्रतिवर्ष न्यूनतम 1 लाख रुपए की किताबें खरीदना आवश्यक है।
- विधि महाविद्यालय में अशैक्षणिक कर्मचारियों का पदस्थापन जरूरी है। साथ ही कॉलेज में सेमीनार हॉल, आईसीटी रूम यानी कम्प्यूटर लैब होना जरूरी है।
- कॉलेज में विद्यार्थियों की पे्रक्टिस के लिए 50 गुना 60 साइज में मूट कोर्ट बना होना चाहिए। 
- काल्पनिक न्यायलय का पूरा स्ट्रेक्चर जैसे जज की कुर्सी, टेबल यानी डाइज, दोनों तरफ कटघरे, रीडर की टेबल, क्लाइंट व पक्षकारों के बैठने के लिए 80 कुर्सियां और सॉफट फाइल वीडियो, आॅडियो के रूप में उपलब्ध सबूतों को सुनने व देखने के लिए कम्प्यूटर व प्रोजेक्टर होना चाहिए।  
- कॉलेज परिसर में करीब 100 गुणा 100 साइज का खेल मैदान होना जरूरी है। वहीं, बास्केट बॉल, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल सहित अन्य सुविधाएं होने के साथ शारीरिक शिक्षक होना चाहिए।
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वर्तमान में कोटा लॉ कॉलेज एलएलम पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सभी मानको पर खरा उतरता है।  छात्र-छात्राओं को मोटी फीस देखकर निजी संस्थानों में प्रवेश लेना पड़ता है। 
- गौरव मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष, विधि महाविद्यालय कोटा

लॉ कॉलेज में पीजी शुरू होता है तो इसका लाभ पूरे हाड़ोती संभाग के छात्र-छात्राओं को मिलेगा। साथ ही कानून के किसी एक विषय के विशेषज्ञ बन सकेंगे जो समाज की आवश्यकताओं के लिए जरूरी है। 
- बुद्धराज मेरोठा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष 

मिंत्री-विधायकों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन, कहीं से भी सकारात्मक प्रयास नहीं हुए। जबकि, प्राइवेट कॉलेजों में लाखों फीस वसूली जाती है, जो मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों के लिए मुमकिन नहीं है। 
- हरिओम मीणा,  छात्र विधि महाविद्यालय

पोस्ट ग्रेज्युएशन डिग्री लॉ स्टूडेंट लिए बेहतर कॅरियर की शुरूआत बन सकती है, क्योंकि एलएलएम अंतरराष्ट्रीय कानून, कॉपोर्रेट कानून, श्रम कानून, मानवाधिकार कानून में स्पेशलाइजेशन प्रदान करती है।  छात्रहित में सरकार को जल्द से जल्द एलएलएम खोलना चाहिए।  
- लिपाशा वैष्णव, छात्रसंघ महासचिव 

पोस्ट ग्रेज्युएशन की सुविधा मिलने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही समाज को कानून विशेषज्ञ मिल सकेंगे। मल्टीनेशनल कंपनियों, अंतरराष्टÑीय संस्थाओं या कई देशों से जुड़े मामलों से संबंधित विषय पर काम करने वाले कानूनी पेशावर तैयार हो सकेंगे। 
- भीमराज मीणा, पूर्व छात्रसंघ महासचिव 

सरकार को भेजे हैं प्रस्ताव
एलएलएम को लेकर प्रस्ताव स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेज दिए हैं।  पहले हमारे पास एलएलएम के लिए जरूरी मापदंड के अनुरूप सुविधाएं नहीं थी लेकिन वर्तमान में वो सभी सुविधाएं विकसित कर ली गई हैं, जिसमें पर्याप्त कक्षा कक्ष, आधुनिक लाइब्रेरी, मूट कोर्ट, 8 से ज्यादा शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा और भी सुविधाएं विकसित करने के प्रयास जारी हैं। 
- आरके उपाध्याय, प्राचार्य, राजकीय विधि महाविद्यालय कोटा

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