‘‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’’: यह योजना 1 जनवरी, 2025 से होगी लागू

छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए ज्ञान की नई राह

‘‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’’: यह योजना 1 जनवरी, 2025 से होगी लागू

केंद्र सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’’ (ओएनओएस) योजना को मंजूरी दी

जयपुर। केंद्र सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’’ (ओएनओएस) योजना को मंजूरी दी। यह योजना देश के छात्रों, शिक्षकों और शोधकतार्ओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित शोध लेखों और पत्रिकाओं की आसान और मुफ्त पहुंच सुनिश्चित करेगी। इस पहल का उद्देश्य न केवल शिक्षा क्षेत्र में समानता और समृद्धि लाना है, बल्कि भारत को वैश्विक शोध और नवाचार के मानचित्र पर एक मजबूत स्थान दिलाना है। यह योजना 1 जनवरी 2025 से लागू होगी।

राजस्थान : सभी शैक्षिक स्तरों पर 1.80 करोड़ छात्र
प्रारंभिक चरण में 6,300 सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और शोध केंद्रों के करीब 1.8 करोड़ छात्र, शिक्षक और शोधकर्ता इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।

भविष्य में इसका विस्तार कर इसे देश के सभी शैक्षणिक और शोध संस्थानों के साथ-साथ आम नागरिकों तक ले जाने की योजना है
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधारित प्रक्रिया

जर्नल्स और शोध लेखों का एक्सेस इन्फॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क (इन्फ्लिबनेट) द्वारा संचालित एक विशेष पोर्टल से मिलेगा।
यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी, जिससे शिक्षकों और शोधकतार्ओं को किसी भी स्थान से सामग्री प्राप्त करने की सुविधा होगी।
इसके साथ ही, नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) समय-समय पर इस योजना के उपयोग और शोध संस्थानों के वैज्ञानिक प्रकाशनों की समीक्षा करेगी।

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शिक्षा और नवाचार में समानता
शिक्षा विशेषज्ञों और शोधकतार्ओं का मानना है कि यह योजना भारत में ज्ञान के लोकतांत्रिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इस कदम से न केवल ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के छात्रों और शोधकतार्ओं को लाभ मिलेगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शोध की पहुंच और प्रभाव को भी बढ़ाएगा।

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13,000 अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स का एक्सेस
इस योजना के तहत देशभर के शोधकतार्ओं और शैक्षणिक संस्थानों को 30 से अधिक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित 13,000 से अधिक जर्नल्स और पत्रिकाओं का डिजिटल एक्सेस मिलेगा। इन प्रकाशकों में दुनिया के अग्रणी नाम शामिल हैं:

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एल्सेवियर साइंसडायरेक्ट
स्प्रिंगर नेचर
वाइली ब्लैकवेल
बीएमजे जर्नल्स
टेलर एंड फ्रांसिस
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस
योजना से जुड़े आंकड़े और लक्ष्य
देश : सभी शैक्षिक स्तरों पर 30.40 करोड़ छात्र

शोध के लिए नई क्रांति
वर्तमान में, विदेशी शोध पत्रिकाओं का सब्सक्रिप्शन विश्वविद्यालय और शोध संस्थान स्वतंत्र रूप से करते हैं। शोध पत्रिकाओं के अत्यधिक महंगे होने के कारण यह व्यवस्था छोटे और सीमित बजट वाले संस्थानों के लिए मुश्किल बन जाती थी। इस समस्या के समाधान के लिए ‘‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’’ योजना आर्थिक बोझ कम करेगी और शिक्षा बजट का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, सरकार का यह प्रयास अन्य देशों जैसे जर्मनी और उरुग्वे के समान है, जहां इस तरह की योजनाएं पहले से ही सक्रिय हैं।
कैसे लागू हुआ? सरकार ने सभी बड़े प्रकाशकों से समझौते कर सामग्री को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए उपलब्ध कराया।

छोटे और ग्रामीण संस्थानों को भी वैश्विक शोध तक पहुंच मिली।
शोध की गुणवत्ता में सुधार हुआ और स्टार्टअप्स को नई दिशा मिली।
उरुग्वे के शिक्षा और नवाचार सूचकांक में सुधार हुआ।

अन्य देशों के उदाहरण

स्वीडन
नेशनल कंसोर्टियम मॉडल अपनाकर छात्रों और शोधकतार्ओं को समान एक्सेस प्रदान किया।

फिनल्
ओपन एक्सेस पब्लिकेशन को बढ़ावा देकर ज्ञान के प्रसार को तेज किया।

दक्षिण कोरिया
राष्ट्रीय लाइसेंसिंग के जरिए शोध और विकास (फ&ऊ) को मजबूत किया।

भारत के लिए सीख
जर्मनी और उरुग्वे जैसे देशों के सफल मॉडलों ने शिक्षा और शोध के क्षेत्र में समानता और नवाचार को बढ़ावा दिया है। भारत की "वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन" योजना छात्रों, शिक्षकों और शोधकतार्ओं के लिए शोध और ज्ञान के द्वार खोल सकती है। इससे न केवल ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों को लाभ होगा। बल्कि भारत वैश्विक स्तर पर शोध और नवाचार के क्षेत्र में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।

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