प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं, चुनावी चेहरे और कमान को लेकर अंदरूनी खींचतान

प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं, चुनावी चेहरे और कमान को लेकर अंदरूनी खींचतान

राजस्थान में सत्ता पक्ष में अंदरूनी सियासत गरमाई हुई है, लेकिन भाजपा में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चुनाव दूर होने के बावजूद भाजपा में भी धीरे-धीरे पार्टी का चुनावी फेस और कमान को लेकर खींचतान की लड़ाई तेज होने लगी है।

जयपुर। राजस्थान में सत्ता पक्ष में अंदरूनी सियासत गरमाई हुई है, लेकिन भाजपा में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चुनाव दूर होने के बावजूद भाजपा में भी धीरे-धीरे पार्टी का चुनावी फेस और कमान को लेकर खींचतान की लड़ाई तेज होने लगी है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के हाथों में प्रदेश की कमान है, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की पार्टी से दूरी और उनकी अहमियत कम होना जगजाहिर है। कई बार दोनों गुटों के बीच की लड़ाई दिल्ली नेतृत्व के सामने जा चुकी है। आपसी लड़ाई हालांकि पूनिया के अध्यक्ष बनने से ही जारी है। दोनों गुटों से संगठन भी दिल्ली में कई दफा सीधी बात कर चुका है, लेकिन अंदरखाने आपसी झगड़ा बरकरार है। हालांकि दोनों ओर की लीडरशिप की ओर से कोई सीधी बयानबाजी नहीं है, लेकिन समर्थक नेता अब मुखर होने लगे हैं। हाल ही में वसुंधरा समर्थक कोटा जिले के दो पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत का बयान इस ओर इशारा कर रहा है कि भाजपा में खेमेबंदी कमत्तर नहीं है। दोनों नेताओं ने प्रदेश में राजे को पार्टी का चेहरा बनाने और उनके नेतृत्व में ही चुनाव जीतने जैसे बयान दिए हैं।

गरमाएगी चेहरे की लड़ाई  
-वसुंधरा की प्रदेश में ना के बराबर राजनीतिक सक्रियता, पार्टी बैठकों में तवज्जो नहीं मिलना और उनकी गैर मौजूदगी भी बता रही है कि सबकुछ ठीक नहीं।
-विधानसभा उपचुनावों की पार्टी रणनीतिक बैठकों और प्रत्याशी चयन में राजे को नजरदांज किया गया। कोर कमेटी की बैठक भी उपचुनाव पर नहीं हुई। ना ही वे चुनाव प्रचार में नजर आर्इं। पूनिया ने तब कहा था कि जरूरत और मांग के हिसाब से नेताओं को प्रचार में भेजेंगे।
-वसुंधरा के धुर विरोधी माने जाने वाले घनश्याम तिवाड़ी को उनकी बिना सहमति के पार्टी में वापसी हुई। राजे इसे लेकर मौन रहीं।
-प्रदेश में वसुंधरा के नाम से अलग टीम को लेकर भी राजनीति गरमाई। नेता दिल्ली तक तलब हुए।
-वसुंधरा ने 8 मार्च को अपने जन्मदिन पर भरतपुर में रोड शो कर अपनी ताकत दिखाई। प्रदेशभर में धार्मिक यात्रा का कार्यक्रम बना, लेकिन कोरोना लहर से यह नहीं हो सकी। प्रदेश नेतृत्व ने इसकी शिकायत दिल्ली तक दी।
-कोरोना में भाजपा ने सेवा ही संगठन के तहत जनहित कार्य शुरू किया। वहीं वसुंधरा समर्थक नेताओं ने अलग से समानान्तर वसुंधरा जनरसोई प्रदेशभर में चलाकर उनकी लोकप्रियता जाहिर करने का संदेश दिया।
-भाजपा ऑफिस के बाहर लगी नई होर्डिंग में वसुंधरा का फोटो गायब है। उनके समर्थक अंदरखाने इसका विरोध कर रहे हैं।
-मेयर के निलंबन के बाद जयपुर में वसुंधरा समर्थक दो विधायक अंदरखाने सौम्या को हटवाने के पक्ष में हैं। पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली रिपोर्ट भेजी है।

वसुंधरा के चेहरे बिना राजस्थान में सत्ता संभव नहीं: गुंजल  
कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने बुधवार को एक बड़ा बयान दिया है। इसमें कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बड़े कद की नेता हैं। भाजपा के पोस्टर से उनके फोटो हटाने व लगाने वालों को यह समझना होगा कि उनके चेहरे के बिना राजस्थान में भाजपा का राज नहीं आ सकता। गुंजल ने कहा कि पोस्टरों से वसुंधरा राजे के फोटो हटाने व लगाने वालों की मानसिकता क्या है। यह तो वे नहीं जानते। लेकिन पोस्टर हटाने व लगाने वाले सभी का एक ही मकसद है। राजस्थान में भाजपा का राज लाना। राजस्थान में भाजपा का राज लाना है तो वसुंधरा राजे के चेहरे को आगे करना ही होगा। उनके कद के बराबर राजस्थान में भाजपा का कोई नेता नहीं है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि वसुंधरा राजे के अलावा बाकी सभी उनके कद के बराबर के नेता हैं। वे मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं हो सकते। किसी का पद बड़ा होने से कद बड़ा नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि सभी को यह समझना चाहिए। समय आने पर समझ भी आ जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा में कुछ समय से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।कुछ विधायक व पूर्व विधायक उनके पक्ष में कार्यक्रम भी कर चुके हैं। साथ ही कुछ समय से भाजपा के पोस्टरों में से वसुंधरा राजे का फोटो गायब है। उनके स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के फोटो लगाए जा रहे हैं। इससे यह माना जा रहा है कि अगले चुनाव में भाजपा वसुंधरा राजे को दरकिनार करने वाली है। उनके स्थान पर किसी ओर नेता को आगे लाया जा रहा है। 

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