टोकन व्यवस्था हो तो ओपीडी की भीड़ से मिल सकती है निजात
मरीज लाइनों में लगने के स्थान पर बैठकर कर सकेंगे अपनी बारी का इंतजार
टोकन की व्यवस्था शुरू करने से काफी हद तक असुविधा से बचा जा सकता है।
कोटा। कोटा शहर में तीन बड़े अस्पताल सहित कुल पांच अस्पताल मौजूद हैं जहां रोजना लाखों लोग अपना इलाज कराने आते हैं। ऐसे में मरीजों को इन अस्पतालों में पर्ची कटाने से लेकर जांच कराने और दवाई लेने तक हर जगह लाइनों में लगना होता है। जहां समय भी बर्बाद होता है और मरीजों को परेशानी भी उठानी पड़ती है। कई बार तो मरीजों को अपना नंबर लगाने के लिए खुद ही लाइनों में खड़ा होना पड़ता है। इस समस्या के निवारण के लिए जिला अस्पतालों में जांच काउंटर की तरह टोकन की व्यवस्था शुरू करने से काफी हद तक असुविधा से बचा जा सकता है। टोकन व्यवस्था में मरीज को नंबर लगाने के बाद खड़े रहने की आवश्यकता नहीं होगी और अपना नंबर आने पर डॉक्टर को दिखा सकेगा।
अभी क्या है व्यवस्था
वर्तमान में सभी अस्पतलों में मरीजों को पर्ची कटाने के लिए पहले पर्ची काउंटर पर लाइन में लगना होता है उसके बाद डॉक्टर को दिखाने के लिए फिर से लाइन में लगना होता है। अगर डॉक्टर दिखाने के समय जांच लिख दे तो मरीज को फिर लाइन में लगना होता है वहीं जांच मिल जाने के बाद उसे डॉक्टर को दिखाना हो तो फिर लाइन में लगना पड़ता है। जिससे ना चाहते हुए भी समय की बर्बादी तो होती ही है, साथ ही मरीज को परेशानी भी उठानी पड़ती है।
टोकन व्यवस्था में मिले सुविधा
जिले के सभी अस्पतालों में वर्तमान में सिर्फ जांच काउंटरों पर ही टोकन की सुविधा उपलब्ध है, जहां पहले आपको जांच के लिए एंट्री कराकर टोकन नंबर लेना होता है जिसके अनुसार आपका टोकन नंबर आने पर आप जांच करा सकते हो। सही सुविधा मरीज को ओपीडी में दिखाते वक्त मिले तो उसे लाइनों में नहीं लगना पड़े। क्योंकि अस्पतालों में पर्ची काउंटर के बाद सबसे ज्यादा भीड़ विभागों की ओपीडी में देखने को मिलती है। जहां टोकन व्यवस्था लागू करने से लाइनों व भीड़ दोनों से निजात मिल सकती है।
कई निजी अस्पतालों में टोकन व्यवस्था संचालित है जहां टोकन नंबर के आधार पर ही मरीज दिखाते हैं। जिससे ओपीडी में अनावश्यक भीड़ नहीं होती। यही व्यवस्था अगर सरकारी अस्पतालों में भी हो तो लोग लाइनों में लगने के स्थान पर अपना नंबर आने तक आराम से बैठ सकते हैं।
- भीमराज गुर्जर, नयागांव
असपतालों की ओपीडी में हमेशा भीड़ रहती है कोई कहीं से भी आकर घुस जाता है और पहले से लाइन में लगने वाले रह जाते हैं अगर टोकन व्यवस्था चालू हो तो इन समस्याओं को समाधान हो सकता है।
- दिनेश मेवाड़ा, डीसीएम
टोकन व्यवस्था अपस्पतालों में होना जरूरी है क्योंकि ऐसी व्यवस्था नहीं होने से जिनका नंबर पहले होता है वो पीछे रह जाते हैं और जिनका बाद में होता है वो आगे निकल जाते हैं। टोकन होने से सबको अपना नंबर पता होगा और उसी के अनुसार दिखा सकेंगे।
- अर्जुन कुमार, प्रेम नगर
असपतालों में कई बार भीड़ बहुत ज्यादा होती है जिसमें दिखाना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि सब अपना नंबर के लिए बिना किसी लाइन के आस पास खड़े हो जाते हैं जिससे बीमारी फैलने का भी खतरा रहता है। टोकन व्यवस्था हो तो इससे निजात मिल सकती है।
- राजेंद्र नायक, बोरखेड़ा
अस्पताल में एक दिन की ओपीडी में हजार से ज्यादा मरीज आते हैं जिनमें कई समझदार होते हैं कुछ नहीं। जिससे व्यवस्थ बिगड़ जाती है, अगर ऐसी जरूरत है तो टोकन व्यवस्था लागू करने पर विचार करेंगे। साथ ही भीड़ कम करने के भी प्रयास करेंगे।
- धर्मराज मीणा, अधीक्षक, एमबीएस
नवीन चिकित्सालय में मरीज भार ज्यादा है ऐसे में एक साथ इतने मरीजों में टोकन व्यवस्था लागू करना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि कई बार किसी मरीज की गंभिरता को देखते हुए नियम तोड़ने पड़ जाते हैं। लेकिन टोकन व्यवस्था को लागू करने पर विचार करेंगे।
- आरपी मीणा, अधीक्षक, नवीन चिकित्सालय
जेके लोन में केवल प्रसूति और शिशु से संबंधित रोगों की ही ओपोडी चलती है। मरीज भार कम होने से अव्यवस्था नहीं होती है। कभी कभार मरीज ज्यादा आने से व्यवस्था बिगड़ने पर संभाल लिया जाता है। टोकन व्यवस्था अच्छा विकल्प है जिससे लागू करने की संभावनाएं देख कर इसे चालू करने की कोशिश करेंगे।
- अशुतोष शर्मा, अधीक्षक, जेके लॉन
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