हवा में जहर

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद चेती दिल्ली सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक बार फिर स्कूलों को एक हफ्ते तक बंद करने का फैसला लिया है।

हवा में जहर

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद चेती दिल्ली सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक बार फिर स्कूलों को एक हफ्ते तक बंद करने का फैसला लिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों से घर से ही काम करने को कहा गया है।

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के बाद चेती दिल्ली सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक बार फिर स्कूलों को एक हफ्ते तक बंद करने का फैसला लिया है। इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों से घर से ही काम करने को कहा गया है। निजी संस्थानों को भी ऐसा कदम उठाने को कहा है। इसके अलावा दिल्ली में निर्माण गतिविधियों को तीन दिन के लिए प्रतिबंधित किया गया है। ऐसा नहीं है कि दिल्ली में पहली बार ही प्रदूषण का संकट गहराया है, बल्कि पिछले कई सालों से अक्टूबर-नवंबर के महीने में हवा में जहर घुलने का सिलसिला चल रहा है। दिल्ली सरकार ने पिछले सालों में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के कई प्रयोग किए हैं, लेकिन कोई अपेक्षित नतीजा नहीं निकला। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है और यहां से केन्द्रीय सत्ता भी चलती है, लेकिन केन्द्र सरकार दिल्ली के प्रदूषण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाती। अक्सर हर साल दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण की जिम्मेदारी पड़ोसी राज्यों के किसानों के कंधों पर कह दिया जाता है कि उनके पराली जलाने से हवा में धुआं घुल जाता है जिसकी वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला देते हुए मान लिया है कि पराली के धुएं का केवल 30 प्रतिशत ही योगदान है, जबकि 70 प्रतिशत अन्य स्थानीय कारणों से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण की वजह से आसपास के राज्यों पर पड़ रहा है। खबर है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर, कोटा, उदयपुर के अलावा भिवाड़ी का प्रदूषण स्तर भी काफी बिगड़ा हुआ है। राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के कई बड़े शहरों की आबोहवा अच्छी तरह सांस लेने वाली नहीं रह गई है। प्रदूषण दिल्ली का ही नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट बन चुका है, जिससे केन्द्र सरकार को ही कोई ठोस योजना बनानी होगी और प्रदूषण से मुक्ति दिलानी होगी। हकीकत यह है कि प्रदूषण को लेकर राज्य सरकारें और केन्द्र की सरकार कतई गंभीर नहीं हैं। समय रहते ही आवश्यक कदम उठा लिए जाते तो दिल्ली ही नहीं, बल्कि हर शहर को प्रदूषण का ज्यादा दंश नहीं झेलना पड़ता। सरकारें एक्शन प्लान बनाती जरूर है, लेकिन क्रियान्वयन पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना होता है और अनेक प्रकार की बीमारियों की पीड़ा झेलनी पड़ती है। केन्द्र व राज्यों को कारगर योजना बनानी चाहिए।

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