राजस्थान में क्रोम्स डिजीज का अब तक का सबसे विचित्र केस, जटिल सर्जरी कर बचाई जान
बीमारी के कारण 10 साल से परेशान थी महिला
महिला के 10 साल तक इस बीमारी से जूझने के बाद हॉस्पिटल के सीनियर गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जन डॉ. जलज राठी ने मिनिमल इनवेसिव सर्जरी की और उनकी जान बचाई ।
जयपुर । आंतों में सिकुड़न की गंभीर बीमारी क्रोहन डिजीज से सामान्यतया दो से पांच जगहों से छोटी आंत सिकुड़ती है, लेकिन शहर के निजी हॉस्पिटल में ऐसा अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें इस बीमारी के कारण महिला मरीज की छोटी 40 जगहों से सिकुड़ गई । महिला के 10 साल तक इस बीमारी से जूझने के बाद हॉस्पिटल के सीनियर गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल सर्जन डॉ. जलज राठी ने मिनिमल इनवेसिव सर्जरी की और उनकी जान बचाई । राजस्थान में इस तरह का पहला मामला है, जहां क्रोम्स डिजीज से किसी मरीज की छोटी आंत इतनी अधिक जगहों से सिकुड़ी हुई हो ।
लंबे समय से थी खून की कमी, कमजोरी की समस्या
डॉ. जलज राठी ने जानकारी दी कि महिला को पिछले 10 सालों से दिनभर पेट में दर्द, मल के साथ खून आना, कमजोरी रहना, दस्त होना, खून की कमी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे थे । इस दौरान उन्होंने कई अस्पतालों में परामर्श लिया । उनकी जांच में कई बार एंडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी, सीटी स्कैन जैसी जांचें हो चुकी थी, लेकिन समस्या का निदान नहीं हो पा रहा था । जब उन्होंने हमसे संपर्क किया तो हमें शुरुआत से ही क्रोम्स डिजीज की संभावना लग रही थी ।
डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कॉपी सर्जरी से हुआ निदान, मिनिमल सर्जरी से बची जान
बीमारी निश्चित करने के लिए हॉस्पिटल की टीम ने डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कॉपी सर्जरी करने का निर्णय लिया जिससे सिकुड़न वाले हिस्से देखे जा सकें । डॉ. जलज ने बताया कि क्रोहन डिजीज से आंत में अधिकतम 5 से 8 जगह सिकुड़न हो सकती है । लेकिन जब हम महिला के पेट में प्रभावित हिस्से में पहुंचे तो 35 से 40 जगहों से छोटी आंत सिकुड़ी हुई थी, जो कि बहुत ज्यादा दुर्लभ है । हमने मिनिमल इनवेसिव सर्जरी कर छोटे चीरे से ही सिकुड़े हुए हिस्से निकाल कर अलग कर दिए ।
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