लोकसभा चुनावों में जातिगत वोट निर्णायक, भाजपा-कांग्रेस कर रहे अपना दावा
जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं
सबसे बड़ा कारण अधिकांश प्रत्याशियों का चयन भी जातीय आधार पर होना है। पार्टियां अपनी जीत में भी जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं।
जयपुर। इस बार लोकसभा चुनावों में जातिगत वोट निर्णायक होंगे। हालांकि दोनों बड़े दल भाजपा और कांग्रेस इन वोटों पर अपना दावा जता रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अधिकांश प्रत्याशियों का चयन भी जातीय आधार पर होना है। पार्टियां अपनी जीत में भी जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं।
मेघवाल हैं 5%
आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस समय अनुसूचित जाति के 17.85 प्रतिशत मतदाता है। इनमें पांच फीसदी मेघवाल, तीन प्रतिशत रैगर, तीन प्रतिशत बैरवा और शेष 6.85 प्रतिशत में जाटव, कोली, हरिजन, खटीक, धानका, बावरी, धोबी, नायक, सरगरा, साल्वी और मेहर शामिल हैं।
मीणा हैं 8%
इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के साढ़े तेरह फीसदी मतदाता हैं। इनमें मीणा आठ प्रतिशत और भील चार प्रतिशत हैं। शेष डेढ़ फीसदी में गरासिया, भील मीणा, डामोर, सहरिया और कथौड़ी जाति के मतदाता हैं।
ब्राह्मण है छह प्रतिशत
जातियों में पांचवें नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं, जो कुल मतदाताओं के छह प्रतिशत हैं। इनमें हरियाणा ब्राह्मण, बागड़ा ब्राह्मण, पुष्करणा ब्राह्मण, गौड़ ब्राह्मण, गुर्जर गौड़, कान्यकुब्ज ब्राह्मण, सारस्वत ब्राह्मण आदि शामिल हैं। प्रदेश में राजपूत मतदाता भी पांच प्रतिशत हैं। इनमें चारण, बारहठ, राठौड़, शेखावत और भाटी शामिल है। वैश्य समाज के चार फीसदी मतदाता हैं। इनमें अग्रवाल, खंडेलवाल और माहेश्वरी शामिल है। माली, काछी और सैनी जाति के चार फीसदी मतदाता है। गुर्जर जाति के साढ़े तीन प्रतिशत, कुमावत, कुम्हार और प्रजापत जाति के साढ़े तीन प्रतिशत, दरोगा और रावणा जाति के डेढ़ फीसदी, रेबारी, रायका और देवासी जाति के डेढ़ प्रतिशत, कलवा, आंजना और चौधरी जाति के डेढ़ प्रतिशत, धाकड़ और किराड़ जाति के डेढ़ फीसदी, रावत डेढ़ प्रतिशत, यादव डेढ़ प्रतिशत, विश्नोई डेढ़ प्रतिशत, सिख 1.27 प्रतिशत, तेली, घांची और साहू एक प्रतिशत, नाई तथा सैन एक प्रतिशत, हिन्दू सिंधी एक प्रतिशत, जांगिड़ अथवा खाती एक प्रतिशत, जोगी, नाथ और कालबेलिया एक प्रतिशत, बंजारा एक प्रतिशत, जैन 0.91 फीसदी, ईसाई 0.14 प्रतिशत, बौद्ध 0.02 प्रतिशत और अन्य जातियां 5.29 प्रतिशत हैं। अन्य जातियों में पाटीदार, कुरमी, कुलमी, सीरवी, कायस्थ, लोधा, स्वर्णकार, गायरी, गाडरी, कलाल, कीर और तंवर लोढ़ा शामिल है।
तीस विधानसभा क्षेत्रों में सामान्य वर्ग के मतदाता हैं ज्यादा
प्रदेश में 30 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या दस प्रतिशत से ज्यादा है। इनमें बड़ी सादड़ी, महवा, दौसा, जहाजपुर, मनोहरथाना, देवली-उनियारा, सवाई माधोपुर, छबड़ा, मावली, पीपल्दा, बल्लभनगर, बूंदी, निम्बाहेड़ा, कुम्भलगढ़, नाथद्वारा, हिण्डौली, बाली, गंगापुर, करौली, बांदीकुई, अंता, खानपुर, बेगूं, आमेर, सांगोद, मांडलगढ़, आहोर, सिरोही और सुमेरपुर है।
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