8000 करोड़ का कारोबार, फिर भी अव्यवस्था की मार
भामाशाहमंडी: कृषि जिंसों की बम्पर आवक से बिगड़ रही व्यवस्थाएं
468 बीघा में विस्तार को अभी तक नहीं मिली मंजूरी
कोटा। एशिया की सबसे बड़ी भामाशाहमंडी बम्पर आवक के चलते छोटी पड़ने लगी है। ऐसे में अब मंडी के विस्तार की दरकार है। मंडी प्रशासन विस्तार के लिए पिछले 9 सालों से लगातार प्रयास कर रहा है। वन भूमि को मंडी समिति को हस्तानांतरित करने में आ रही सभी अड़चनों को पूर्ण कर दिया गया है। इसके बावजूद अभी तक मंडी परिसर के विस्तार को हरी झंडी नहीं मिली है। विस्तार की फाइल राज्य व केन्द्र सरकार के बीच फुटबॉल बनी हुई है। अब केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने से किसानों और व्यापारियों को मंडी के शीघ्र विस्तार होने की उम्मीद है। वर्तमान में मंडी का सालाना कारोबार 8000 करोड़ रुपए हैं। विस्तार होने के बाद कारोबार में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी।
इधर से उधर घूम रही फाइल
व्यापारियों के अनुसार भामाशाह मंडी अभी 48 हैक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैली हुई है। कृषि जिंसों की बम्पर आवक के चलते सीजन में मंडी ठसाठस हो जाती है। ऐसे में सड़कों पर जिंसों के ढेर लगाकर नीलामी करनी पड़ती है। हालात यह है कि किसानों को अपनी जिंस बेचने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ जाता है। मंडी प्रशासन ने 75 हैक्टेयर वन भूमि में विस्तार की फाइल राज्य सरकार को भेज रखी है। यह फाइल वन विभाग, राज्य सरकार व केन्द्र सरकार के बीच घूम रही है।
पीक सीजन में 5 लाख बोरी होती है आवक
भामाशाहमंडी में खरीफ व रबी सीजन के पीक टाइम में रोजाना 2 लाख से 5 लाख बोरी कृषि जिंसों की आवक होती है। मंडी में राजस्थान ही नहीं देश के कई राज्यों से यहां अनाज आ रहा है। ऐसे में मंडी छोटी पड़ने के साथ ही मंडी प्रशासन की व्यवस्थाएं भी अब छोटी हो चुकी हैं। यार्ड फुल होने के बाद अब खुले में व सड़कों पर नीलामी करनी पड़ रही है। बरसात के दिनों में खुले में रखी जिंस भीगने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
साख ने मंडी को बना रखा खास
भामाशाहमंडी की साख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान ही नहीं पड़ौसी राज्यों से मंडी में कृषि जिसों की बम्पर आवक होती है। अन्य मंडियों के मुकाबले यहां अच्छे भाव मिलने से मध्यप्रदेश से भी कृषि जिंसों की आवक होती है। खरीफ सीजन में धान की कुल आवक का 70 प्रतिशत धान मध्यप्रदेश से आता है। हर साल कृषि जिंसों की आवक में हो रही बढ़ोतरी के चलते मंडी छोटी पड़ने लग गई है। किसान व मंडी प्रशासन मंडी विस्तार के प्रयास पिछले कई सालों से कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।
विस्तार से यह होगा फायदा
- 75 हैक्टेयर यानी 468 बीघा में होगा विस्तार
- 05 गुना ज्यादा कृषि जिंसों की होगी आवक
- 20 से 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा
- 50 हजार करोड़ टर्नओवर हो जाएगा
- कृषि जिंस बेचने के लिए किसानों को इंतजार नहीं करना पड़ेगा
- फोरलेन हाइवे से जुड़ने से देश में कनेक्टिविटी बढ़ेगी
- मंडी के आसपास इण्डस्ट्रीयल एरिया में जाम से मुक्ति मिलेगी
- रेलवे माल गोदाम बनने से ट्रांसपोर्ट की समस्या से मुक्ति मिलेगी
फैक्ट फाइल
- 400 से ज्यादा दुकानें
- 1500 से ज्यादा लाइसेंसधारी व्यापारी
- 20 कवर्ड नीलामी यार्ड
- 8000 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर
- 01 किसान भवन
- 01 किसान कलेवा योजना भवन
- 06 बैंकों की शाखाएं
- 01 एग्रो ट्रेड टावर
- 01 आॅयल टेस्टिंग लैब
- 01 मिनी शॉर्टटेक्स (ग्रेडिंग) यूनिट
इनका कहना
गेहूं बेचना था, मंडी में कुछ दिन से जाम लगा हुआ है। बरसों से जाम के यही हालत है, लेकिन जनप्रतिनिधियों को किसानों की पीड़ा दिखाई नहीं देती।
- लटूरलाल मीणा, दीगोद, कोटा
मंडी ठसाठस होने से एक सप्ताह बाद गेहूं मंडी में लेकर आया था। जाम लगने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यहां मंडी विस्तार की सख्त जरूरत है।
- किशनलाल,किसान कोयला,
पिछले दो दिनों से भामाशाह मंडी में धक्के खा रहे हैं। आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। प्रशासन और सरकार को नीलामी प्रक्रिया में तेजी लाने और मंडी के विस्तार पर ध्यान देना चाहिए।
- धर्मराज किसान इन्द्रगढ़ बूंदी
मंडी प्रशासन ने मंडी विस्तार के लिए फाइल राज्य सरकार को भेजी थी। राज्य सरकार ने 75 हैक्टेयर यानी करीब 465 बीघा वनभूमि का प्रस्ताव केन्द्रीय वन मंत्रालय को भेज रखा है। वहां पर अधिकांश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विस्तार के बाद मंडी का क्षेत्रफल बढ़कर 123 हैक्टेयर हो जाएगा।
- महेश खंडेलवाल, महामंत्री, कोटा ग्रेन एण्ड सीडस मर्चेन्ट एसोसिएशन
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