गौर-गौर गणपति ईसर पूजे पार्वती
सुहागिन महिलाएं आज रखेंगी गणगौर व्रत,
लोक कलाकार बिखेरंगे कला के रंग
जयपुर। गणगौर पर्व सोमवार को श्रद्धा, उल्लास और परम्परा के अनुसार मनाया जाएगा। अखण्ड सौभाग्य के लिए सुहागिन गणगौर का व्रत रखेंगी। गणगौर का पर्व हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सुहागिन और कुंवारी कन्याएं माता पार्वती और शिवजी की पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। ये पर्व करवा चौथ की तरह ही मान्यता रखता है। इसके अनुसार कुंवारी कन्याएं और महिलाएं अच्छा पति पाने और पति के साथ सुखद जीवन व्यतीत करने के लिए व्रत का अनुसरण करती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच भगवान शिव और मां पार्वती जैसा ही सुखद दाम्पत्य संबंध बनता है। ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि गणगौर पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि से आरम्भ की जाती है। इसमें कन्याएं और शादीशुदा महिलाएं मिट्टी के शिवजी यानी गण और माता पार्वती यानी गौर बनाकर पूजन करती हैं। गणगौर की समाप्ति पर त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है और झांकियां भी निकलती हैं। सोलह दिन तक महिलाएं सुबह जल्दी उठकर बगीचे में जाती हैं, दूब और फूल चुन कर लाती हैं। दूब लेकर घर आती हंै और उस दूब से मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता दूध के छीटें देकर पूजन करती हैं।
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