हिन्द महासागर में अजेय होगी भारतीय नौसेना : नेवल एंटी-शिप मिसाइल एनएमएसएम-एमआर होगी नौसेना में शामिल, पी-81पोसाइडन विमानों में लगाएंगे
चीन और पाकिस्तान समुद्र में उससे लोहा लेने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे
भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अजेय हो जाएगी। चीन और पाकिस्तान समुद्र में उससे लोहा लेने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे।
मुंबई। भारतीय नौसेना अपनी ताकत बढ़ाने के लिए स्वदेशी नेवल एंटी-शिप मिसाइल-मीडियम रेंज को शीघ्र ही अपने जहाजी बेड़े में शामिल कर रही है। दुश्मन के लिए इस विनाशक मिसाइल को मीडियम रेंज एंटी-शिप मिसाइल भी कहते हैं। यह मिसाइल बोइंग पी-81पोसाइडन विमानों में लगाई जाएगी। बोइंग कंपनी इस काम में मदद करेगी। इसका मकसद है कि नौसेना के पास पहले से मौजूद हारपून एजीएम-84डी मिसाइलों की ताकत को और बढ़ाया जाए। इससे भारतीय नौसेना हिंद महासागर में किसी भी खतरे से निपटने के लिए और भी मजबूत हो जाएगी। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने बनाया है। इससे भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अजेय हो जाएगी। चीन और पाकिस्तान समुद्र में उससे लोहा लेने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे।
जहाजों और बड़ी नौकाओं के खिलाफ होगा इस्तेमाल
एंटी -शिप मिसाइल एक निर्देशित मिसाइल होती है जिसे जहाजों और बड़ी नौकाओं के खिलाफ इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकांश एंटी-शिप मिसाइलें समुद्र-स्किमिंग किस्म की होती हैं और कई जड़त्वीय मार्गदर्शन और सक्रिय रडार होमिंग के संयोजन का उपयोग करती हैं। बड़ी संख्या में अन्य एंटी शिप मिसाइलें जहाज से निकली गर्मी से निपटने के लिए इन्फ्रारेड होमिंग का उपयोग करती हैं । एंटी-शिप मिसाइलों के लिए पूरे रास्ते रेडियो कमांड द्वारा निर्देशित होना भी संभव है।
भारतीय नौसेना अपनी समुद्री शक्ति को और भी मजबूत करने की तैयारी में है। इसके लिए, नौसेना स्वदेशी रूप से विकसित नेवल एंटी-शिप मिसाइल-मीडियम रेंज को अपने बेड़े में शामिल करेगी। यह मिसाइल बोइंग पी-8आइ पोसाइडन समुद्री गश्ती विमानों पर लगाई जाएगी। इस कार्य में बोइंग कंपनी भी सहायता प्रदान करेगी। इस कदम का उद्देश्य नौसेना के पास पहले से मौजूद हार्पून एंटी-शिप मिसाइलों की क्षमता को और बढ़ाना है। इससे भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए और भी अधिक सक्षम हो जाएगी।
हर मौसम में कर सकेगी काम
एनएमएसएम-एमआर ऐसी मिसाइल है जो हर मौसम में काम कर सकती है। इसका मतलब है कि यह बारिश, धूप या खराब मौसम में भी दुश्मन के जहाज को निशाना बना सकती है। यह दुश्मन के जहाज को बहुत दूर से भी निशाना बना सकती है। इसे खास तौर पर छोटे और मध्यम आकार के युद्धपोतों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है। जैसे कि फ्रिगेट, कार्वेट और विध्वंसक। ये सभी अलग-अलग तरह के युद्धपोत हैं।
मिग-29 पर किया जाना था इस्तेमाल
शुरूआत में इसे मिग-29ए से लॉन्च करने के लिए बनाया गया था। एयरो इंडिया 2025 में इसे मिग-29ए पर दिखाया भी गया था। अब नौसेना इसे पी-8आइ पर भी इस्तेमाल करना चाहती है। यह एक ऐसा विमान है जो लंबी दूरी तक निगरानी कर सकता है और हमला भी कर सकता है। यह विमान समुद्र में दूर तक निगरानी रखने और दुश्मन पर हमला करने के लिए बहुत उपयोगी है। बोइंग कंपनी पी-8आइ विमान बनाती है। इसलिए वो इस मिसाइल को उसमें लगाने में मदद करेगी।
डीआरडीओ ने बनाया
एनएमएसएम-एमआर मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने बनाया है। भारत सरकार की रक्षा संस्था की यह मिसाइल पहले से ही नौसेना के मिग-29ए लड़ाकू विमानों के लिए तैयार है। इसे राफेल मरीन और आने वाले ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर में भी लगाया जाएगा। अब इसे मिग 29 और राफेल विमानों में लगाने से यह फायदा होगा कि अलग-अलग तरह के विमानों में एक ही तरह के हथियार इस्तेमाल किए जा सकेंगे। इससे रखरखाव और ट्रेनिंग में आसानी होगी।
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