जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है, कद आसमान का

पुरुषों के अखाड़े में 14 साल की उम्र में तलवार बाजी कर सब को किया दंग

जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है, कद आसमान का

महिलाओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाने की शुरुआत पिछले दो साल से चल रही है।

कोटा। मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से ही उड़ान होती है। ऐसी ही युवतियां जो महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने और अपने को पुरुषों से कम नहीं समझने का दम भरने वाली बालिकाएं पुरुष प्रधान समाज में अपने वजूद को उच्च मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। कोई आत्मरक्षा के लिए तो कोई अपने को लड़कों से बेहतर साबित करने के लिए अखाड़ों में अपने दांव पेच चला रही है। कोटा का जय महावीर अखाड़ा ऐसा है जहां लड़के व  लड़कियां दोनों  शक्ति और शौर्य का प्रदर्शन करने के लिए करतब सीख रही है। लेकिन यह कहानी है बिना पिता के छत्र छाया में बढ़ी हुई 22 साल की निकिता शर्मा की, जिसने अपनी मां को बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी स्वयं ही बेटा बन अखाड़े में उतरी और हर वो काम किया जो लड़के करते है। जब पहली बार 14 साल की उम्र में निकिता शर्मा  पुरुषों के अखाड़े उतरी तब उसको  भी नहीं पता था उसने जो रास्ता चुना है वो उसको किस ऊंचाई तक ले जाएगा। लेकिन आज उसका यह  जनून अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा बना हुआ है। उसको देखकर आज अखाड़े दस से अधिक लड़कियां अपनी कला का प्रदर्शन कर रही है। निकिता शर्मा ने  लड़कियां लड़कों से कम नहीं होती है को साबित करने के लिए जंग शुरू की और आखिर वो अपने मुकाम पर पहुंच ही गई। निकिता का कहना है कि  जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है कद आसमान का। 

पिता नहीं थे, लड़की को बोल्ड बनाना जरूरी था
निकिता शर्मा की माता अनिता शर्मा ने बताया कि पति सत्यनारायण शर्मा की मृत्यु निकिता जब सवा साल की थी तभी हो गई थी। ऐसे में बेटी को पिता और माता दोनों का प्यार दिया और उसको लड़कों की तरह बोल्ड बनाने के लिए अखाड़े में भेजना शुरू किया ताकि वो अपनी आत्मरक्षा स्वयं कर सकें।

आठवीं कक्षा पढ़ में रही थी तभी शुरू किया अखाड़े का सफर
निकिता शर्मा ने बताया कि वह जब 14 साल की थी आठवीं कक्षा में पढ़ रही थी। तभी लड़कों बाइक चलाते हुए और अखाड़ों में प्रदर्शन करते देखती तो मेरा मन भी करता कि एक साथ सौ लड़कों से मुकाबला कर सकूं ऐसा हुनर मुझे सीखना चाहिए। हमारे घर के पास ही आदर्श नगर गुमानपुरा में जय महावीर व्यायाम शाला अखाड़ा चलता था। मैं वहां लड़कों को तलवारबाजी, लट्ठ चलाने और विभिन्न करतब करते देखती तो मुझे यह सब  सिखने की इच्छा जागी। एक दिन में अखाड़े में पहुंच गई। वहां महावीर चौहान उर्फ  पिंटू उस्ताद मिली। कहा मुझे में तलवार चलाना लट्ठ चलाना सीखना है।  मैं जब पुरुष अखाड़े पहुंची तो लगा यहां तो मेरी कॉलोनी की लड़के ही अभ्यास कर रहे है। मेरा शुरू से ही पेशन रहा है मैं बॉयज की तरह हर वो काम करू जो लड़के करते है। मन एक विश्वास था कि मैं अपने को इतना काबिल करूंकी रास्ते में सौ लड़के भी मिल जाए तो मैं उनका मुकाबला कर सकूं। जब में छोटी थी तब अखाड़े के भारी औजार नहीं उठा सकती थी तो उस्ताद ने मेरे लिए तलवार और अन्य औजार छोटे कराए और अभ्यास कराया। पिछले 10 साल से जय महावीर अखाड़े में अकेली लड़की लड़कों के साथ तलवारबाजी और अन्य शस्त्रों का प्रदर्शन कर रही हूं। बीए कर अभी निजी कंपनी में जॉब कर रही हूं। शादी के बाद भी यह प्रदर्शन जारी है। पिछले तीन साल से अखाड़े में अखाड़े में करीब दस बारह लड़कियां अभ्यास कर रही है। 

बच्ची की जिद के आगे हमें झुकना पड़ा, फिर सिखाया हुनर 
जय महावीर व्यायाम शाला के महावीर चौहान उर्फ पिंटू उस्ताद ने बताया कि यह अखाडा पिछले 20 साल से चल रहा है।  आज से करीब सात पहले 14 साल की एक बच्ची निकिता रोज शाम को अखाड़ा देखने आती थी। एक दिन उसने मेरे पास आकर कहा मुझे में अखाड़ा सीखना तलवार चलाना है। मैने कहा यहां सभी लड़के है। यह तुम्हारे बस का नहीं है। लेकिन उसने जिद ठान ली मुझे सीखना है। ही तीन चार दिन रोज आती और जिद करती आखिर हमकों उसके आगे झुकना पड़ा। उसको देखकर पिछले दो तीन साल से अन्य लडकियां भी आने लगी अभी 12 लड़कियां अभ्यास कर रही है। 

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युवतियों की आत्म सुरक्षा के लिए उठाया बीड़ा
जय महावीर व्यायाम शाला के गुरु व अध्यक्ष भंवर सिंह पंवार ने बताया कि पिछले बीस साल से अखाड़े का संचालन कर रहे यहां सवा सौ से अधिक बच्चे अखाड़े में दाव पेंच सिख रहे है। यहां महावीर सिंह पिंटू उस्ताद व शिवराज सिंह बच्चों को हुनर सिखा रहे हैं। महिलाओं को आत्म रक्षा के गुर सिखाने की शुरुआत पिछले दो साल से चल रही है। इससे पहले एक मात्र बच्ची निकिता ने अखाड़े कला सीखी उसको देखकर आसपास की कॉलोनियों की लड़कियां भी अब अखाड़े आने लगी है। 

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लाइफ में सब कुछ सीखना चाहिए
प्रथम वर्ष की छात्रा इशिका गौतम ने बताया कि महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को देखते हुए लड़कियों को अब हर क्षेत्र में आॅल राउंडर होने की आवश्यकता है। पिछले दो साल से अखाड़े में तलवार, बनेठी और अन्य अस्त्र चला सीख रही हूं। अनंतचर्तुदशी के जुलूस में पिछले साल प्रदर्शन किया। लड़कों के बीच अखाड़े में शस्त्र चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं हर गलती सुधार मांगती है। वहीं हर्षिता राठौर ने बताया कि उसके पिता पोहे की दुकान लगाते उन्हें मुझे आत्म निर्भर बनाने के लिए अखाड़े में भेजा। वहीं काजल शर्मा पिछले एक साल से अखाडेÞ में अभ्यास कर रही है। इसके अलावा अंजली सांवरिया, निशा सेन, हिमाद्री राठौर भी अखाड़े जोहर दिखा रही है। सिद्धि राठौर ने बताया कि उन्होंने अपने चाचा अजय राठौर पिता पवन राठौर को अखाडेÞ में जाते देखा तो उसका मन भी तलवार बाजी और लट्ठ चलाने के लिए हुआ पिछले तीन साल से अखाडे में प्रदर्शन कर रही है। 

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