भारत की जनसंख्या का यूएनएफपीए की रिपोर्ट में खुलासा, 77 साल में आबादी हो जाएगी दोगुनी
एलजीबीटीक्यू की स्थिति आदी के बारे में भी डेटा दिया गया है
रिपोर्ट में जनसंख्या के साथ-साथ नवजात बच्चों की मौत, महिलाओं और एलजीबीटीक्यू की स्थिति आदी के बारे में भी डेटा दिया गया है।
नई दिल्ली। आबादी के मामले में भारत चीन से आगे निकल चुका है, देश की जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूएनएफपीए की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि भारत की कुल आबादी 144 करोड़ है। 2011 में जब जनगणना की गई थी तब भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी। भारत में आखिरी जनगणना 2011 में की गई थी, उस वक्त भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा आबादी वाला देश था और देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी। भारत की ताजा जनसंख्या पर यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) ने रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन गया है। भारत की जनसंख्या 144 करोड़ हो गई है, इसमें 24 फीसदी आबादी 0 से 14 साल से कम उम्र की है। इस रिपोर्ट में ये भी अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी आने वाले 77 सालों में दोगुनी हो जाएगी। रिपोर्ट में जनसंख्या के साथ-साथ नवजात बच्चों की मौत, महिलाओं और एलजीबीटीक्यू की स्थिति आदी के बारे में भी डेटा दिया गया है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में मातृ मृत्यु में काफी भारी गिरावट आई है।
किस आयु के कितने लोग
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 144.17 करोड़ आबादी में 24 फीसदी आबादी 0-14 साल की है, जबकि 17 फीसदी आबादी 10-19 साल के अंदर है। इतना ही नहीं, 10-24 साल वाले भी भारत में 26 फीसदी हैं, जबकि 15-64 आयु वर्ग के सबसे ज्यादा 68 फीसदी हैं। इसके अलावा भारत की 7 फीसदी जनसंख्या 65 साल और उससे ज्यादा उम्र की है, जिसमें पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 71 साल और महिलाओं की 74 साल है।
मातृ मृत्यु पर भारत की सराहना
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मातृ मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है, जोकि दुनिया भर में ऐसी सभी मौतें का 8 फीसदी है। भारत में इस सफलता का क्रेडिट सरकार के सस्ती और अच्छी स्वास्थ सेवाओं को जनता तक पहुंचाना और लैंगिक भेदभाव को कम करने के प्रयासों को दिया है। सर्वे में पता चला है कि भारत के 640 जिलों में एक तिहाई जिलों ने मातृ मृत्यु कम करने के लिए सतत विकास लक्ष्य हासिल कर लिया है। बता दें भारत सरकार द्वारा नवजात की मृत्यु दर को कम करने और शिशुओं और माओं को पौष्टिक आहार मुहैया कराने के लिए कई स्कीम चलाई जा रही हैं। इसके अलावा अच्छे और सस्ते स्वास्थीय ने भी जनसंख्या बढ़ोत्तरी में अहम किरदार निभाया है।
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