कृषि विभाग कार्यालय भगवान भरोसे
सहायक कृषि निदेशक कक्ष पर लटका ताला , कार्यालय में न अधिकारी मौजूद, न चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी
यदि कर्मचारी ही सरकारी कार्यालयों में मौजूद ना हो तो सरकारी लाभ की किस प्रकार से अपेक्षा की जा सकती है। ऐसा ही एक दृश्य शुक्रवार को सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय में देखा गया। जहां कार्यालय समय के दौरान अधिकारियों की कुर्सियां खाली पड़ी हुई है एवं सरकारी योजनाए कार्यालय की अलमारियों में कैद हुई पड़ी है।
सांगोद। सरकार द्वारा आमजन को सरकारी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए कर्मचारी व अधिकारी नियुक्त किए हुए हैं एवं सरकार आमजन को लाभ पहुंचाने के लिए नई नई योजनाएं भी लाती रहती है परंतु यदि कर्मचारी ही सरकारी कार्यालयों में मौजूद ना हो तो सरकारी लाभ की किस प्रकार से अपेक्षा की जा सकती है। ऐसा ही एक दृश्य शुक्रवार को सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय में देखा गया। जहां कार्यालय समय के दौरान अधिकारियों की कुर्सियां खाली पड़ी हुई है एवं सरकारी योजनाए कार्यालय की अलमारियों में कैद हुई पड़ी है। गौरतलब है कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था संपूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर है। अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी होने के कारण कृषक को को भी उम्मीद रहती है कि उन्हें सरकारी लाभ मुहैया हो परंतु कार्यालय में अधिकारी मौजूद ना हो तो सरकारी लाभ की अपेक्षा की ही नहीं जा सकती। कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाएं अधिकारियों की उदासीनता के चलते किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है। जिससे कि कई पात्र किसान जानकारी के अभाव में योजनाओं से वंचित ही रह जाते हैं एवं अधिकारी अपने परिचितों को लाभ पहुंचाकर औपचारिकता पूर्ण कर लेते हैं।
शुक्रवार को पंचायत समिति परिसर में संचालित सहायक निर्देशक कृषि विस्तार कार्यालय में अधिकारियों की कुर्सियां खाली पाई गई यहां तक की कार्यालय में कार्यरत चपरासी भी नदारद मिला। शाम 4 बजे कार्यालय में मात्र एक किसी कार्य से पहुंचा 1 ग्राम सेवक मौजूद था जिसने भी अधिकारियों की कोई पुख्ता जानकारी नहीं होना बताया। निरीक्षण के दौरान पाया कि वर्तमान में सहायक निदेशक कृषि विस्तार कार्यालय में असिस्टेंट डायरेक्टर का पद 31 मार्च से ही रिक्त चल रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार कार्यालय में वर्तमान में तीन एग्रीकल्चर आॅफिसर नियुक्त किए गए है जो निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए गए। वही कार्यालय में 2 एलडीसी भी कार्यरत है जो कोटा ट्रेजरी गए हुए थे। वहीं उपस्थिति रजिस्टर एलडीसी के पास अलमारी में रखा होना बताया गया। निरीक्षण के दौरान कार्यालय में मौजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी नदारद मिला। वही असिस्टेंट डायरेक्टर का पद रिक्त होने के बाद से ही कार्यभार अजय कुमार यादव को सौंप रखा है।
सरकारी योजना अधिकारियों के डेस्क पर खा रही धूल
कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न सरकारी योजनाएं इन दिनों अधिकारियों की उदासीनता के चलते कागजों में दबकर ही रह जाती है एवं किसानों तक उन सरकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं पहुंच पाता है। कृषको द्वारा इन दिनों में पाइप, कृषि यंत्र, आदि कृषि उपकरण खरीदे जाते हैं एवं किन कृषि उपकरणों पर कितना अनुदान सरकार द्वारा देय हैं इसकी जानकारी देने वाला कृषि कार्यालय में कोई मौजूद नहीं है। जनप्रतिनिधि आम सभाओं में मस्त हैं एवं अधिकारी भी मात्र उपस्थिति रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते नजर आ रहे हैं। किसान कृषि विभाग कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं एवं कृषि उपकरणों पर मिलने वाले अनुदान एवं अन्य संबंधित कृषि विभाग की योजनाओं की जानकारी के लिए इधर-उधर अधिकारियों की राह ताकते रहते हैं। अधिकारियों की कार्यशैली को देखकर इन सरकारी योजनाओं का लाभ भी गर्त में ही नजर आ रहा है।
इनका कहना है
सांगोद के सहायक निदेशक कार्यालय में कर्मचारियों के नहीं मिलने व फोन नहीं उठाने की शिकायते आ रही है। इसकी जांच की जाएगी।
-उदल सिंह, कृषि अनुसंधान अधिकारी कोटा
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