सरकारी उदासीनता: कागजों में ही उड़ा ड्रोन, खेतों तक नहीं पहुंचा
40 करोड़ की सब्सिडी का किया था प्रावधान
कोटा जिले में किसी को नहीं मिल पाया लाभ।
कोटा। खेती में नवाचार के लिए प्रदेश में ड्रोन से खेती की योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। पिछले साल बजट घोषणा में राज्य सरकार ने योजना के लिए 40 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी का प्रावधान रखते हुए कृषि क्षेत्र के लिए इसे क्रांतिकारी कदम बताया था। वित्तीय वर्ष पूरा हो चुका है। इसके बावजूद कृषि विभाग अब तक एक भी ड्रोन पात्र हाथों तक पहुंचाने में विफल रहा है। कोटा जिले में किसी को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। यही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों की रही है।
निर्धारित नहीं हो पाए जिलेवार लक्ष्य
ड्रोन से खेती योजना के तहत कृषक उत्पादक संगठन, कस्टम हायरिंग सेंटर और बेरोजगार कृषि स्नातक युवाओं को अनुदान पर ड्रोन उपलब्ध करवाने थे। कृषि विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान अनुदान पर 1000 ड्रोन उपलब्ध करवाने थे। इसके लिए सितम्बर 2023 में गाइड लाइन जारी कर राज. किसान साथी पोर्टल पर आवेदन भी मांग लिए। उसके बाद अनुदान पर ड्रोन उपलब्ध करवाना तो दूर जिलेवार लक्ष्य ही निर्धारित नहीं हुए। ऐसे में खेतों तक ड्रोन पहुंचाने की योजना कागजों में ही दम तोड़ गई।
खेती में ड्रोन का फायदा
- कम समय में कीटनाशी या तरल उर्वरक के छिड़काव से समय की बचत।
- मजदूर से कीटनाशी या तरल उर्वरक का छिड़काव करवाने की तुलना में कम खर्च।
- ड्रोन से हर पौधे पर समान रूप से छिड़काव।
- ड्रोन से कीटनाशी या तरल उर्वरक का संतुलित छिड़काव।
- ड्रोन से फसल में सिंचाई की सही योजना बनाने में मदद।
इतना मिलना था अनुदान
गत सरकार ने बजट घोषणा में किसानों के लिए ड्रोन तकनीक से खेती का प्रावधान रखा था। घोषणा के तहत राजस्थान में 1000 ड्रोन खरीद कर योजना के तहत उपलब्ध कराने का निर्णय किया था। इसके लिए 40 करोड़ रुपए सब्सिडी के लिए जारी किए गए थे। जैसे 10 लाख रुपए का कोई ड्रोन खरीदेगा तो उसे 4 लाख रुपए की सब्सिडी दी जाएगी। कोई भी कस्टम हायरिंग सेंटर इस ड्रोन को खरीद सकता है। जिसके लिए विभाग में संपर्क करना होगा। पूर्व में इसका प्रचार-प्रसार भी किया गया था। योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर से कम दर पर भी ड्रोन किराए पर लेने का निर्णय किया गया था।
हर तरह से फायेदमंद है ड्रोन
कृषि क्षेत्र में किसी उपज का उत्पादन करने के लिए कई स्टेप होते हैं, जैसे निराई, गुड़ाई, सिंचाई, कटाई के साथ ही कीटनाशक छिड़काव भी है जो काफी महत्वपूर्ण है। कीटनाशक छिड़काव नहीं करने पर पूरी फसल तक बर्बाद हो जाती है। अभी किसान कीटनाशक छिड़काव के लिए पेटीनुमा स्प्रे उपकरण से छिड़काव करते हैं। इसमें एक एकड़ क्षेत्र में अगर किसान कीटनाशक छिड़काव करता है तो 3 घंटे तक लग जाते है। साथ ही कीटनाशक से किसान के शरीर पर बुरा प्रभाव भी पड़ता है। वहीं ड्रोन से इतने ही क्षेत्र में छिड़काव करेगा तो मात्र 10 मिनट में काम पूरा हो जाएगा। साथ ही शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से बचा जा सकता है
सरकार की खेती में ड्रोन के उपयोग के लिए बनाई गई काफी अच्छी है। इससे किसानों को काफी फायदा होता, लेकिन यह योजना कागजों से ही बाहर नहीं निकल पाई। राज. किसान साथी पोर्टल पर आवेदन मांगने के बावजूद किसी के भी इसका लाभ नही मिल पाया।
- त्रिलोकचंद, किसान, जाखड़ोंद
ड्रोन से खेती की योजना विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से आगे नहीं बढ़ पाई। लक्ष्य निर्धारित होते उससे पहले 9 अक्टूबर को आचार संहिता लग गई। प्रदेश में नई सरकार का गठन होने के बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से अब 4 जून को आचार संहिता समाप्त होने के बाद ही ड्रोन से खेती योजना पर पुनर्विचार कर लक्ष्य तय किए जाएंगे।
- रमेश चांडक, संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कोटा
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