हरियाणा विधानसभा चुनाव : कांग्रेस के गढ़ में 3 पंजाबियों के बीच जबरदस्त टक्कर

प्रमोद विज को चुनावी मैदान में उतारा है

हरियाणा विधानसभा चुनाव : कांग्रेस के गढ़ में 3 पंजाबियों के बीच जबरदस्त टक्कर

भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रमोद विज को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने हुकुमत राय के छोटे पुत्र एवं पांच बार विधायक रहे बलबीर पाल के भाई वरिन्दर को टिकट दिया है।

पानीपत। जीटी बेल्ट की पानीपत शहर सीट। इस सीट को जनसंघ-भाजपा के फतेहचंद विज और कांग्रेस के नेता हुकुमत राय के नाम से भी जाना जाता है। भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रमोद विज को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने हुकुमत राय के छोटे पुत्र एवं पांच बार विधायक रहे बलबीर पाल के भाई वरिन्दर को टिकट दिया है।

भाजपा विधायकों ने दो बार लिया सत्ता का सुख
हरियाणा बनने के बाद कुल 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। भाजपा के विधायकों को मात्र दो बार, यानि 2014 और 2019 में ही सत्ता का सुख लिया है, लेकिन मंत्री फिर भी नहीं बन सके। वर्ष 1996 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते ओमप्रकाश जैन हरियाणा विकास पार्टी-भाजपा की गठबंधन सरकार में परिवहन मंत्री बनाए गए थे। कांग्रेस के बलबीर पाल भी मंत्री रह चुके हैं।

इसलिए हॉट सीट
वर्ष 1962 से अब तक सात बार जनसंघ-भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं। 2019 का चुनाव उनके उत्तक पुत्र प्रमोद विज ने जीता था। छह चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। 1972 हुकुमत राय । 1987, 1991, 2000, 2005 और 2009 में बलबीर पाल जीते। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर लड़ी रोहिता रेवड़ी ने कांग्रेस के प्रत्याशी रहे वरिन्दर बड़े अंतर से हराकर परिवार के राजनीतिक किले को ढहाने में सफल रहीं।

साधने होंगे अधिक पंजाबी वोट
कांग्रेस के वरिन्दर के समक्ष भी भाजपा प्रत्याशी के जैसी ही चुनौतियां हैं। पंजाबी वोटों को अपने खेमे में करने के लिए वे भी पूरा जोर लगा रहे हैं। चर्चा है कि रेवड़ी भाजपा को अधिक नुकसान पहुंचाएंगी। 2014 में रोहिता 92757 मत लेकर विजेता बनी थी जबकि शाह 39036 वोट ले पाए थे।

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व्यापारी और उद्यमियों के वोट भी ज्यादा
शहर में व्यापारी और उद्यमी वर्ग की संख्या बहुत अधिक है। इनमें वैश्य समाज के मतदाता भी शामिल हैं। इन्हीं से जुड़ा मजदूर वर्ग, इनमें भी प्रवासियों की संख्या बहुतायत है। इन दोनों वर्गों के मतदाताओं की संख्या को जोड़ दें तो सभी के जातिगत समीकरण बिगड़ जाएंगे। ये वोटर्स किस ओर का रुख करेंगे, यह चिंता तीनों प्रमुख प्रत्याशियों को सता रही है।

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