पुरातत्व विभाग की लाइब्रेरी में बसा 11 हजार से अधिक किताबों का संसार, कई किताबें 100 साल से ज्यादा पुरानी
प्राचीन और ऐतिहासिक किताबों का संसार है
कहते हैं कि किताबें ही आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही आदमी की पहचान भी। कुछ ऐसी ही खास किताबों का संग्रह पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की लाइब्रेरी में है, जहां 11 हजार 070 प्राचीन और ऐतिहासिक किताबों का संसार है।
जयपुर। कहते हैं कि किताबें ही आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही आदमी की पहचान भी। कुछ ऐसी ही खास किताबों का संग्रह पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की लाइब्रेरी में है, जहां 11 हजार 070 प्राचीन और ऐतिहासिक किताबों का संसार है। इनमें मूर्तिकला, चित्रकला, मध्यकालीन इतिहास, स्थापत्य कला, पुरातत्व शास्त्र, ललिता कला, मुद्रा शास्त्र और इतिहास विषय पर 100 से 130 साल पुरानी किताबों का अच्छा संग्रह देखने को मिलता है। इनमें मुख्यतय 1894 में मुंशी हरदास सिंह भार्गव द्वारा लिखी ‘राजस्थान ज्योग्राफी’, हैंडले द्वारा 1895 में लिखी किताब हैंडबुक ऑफ जयपुर म्यूजियम, 1890 में लिखी पुस्तक जयपुर पोर्टफोलियो’ सहित अन्य शामिल हैं। कहा जाए, तो यहां 19वीं शताब्दी के उतरार्द्ध से वर्तमान तक की किताबों का संग्रह है।
25 किताबों का डिजिटलाइजेशन
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने आधिकारिक वेबसाइट पर ई-पुस्तकालय का विकल्प भी दिया है। जहां शोधार्थी आहाड में उत्खनन, भारत के देसी राज्य, संरक्षण नियमावली, चन्द्रावती, पुरातात्विक अवशेष और खुदाई सांभर, द ममी, जयपुर शहर का इतिहास, रायर की खुदाई, जयपुर संग्रहालय के लिए हाथ पुस्तिका, भारत के वस्त्र निर्माण के चित्रण, उल्वर और इसकी कला खजाने, एशियाई कालीन, सरकार जयपुर अधिनियम, 1944 सहित 25 किताबों की जानकारी दी गई है।
कई किताबें हैं 100 साल से ज्यादा पुरानी
विभाग की लाइब्रेरी में 100 से अधिक साल पुरानी किताबों की संग्रह है, जहां अध्ययन में रूचि रखने वाले शोधार्थी आकर इन्हें पढ़ते हैं।
- खड़गावत, निदेशक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग
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