सात समंदर पार से कोटा पहुंचे विदेशी परिंदे
पक्षियों की चहचहाट से गुलजार हो रहे वेटलैंड
विदेशों में बर्फबारी होने से माइग्रेट कर कोटा आ रहे पक्षी।
कोटा। सर्दी बढ़ने के साथ ही विदेशी परिंदों का हजारों किमी का सफर कर कोटा पहुंचना शुरू हो गया है। कजाकिस्थान, उजबेकिस्थान, साइबेरिया, मंगोलिया, रूस, चीन, उत्तरी अमेरिका सहित कई देशों से बड़ी संख्या में परिंदे शिक्षा नगरी की आबो-हवा में परवाज भर रहे हैं। यूरोपियन व एशियाई देशों में बर्फबारी होने से अपने अनुकूल वातावरण व भोजन की तलाश में यह परिंदे सात समंदर पार कर देश के विभिन्न राज्यों में अपना आशियाना बना रहे हैं। इन दिनों कोटा के दो दर्जन से अधिक वेटलैंड पर देसी-विदेशी पक्षियों पक्षियों का कलरव चहकने लगा है।
यूरोपियन व सेंट्रल एशियाई देशों से आए पक्षी
नेचर प्रमोटर एएच जैदी का कहना है, विदेशी पक्षियों का कारवां यूरोपियन व सेंट्रल एशियाई देशों से कोटा पहुंचे हैं। इनमें कजाकिस्थान, उज्बेकिस्थान, साइबेरिया, तिब्बत, नेपाल, हिमालय, स्वजरलैंड, उत्तरी अमेरिका, चीन, रूस सहित करीब एक दर्जन देशों से 10 हजार एयर किमी का सफर कर बड़ी संख्या में मेहमान प्रवास पर आए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में कॉमन कूट, स्पोर्ट बिल परपल, मुरहेंन रुद्दी शेल डक, वाइट आई पोचर्ड, स्पूनबिल, सारस क्रेन बारहेडेड, ओपन बिल स्टोर्क, वाइट आईबीज, ग्लॉसी आईबीज, लेसर विस्लिंग, टील लिटिल ग्रीव, कोरमोरेंट पौंड हेरॉन, पर्पल हेरॉन दिखायी दे रहे हैं।
इन इलाकों में जमाया डेरा
जैदी ने बताया कि कोटा के विभिन्न इलाकों में स्थित वेटलैंड देसी विदेशी पक्षियों का कलरव गूंज रहा है। आलनिया, उम्मेदगंज, अभेड़ा, जोहरा बाई, गोपाल विहार, किशोर सागर दरा, रानपुर व लाखावा तलाब, उदपुरिया, बरधा बांध, गिरधरपुरा, बोराबांस तालाब सहित कई इलाके परिंदों की चहचहाट से गुलजार हो रहे हैं। कोटा की आबोहवा में बेखौफ परवाज भरते परिंदों की अळखेलियां लोगों को आनंदित कर रही है। हाड़ौती का मौसम इन परिंदों के अनुकूल होने से इनकी संख्या में इजाफा हो रहा है।
4 माह तक प्रवास पर रहेंगे यह पक्षी
पक्षी प्रेमी जुनैद शेख ने बताया कि यहां विदेशी पक्षियों में कॉमन कूट, रूडी शेल डक, बार हैडेड गूज, ग्रेलेक गूज, पिनटेल, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, गार्गेनि टील, गढ़वाल कॉटन टील, इरेशियन करल्यू, स्टेपी ईगल, ब्लू थ्रोट, ग्रेलेक गूंज, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क शामिल हैं। इनके अलावा स्थानीय पक्षियों से भी तालाब गुलजार हो रहे हैं। इनमें लेसर विस्लिंग टील, स्पॉट बिल डक, आॅप्रबिल स्टॉर्क, इंडियन मुरहेन, वाइट आईबीज, इग्रेट वाटर शामिल हैं। मार्च तक इनका प्रवास रहेगा।
उत्तरी अमेरिका ब्लू थ्रोट भी पहुंचा
बर्ड्स रिसर्चर हर्षित शर्मा ने बताया कि मिस्त्र का राष्टÑीय पक्षी स्टेपी ईगल और उत्तरी अमेरिका से ब्लू थ्रोट पक्षी भी अच्छी संख्या में नजर आ रहे हैं। वहीं, अलास्का, साइबेरिया व रूस से आए दुर्लभ प्रजाति के ब्लूथ्रोट पक्षियों ने डेरा डाल रखा है। इनके अलावा यूरेशियन करलेयु, रफ, व्हाइट आई पोचार्ड, व्हाइट टेल्ड लैपविग, स्पॉटेड ईगल, मार्श हैरियर, मार्श सैंड पेपर, बूटेड ईगल, रुडी शैल डक भी दस्तक दे चुके हैं।
यूरोपियन देशों में बर्फबारी से बढ़ा भोजन का संकट
पक्षी प्रेमी हरफूल शर्मा बताते हैं, उत्तरी अमेरिका के अलास्का, हिमालयी क्षेत्र और ईस्ट साइबेरिया में अक्टूबर से बर्फबारी शुरू हो जाती है। जिससे पक्षियों के लिए भोजन का संकट हो जाता है। ऐसे में तीखी सर्दी से बचने व भोजन की तलाश में ऐसे स्थानों पर आशियाना बनाते हैं, जहां इन क्षेत्रों के मुकाबले ठंड कम रहती है। विदेशी पक्षी तेज सर्दी से बचने को आशियाने की तलाश में यहां आए हैं। इनका प्रवास नवम्बर से शुरू हो जाता है, जो मार्च तक रहता है।
रेड मुनिया बनी आकर्षण का केंद्र
पक्षी प्रेमी शेख जुनैद कहते हैं, अभेड़ा तालाब में कलरफूल पक्षी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में बर्ड्स वाचर पहुंच रहे हैं। यहां रेड मुनिया, ब्लैक काइट, रेड वेंटेड, बुलबुल साइबेरियन, मुनिया सन बर्ड सहित कई कलरफूल बडर््स ने अभेड़ा में डेरा जमाया हुआ है, क्योंकि यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है।
रिसर्च का दायरा बढ़ा, शिकार पर अंकुश लगा
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अंशू शर्मा कहती हैं, बर्ड्स पर अनुसंधान लगातार बढ़ रहा है। प्रोजेक्ट वर्क व बर्ड्स वॉचिंग करने बड़ी संख्या में शोधार्थी वेटलैंड पर पक्षियों पर अध्ययन कर रहे हैं। उनकी मौजूदगी होने से शिकार संबंधित समस्याओं पर अंकुश लगा है। वहीं, लोगों में अवेयरनेस भी बढ़ी है। इसी वजह से स्थानीय व प्रवासी पक्षियों की संख्या में अपेक्षाकृत इजाफा हुआ है।
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