सालों का ट्रेंड कायम; प्रदेश में 10 से 25 जून के बीच रहा सर्वाधिक पेयजल संकट

90 शहरों और 14 हजार से अधिक गांव-ढाणियों में टैंकरों की रही डिमांड

सालों का ट्रेंड कायम; प्रदेश में 10 से 25 जून के बीच रहा सर्वाधिक पेयजल संकट

विभागीय अधिकारियों के अनुसार बारिश के साथ ही अब गांव और शहरों में पेयजल की डिमांड में कमी होने लगेगी।

जयपुर। पिछले एक दश से चला आ रहा ट्रेंड इस बार भी प्रदेश में जारी रहा। अर्थात दस से 25 जून के बीच प्रदेश में पानी का संकट चरम पर रहा। करीब 90 शहरों और 14 हजार से अधिक गांव-ढाणियों में 15 दिन में पानी को लेकर टैंकरों से आपूर्ति की गई। प्री-मासनून की बारिश जलदाय विभाग के लिए राहत देने वाली साबित हुई है। राहत की खबर यह भी रही कि अब राज्य के कई बांधों में पानी की आवक भी शुरू हो गई हैं। जिले को आपात स्थिति में पेयजल मुहैया करवाने 50-50 लाख रुपए का प्रावधान किया गया था, जिसमें भी अधिकतर जिलों ने राशि का शत-प्रतिशत उपयोग कर लिया हैं।

बांधों में पानी की आवक
मानसून के साथ ही प्रदेश के कई बांधों में पानी की आवक भी शुरू हो गई हैं। फ्लड कंट्रोल सेल के आंकड़ों के अनुसार कोटा संभाग के बांधों में पानी की पिछले 24 घंटे में आवक सामने आई हैं। ऐसे में अब लोगों की आस बीसलपुर बांध में आने वाले पानी की आवक पर टिकी हुई हैं, बीसलपुर में लगातार पानी का स्तर गिरता जा रहा हैं।

बारिश होते ही डिमांड में कमी
विभागीय अधिकारियों के अनुसार बारिश के साथ ही अब गांव और शहरों में पेयजल की डिमांड में कमी होने लगेगी। ऐसे संभावना यही है कि अगले माह जुलाई के शुरुआत से ही पेयजल की काफी हद तक समस्या का समाधान हो जाएगा। दो दिन पहले जो डिमांड आ रही थी, उसमें एकदम से कमी आई है।

रूरल पीएचईडी के चीफ इंजीनियर, के.डी. गुप्ता ने कहा कि हमेशा जून के आखिर में मानसून सक्रिय होने तक पानी की शिकायतें आती हैं, अब धीरे-धीरे कम हो रही है। अगले सप्ताह से सामान्य स्थिति सामने आ जाएगी।

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