इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन का हुआ उद्घाटन, बिरला ने कहा- हमारे देश के डॉक्टरों पर पूरे विश्व का भरोसा 

नई दवा से पल्मोनरी हाइपरटेंशन के मरीजों को 84 प्रतिशत तक फायदा 

इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन का हुआ उद्घाटन, बिरला ने कहा- हमारे देश के डॉक्टरों पर पूरे विश्व का भरोसा 

भारत के चिकित्सकों पर दुनियाभर के लोगों का विश्वास है।

जयपुर। मैं जब भी किसी विदेश दौरे पर गया और वहां जिनसे भी मिलना हुआ, उन्होंने कहा कि हम अपने या परिवार के किसी भी सदस्य के इलाज के लिए हिंदुस्तान आते हैं। यह दिखता है कि भारत के चिकित्सकों पर दुनियाभर के लोगों का विश्वास है। यह कहना था लोकसभा अध्यक्ष बिरला का, जो इंडियन सोसाइटी फॉर हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन की इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भारत में एक समय था जब लोग अपना ब्लड तक डोनेट करने से बचते थे। लेकिन अब समय बदल चुका है और जागरूकता इतनी बढ़ गई है कि 18-19 साल के नौजवान भी ब्लड डोनेशन के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। अब अंग दान के लिए भी अधिक से अधिक जागरुकता बढ़ाने की आवश्यकता है। कोविड काल में हमारे देश के चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ  का सेवा भाव पूरी दुनिया ने देखा। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कमी रह सकती है, लेकिन अनुभव, रिसर्च वर्क में भारतीय चिकित्सकों की विश्व में मान्यता है। कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन डॉ. अजीत बाना, डॉ. वीरेन्द्र सिंह और ऑर्गेनाइजिंग सेके्रटरी डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में हार्ट और लंग्स दोनों की बीमारियों और उनके इलाज की नवीनतम तकनीकों पर चर्चा हो रही है।

नई दवा से पल्मोनरी हाइपरटेंशन के मरीजों को 84 प्रतिशत तक फायदा :

यूएसए से आए डॉ. निकोलस कोलाइटिस ने बताया कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन फेफड़ों की धमनियों में रक्त का दबाव असामान्य रूप से बढ़ जाता है। धीरे-धीरे हृदय की धड़कन को कमजोर करता है। इससे मरीज सांस लेने में कठिनाई, थकान और गंभीर मामलों में चक्कर या बेहोशी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। इसके इलाज में हाल ही में विकसित नई दवा स्टेटरसेप्ट मरीजों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है। ट्रायल में इस दवा के उपयोग से मरीजों में बीमारी के बढ़ने या मृत्यु के जोखिम में 84 प्रतिशत तक कमी देखी गई। साथ ही 6 मिनट वॉक टेस्ट में सुधार, हृदय तनाव के मार्करों में कमी और जीवन गुणवत्ता में बढ़ोतरी भी मिली। यह दवा मौजूदा उपचारों के साथ तीन सप्ताह में एक बार इंजेक्शन के रूप में दी जाती है।

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