Editorial News
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पूर्ण बहुमत वाली सरकार यानी जनता की जीत : नरेंद्र चौधरी

पूर्ण बहुमत वाली सरकार यानी जनता की जीत : नरेंद्र चौधरी यदि पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद भी जनप्रतिनिधि वादों को पूरा करने से मना करते हैं तो यह जनता की जिम्मेदारी है की वह उनसे वादे पूरे करवाए। यह प्रजातंत्र है।
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पगड़ी ही राजमुकुट, पटरियां ही मेरा सिंहासन: त्रिभुवन

पगड़ी ही राजमुकुट, पटरियां ही मेरा सिंहासन: त्रिभुवन पगड़ीधारी और लाठी वाला कद्दावर किसान सा दिखता आदमी और वह भी अंग्रेजी की किताब पढ़े और धोती भी खांटी अंदाज में बांधे तो सहसा आकर्षण का विषय
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हवा में जहर

हवा में जहर दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद चेती दिल्ली सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक बार फिर स्कूलों को एक हफ्ते तक बंद करने का फैसला लिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों से घर से ही काम करने को कहा गया है।
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75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत?

75 साल बाद भी 80 करोड़ को मुफ्त राशन देने की जरूरत? देश की बड़ी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है। आजादी से लेकर अब तब देश से गरीबी का उन्मूलन नहीं हो सका है। यह जानकर हैरानी होती है कि 75 साल बाद भी 80 करोड़ जनसंख्या गरीब है। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ गरीबों को दीपावली तक मुफ्त अनाज देगी। 75 वर्षों में ऐसी स्थिति क्यों आई की देश के 80 करोड़ लोगों के लिए दो वक्त के भोजन की व्यवस्था सरकार को करनी पड़ रही है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में एक बार नाथी का बाड़ा चर्चा में है। हो भी क्यों ना हर कोई नेता नाथी का बाड़ा से ताल्लुकात रखे बिना नहीं रहते। इसके बिना उनकी पार भी नहीं पड़ती है। गुजरे जमाने में नाथी का बाड़ा केवल पाली जिले से ताल्लुकात रखता था लेकिन अब इसका थड़ा बदल कर सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके में पहुंच गया है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में इन दिनों एक बार फिर ललचाई नजरों को लेकर काफी खुसरफुसर है। दोनों दलों में नेताओं की नजरें भी दिल्ली की तरफ टिकी हैं। भगवा और हाथ वाले एक-एक गुट को दिल्ली वालों बड़ी आस है। दिल्ली वाले हैं कि सिर्फ चक्कर पर चक्कर कटवा रहे हैं और कोई फरमान जारी नहीं कर रहे। वे फिलहाल वजन टटोलने में लगे हुए हैं।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में इन दिनों हाथ वाले भाई लोग 19 और 27 के फेर में फंसे हुए हैं। दोनों खेमों के नेताओं के 11 महीनों से समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इस फेर के चक्रव्यूह का तोड़ क्या है। दिल्ली वाले नेता भी इसके चलते चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे की राजनीति में केबिनेट रिशफलिंग को एक बार फिर शगूफा उठा है। शगूफा भी पिंकसिटी से लेकर लालकिले वाली नगरी तक दौड़ रहा है। रिशफलिंग को लेकर हर कोई अपने हिसाब से मायने निकाल रहा है। निकाले भी क्यों नहीं, राजधर्म आड़े जो आ रहा है। दिल्ली तक की भाग दौड़ में एक बात का खुलासा हुआ है कि आलाकमान को एक सूची को इंतजार है।
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जानिए राजकाज में क्या है खास?

जानिए राजकाज में क्या है खास? सूबे में हाथ वाली पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। दो खेमों में बंटे भाई लोग आपस में दो-दो हाथ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वैसे तो खुद को पार्टी का वफादार वर्कर साबित करने के लिए रात दिन बढ़कर दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनको अपने स्वार्थ के सिवाय 136 साल पुरानी पार्टी की इमेज से कोई लेना देना नहीं है।
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सत्तर फीसदी वैक्सीनेशन के बिना लॉकडाउन देश पर दोहरी मार

सत्तर फीसदी वैक्सीनेशन के बिना लॉकडाउन देश पर दोहरी मार भारत में कोरोना महामारी का संक्रमण जिस गति से बढ़ रहा है उस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सिर्फ लॉकडाउन लगाने से काम नहीं चलेगा। कब तक देश में लॉकडाउन लगाएंगे? क्या जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा...? कहा जा रहा कि अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक आ सकता है।
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पूर्ण वैक्सीनेशन अभियान को सफल बना सकते हैं जनप्रतिनिधि...?

पूर्ण वैक्सीनेशन अभियान को सफल बना सकते हैं जनप्रतिनिधि...? देश में यदि वैक्सीनेशन अभियान को सफल करना है तो जनप्रतिनिधियों को लक्ष्य देना चाहिए। जब चुनाव के समय जनप्रतिनिधि वोट लेने के लिए घर-घर जाकर प्रचार कर सकते हैं तो वैक्सीनेशन को सफल बनाने के लिए क्यों नहीं घर-घर जाकर प्रचार कर सकते हैं? यह देश व जनहित का कार्य है।
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हिंसक बना आंदोलन

हिंसक बना आंदोलन पिछले दो महीने से शांतिपूर्वक चल रहा किसान आंदोलन गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर परेड में आखिर किसान आंदोलन अचानक हिंसक घटनाओं में कैसे बदल गया, यह एक विचारणीय सवाल बन गया है? काफी प्रयासों व बातचीत के बाद किसान नेताओं को परेड निकालने की अनुमति मिली थी। जिम्मेदार किसान नेताओं ने भी सरकार व पुलिस को भरोसा दिलाया था कि परेड शांतिपूर्वक निकलेगी।
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