अल्बर्ट हॉल पर दिखेगी सांस्कृतिक धरोहर की झलक, राजस्थान की विविधता को दर्शाने वाली प्रस्तुतियां दर्शकों को करेंगी मंत्रमुग्ध
"कल्चरल डायरीज" के चौथे एपिसोड का आयोजन
राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए पर्यटन विभाग 24-25 जनवरी को अल्बर्ट हॉल में "कल्चरल डायरीज" के चौथे एपिसोड का आयोजन कर रहा है।
जयपुर। राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल करते हुए पर्यटन विभाग 24-25 जनवरी को अल्बर्ट हॉल में "कल्चरल डायरीज" के चौथे एपिसोड का आयोजन कर रहा है। शाम 6:00 बजे से शुरू होने वाला यह दो दिवसीय कार्यक्रम में राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि को दर्शाने वाली प्रस्तुतियां दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगी। पहले दिन होने वाली इस सांस्कृतिक संध्या में पारंपरिक राजस्थानी लोकनृत्य और संगीत का जादू बिखरेगा। पारंपरिक घूमर और मंजीरा नृत्य: इन नृत्यों की लय और ताल राजस्थान की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत करेंगी।
पद दंगल : जयपुर के प्रसिद्ध कलाकार प्रभुलाल मीणा और उनके साथियों द्वारा प्रस्तुत यह कला दर्शकों को राजस्थान के गौरवशाली इतिहास की झलक देगी। ढूंढ़ाढ की अद्भुत वाकपटुता और आशुकवित्व को गायन व संवाद शैली में स्थापित करने वाला पद दंगल दशकों से आम लोगों व सैलानियों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा है। प्रभुलाल मीणा के साथ उनके दल की प्रस्तुति बेहद खास रहेगी।
रिम भवाई : अलवर के बन्ने सिंह और उनके दल द्वारा इस अद्भुत प्रस्तुति से राजस्थानी लोकनाट्य शैली को अनुभव किया जा सकेगा।
कथक और फ्यूजन : कथक गुरू संगीता सिंघल के निर्देशन में पारंपरिक कथक और लोक नृत्य का फ्यूजन, जो आधुनिकता और परंपरा का अनूठा संगम प्रस्तुत करेगा। सांस्कृतिक संध्या का समापन एक भव्य और अनूठे कार्यक्रम के साथ होगा। इसके मुख्य आकर्षण राजस्थानी फोक और पश्चिमी संगीत का संगम होगा। राजस्थानी फोक इंस्ट्रूमेंट्स और पश्चिमी वाद्ययंत्रों के अद्भुत मेल से ऐसी धुन रचेंगे, जो दर्शकों का मन मोह लेंगी। यह आयोजन उपमुख्यमंत्री की पहल का हिस्सा है, जो राज्य के लोक कलाकारों को एक मंच प्रदान करने और उनकी कला को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए समर्पित है।
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