महाराष्ट्र चुनाव : भाजपा के सामने सहयोगी पार्टियों को एडजस्ट करने की चुनौती
उसने शीर्ष नेतृत्व तक को चिंतित कर दिया है
महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक और सेफोलॉजिस्ट दयानंद नेने कहते हैं कि इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है।
मुंबई। महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पेशानी पर अभी से बल पड़ रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के बाद जिस तरह बड़े स्तर पर इस्तीफे हुए हैं, उसने शीर्ष नेतृत्व तक को चिंतित कर दिया है। महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि हरियाणा में तो नेताओं ने सूची जारी होने के पहले पार्टी को बॉय बॉय बोला है महाराष्ट्र में यह सिलसिला और पहले शुरू हो सकता है।
महाराष्टÑ विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 288 है। बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन इस बार उसके साथ एक नहीं दो पार्टनर को एडजस्ट करने की चुनौती है। इनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। इन दोनों पार्टनरों के अलावा महायुति में कुछ छोटे दल भी हैं। अब देखना यह है बीजेपी कैसे अपनी सीटों की संख्या को कम नहीं करते हुए दो बड़े सहयोगियों को एडजस्ट करती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यहां भाजपा अपने जिन नेताओं को काट कर सहयोगी दलों को एडजस्ट करेगी, वे अन्य पार्टियों की टिकट पर खड़े होकर पार्टी की हार का कारण बनेंगे। महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक और सेफोलॉजिस्ट दयानंद नेने कहते हैं कि इसमें दो राय नहीं कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी है।
बीजेपी राज्य की 240 सीटों पर अच्छी उपस्थिति रखती है। यही बीजेपी की मजबूती है, लेकिन 2024 विधानसभा चुनावों के लिहाज से देखें तो पार्टी के सामने चुनौती है कि जहां वह जीती है और नंबर दो पर रही है, उन सीटों को अपने पास रखे, क्योंकि वहां के नेता टिकट की अपेक्षा लगाए हुए हैं। महायुति की सीट शेयरिंग में बीजेपी 164 सीटों से जितनी नीचे जाएगी, उतनी ही मुश्किल बढ़ेगी। बीजेपी के जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। उनके सामने दो ही विकल्प होंगे या वे महायुति के कैंडिडेट को स्वीकार करें या फिर किसी और पार्टी से चुनाव लड़ें।
बीजेपी ने 2019 के चुनावों में उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली अविभाजित शिवसेना को 124 सीटें दी थीं। हालांकि शिवसेना 56 सीटें ही जीत पाई थी। इस बार बीजेपी के सामने शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राष्टÑवादी कांग्रेस पार्टी को सम्मानजनक सीटें देने का दबाव है। इसके साथ ही छोटे दल जो बीजेपी के सहयोगी रहे हैं। उन्हें भी सीटें देनी होंगी। इनमें नवनीत राणा के पति रवि राणा की पार्टी और महादेव जानकर की आरएसपी जैसी पार्टियां प्रमुख हैं।
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