8 माह से मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना के पैसे अटके

शिक्षक दूध पाउडर भी अन्य स्कूल से उधार लेकर बच्चों को दे रहे

8 माह से मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना के पैसे अटके

राशि के अभाव में यह योजना खटाई में पड़ सकती है।

करवर। राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना के तहत नैनवां ब्लॉक में मदरसा सहित 283 विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 वीं तक  करीब 22 हजार 892 विद्यार्थियों वितरित किया जाता है। लेकिन विगत 8 माह से योजना के तहत दूध पाउडर का भुगतान अटका हुआ है। ऐसे में बच्चों के लिए दूध वितरण व्यवस्था खटाई में पड़ने की संभावना है। ऐसे में अध्यापक भुगतान न मिलने की वजह से दूसरे स्कूलों से दूध पाउडर लेकर बच्चों को दूध पिला रहे है। 

यह है योजना
राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजनाको प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य राज्य के प्राइमरी विद्यालय, मदरसों, विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को पोषण युक्त दूध बच्चों को पिलाया जाता है। साथ ही सरकारी स्कूलों में नामांकन वृद्धि एवं ठहराव को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना की शुरूआत की गई थी। इस योजना का शुभारंभ 29 नवंबर 2022 को किया गया। योजना के तहत सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को पाउडर से निर्मित दूध देने का प्रावधान है। योजनांतर्गत कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थी को 15 ग्राम मिल्क पाउडर से निर्मित 150 मिली दूध तथा कक्षा 6 से 8 तक के विद्यार्थियों को 20 ग्राम मिल्क पाउडर से निर्मित 200 मिली दूध तैयार कर दिया जाता है। इसके लिए प्राथमिक कक्षा वर्ग के विद्यार्थियों के दूध में 8.4 ग्राम चीनी प्रति विद्यार्थी एवं उच्च प्राथमिक वर्ग के विद्यार्थियों को 10.2 ग्राम चीनी प्रति विद्यार्थी दूध में मिलाकर दिए जाने की व्यवस्था है। इसके लिए 45 रुपए प्रति किलो चीनी की राशि भी निर्धारित की गई है। करवर सहित नैनवां ब्लॉक से इस योजना के तहत शिक्षा विभाग से जुलाई से अब तक 9 माह से भुगतान नहीं हुआ है। इसलिए पोषाहार प्रभारी अध्यापक अपने पास से रुपए खर्च करके या उधारी करकें इस योजना को चला रहे हैं। अकेले नैनवां ब्लॉक में मदरसा सहित 283 विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 वीं तक  करीब 22 हजार 892 नामांकन है। बाल गोपाल योजना का लाभ मिल रहा है। लेकिन राशि के अभाव में यह योजना खटाई में पड़ सकती है। 

गैर शैक्षणिक कार्यों का भारी बोझ
शिक्षकों पर वर्तमान में गैर शैक्षणिक कार्यों का इतना अधिक बोझ है कि शिक्षक जिसे कक्ष में जाकर बच्चों को पढ़ाना चाहिए। वह डाक बना रहा होता है या कोई सर्वे या अन्य दूसरे कार्यों को करने में व्यस्त होता है। पहले ही जनगणना, मतदाता सूची जैसे कार्य शिक्षकों के भरोसे रहे है। वहीं अब बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था करने, प्रति बच्चे के हिसाब से दूध देने,आधार और जन आधार आॅथेटिक करवाने,मतदाता पहचान पत्र बनाने,पोर्टल पर विभिन्न डाटा फीड करने,आॅनलाइन ट्रेनिंग लेने विभागीय ऐप को अपडेट करने जैसे गैर शेक्षणिक कार्य शिक्षकों के भरोसे चल रहे है। शिक्षक इन कार्यों में इतने व्यस्त रहते है कि पढ़ाने का समय बमुश्किल निकाल पाते है। यदि कार्य पूरा ना हो तो उन्हें नोटिस दिया जाता है। वहीं कार्य पूरा कराने में जुट जाएं और परीक्षा परिणाम अपेक्षाकृत कम आ जाए तो उसमें भी उन्हें नोटिस देना पड़ता है।

घर चलाने से ज्यादा चिंता सरकारी योजनाओं को चलाने की है, शिक्षकों को चुनौति 
बाल गोपाल योजना की त्रैमासिक के हिसाब से सभी स्कूलों में यह राशि उनके बैंक अकाउंट में डालीं गई। इसके बाद जुलाई माह से मार्च माह तक  ,उधारी से सब काम चल रहा है जबकि ब्लॉक में काफी संख्या में शिक्षक अन्य जिले के निवासी है वो अपना घर चलाए या सरकारी योजनाएं अपने घर के खर्चों में कटौती करके चलाए।

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दूध तैयार करने वाले हेल्पर का मेहनताना 8 माह से अटका
पिछले सत्र में कक्षा 1 से 8 वी तक के विद्यार्थियों को पाउडर युक्त दूध सप्ताह में मंगलवार और शुक्रवार फिर बाद में बुधवार और शुक्रवार को दिया जाने लगा। उसके बाद एक जुलाई से सप्ताह में रोज दूध का वितरण किया जाने लगा। ऐसे में स्कूल के पूरे बच्चों को दूध बनाकर पिलाने, फिर बर्तन सफाई का मानदेय सिर्फ 500 रू मासिक रखना कुक के साथ अन्याय है।  इनका मानदेय भी जुलाई माह से अब तक नहीं दिया गया है। इसी प्रकार शक्कर और सिलेंडर के भी रुपए जुलाई से अब तक बाकी है। 

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इनका कहना है 
बाल गोपाल योजना पूरी उधारी से चल रही है। योजना में दूध पाउडर तक अध्यापक को इधर -उधर से लाकर योजना का संचालन करना पड़ रहा है जबकि स्कूल तक दूध पाउडर पहुंचाने की जिम्मेदारी उच्च अधिकारियों की है। इसमें कार्यरत व्यक्ति का मानदेय लगभग 17 रू प्रतिदिन है जो कि अन्याय है जिसे 500 रू से बढ़ाकर कम से कम 2 हजार रु मासिक किया जाना चाहिए। यह मानदेय भी जुलाई के बाद से नही आया है जिससे शिक्षकों को योजना चलाने में काफी परेशानी हो रही है।
- पंकज जैन, मिडिया प्रभारी शिक्षक संघ राष्ट्रीय नैनां

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विभाग स्कूलों तक दूध पाउडर तक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा। इससे विभाग के अधिकारियों की ठेकेदार के प्रति नरमी दिखाई देती है जिससे शिक्षक परेशान हो रहे है। दूध योजना की राशि भी जुलाई से नही आई जिससे शिक्षक अपने घर के खर्चे में कटौती कर योजनाओं का संचालन कर रहे है।
- सुगनचंद मीणा,अध्यक्ष शिक्षक संघ राष्ट्रीय नैनवां

मुख्यमंत्री बाल गोपाल दुग्ध योजना के तहत पहले सप्ताह में दो दिन ही दूध पिलाना था। तब भी 500 रू प्रतिमाह मानदेय था। अब जुलाई 2023 से पूरे सप्ताह कर दिया लेकिन मानदेय नही बढ़ाया  और वह भी जुलाई के बाद से नही मिला। समय पर 500 रू भी नहीं मिलने से बहुत परेशानी होती है। सरकार को  हमारा मानदेय बढ़ाना चाहिए व समय पर मानदेय मिले ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए।
- रेखा, (बदला हुआ नाम ) कुक कम हैल्पर

बालगोपाल योजना में बालकों को प्रतिदिन प्रार्थना के बाद दूध पिलाने की योजना है। इसमें दूध बनाने वाले का मानदेय 500 रू प्रतिमाह हैं जो कि बहुत कम हैं और जुलाई 2023 से शक्कर व सिलेंडर की राशि समय पर नही मिलने से  हमें इस योजना को सुचारू रूप से चलाने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
- अल्का जैन, पोषाहार प्रभारी

सितम्बर 23 तक डिमांड बनाकर संबंधित उच्च अधिकारियों को भिजवा दी गई है । जैसे ही विभाग को राशि प्राप्त होगी, संबंधित स्कूलों के बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगी और राज्य सरकार से बजट स्वीकृत होने पर सप्लायर द्वारा दूध पाउडर की सप्लाई कर दी जाएगी।
- अनिल गोयल,मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी नैनवां

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