वार्डों में सफाई के लिए पार्षद हों जवाबदेह, जिम्मेदारी तय हो
समय सीमा में ही सफाई तो स्वच्छ दिखेगा शहर
निगम को दो भागों में बाटकर कोटा उत्तर व दक्षिण कर दिया गया।
कोटा । स्मार्ट सिटी और पर्यटन नगरी के रूप में विकसित हो रहे शिक्षा नगरी कोटा में वार्डों की संख्या ढाई गुना होने के बाद भी शहर साफ नजर नहीं आ रहा है। जिसका असर स्वच्छता रैकिंग पर पड़ रहा है। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों के साथ ही शहरी सरकार में वार्ड का निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने से पार्षद भी सफाई व्यवस्था के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं। वहीं समय सीमा में सफाई होगी तो शहर स्वच्छ नजर आएगा। 10 लाख से अधिक की आबादी वाले और संभागीय मुख्यालय कोटा में पूर्व में जहां एक नगर निगम और वार्डों की संख्या 60 थी। लेकिन शहर के विकास व विस्तार को देखते हुए वार्ड बड़े होने पर पार्षदों का अपने क्षेत्र में ही सफाई पर पूरा फोकस नहीं हो पाता था। जिसे देखते हुए पूर्व में वाडों की संख्या बढ़ाकर 65 की गई थी। लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार के समय में स्वायत्त शासन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी कर वार्डों का नए सिरे से परिसीमन कराया गया। उसके बाद 2019 में कोटा में वार्डों की संख्या 65 से ढाई गुना बढ़ाकर 150 कर दी गई। वहीं निगम को दो भागों में बाटकर कोटा उत्तर व दक्षिण कर दिया गया। कोटा उत्तर में 70 व दक्षिण में 80 वार्ड बनाए गए। नगर निगम क्षेत्र में कोटा उत्रर, कोटा दक्षिण, लाड़पुरा व रामगंजमंडी विधानसभा के वार्ड शामिल किए गए थे।
वार्ड छोटे तो सफाई सुधरेगी
स्वायत्त शासन विभाग द्वारा वार्डों की संख्या बढ़ाकर उनका दायरा छोटा किया गया था। जिसका मकसद था कि वार्ड छोटे होंगे तो उनमें सफाई सुधरेगी। साथ ही पार्षद अपने वार्ड में सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग सही ढंग से कर सकेंगे। पार्षदों का मुख्य काम भी अपने-अपने वार्ड व क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को सुधारना है। जिससे सभी वार्ड साफ होंगे तो शहर स्वत: ही साफ हो जाएगा। लेकिन हालत यह है कि वर्तमान बोर्ड के कार्यकाल को सवा चार साल का समय हो गया है। अभी तक भी न त वार्डों में सफाई सुधरी और न ही शहर में। जिसका असर हर साल स्वच्छता रैकिंग के रूप में दिख रहा है।
पार्षद को जनता ने चुना तो वहीं जिम्मेदार
जनता को सबसे अधिक काम अपने क्षेत्र में साफ सफाई से ही रहता है। पार्षद जनता द्वारा वार्ड में चुना हुआ जनप्रतिनिधि होता है। ऐसे में सफाई व्यवस्था के लिए वही जिम्मेदार होना चाहिए। जनता ने उन्हें चुना है। इस कारण जनता उन्हें ही जानती है। निगम कर्मचारियों को न तो जानते हैं और न ही सुनवाई होती है।
-आशा मीणा, खेड़ली फाटक
जनता ने पार्षद को वोट देकर चुना है। वह इसलिए कि वे वार्ड में सफाई करवा सके। लेकिन अधिकतर समय पार्षद चुनाव के समय नजर आते है। उसके बाद काम के समय मिलते ही नहीं है। जबकि पार्षद की जिम्मेदारी है कि वह वार्ड में साफ सफाई नियमित करवाए। नाली, सड़क और आवारा मवेशियों की समस्या का समाधान करवाए।
-शोभा रानी, दादाबाड़ी
पार्षद का मुख्य काम ही अपने क्षेत्र में नियमित साफ सफाई करवाना है। लेकिन अधिकतर पार्षद यह काम नहीं करके अन्य कामों में व्यस्त रहते है। काम के लिए तलाशने पर पार्षद मिलते ही नहीं है। मिल भी जाते हैं तो काम करवाने का आश्वासन दे देते हैं काम समय पर होते नहीं है। जबकि सूचना मिलते ही पार्षद को काम करवााना चाहिए। इसके लिए उनके मोबाइल नम्बर डिस्प्ले हो और वाट्सअप ग्रुप हो जिस पर समस्या बताई जा सके।
-अंकित शर्मा, महावीर नगर
वार्ड छोटे होने से पार्षद तक पहुंच हुई आसानवार्ड छोटे होने से पार्षद तक पहुंच हुई आसान
पार्षद का मुख्य काम ही अपने वार्ड में सफाई करवाना है। निगम के सफाई कर्मचारियों की मॉनिटरिंग करना है। वार्ड की जनता तो पार्षद को जानती है। कहीं भी गंदगी होने या सफाई नहीं होने पर पार्षद को ही बताते है। वैसे तो सुबह सफाई के लिए अपने वार्ड में घूमते है। फिर भी यदि शिकायत मिलती है तो उसका तुरंत समाधान करवाते है। वार्ड छोटे होने से पार्षद की आमजन में पहुंच आसान हुई है।
-ऊषा ठाकुर, पार्षद कोटा उत्तर कांग्रेस
पार्षद का मुख्य काम ही अपने वार्ड की सफाई व्यवस्था को देखना है। वही इसके लिए जिम्मेदार है। जनता ने उसे अपनी व वार्ड की सफाई व्यवस्था व समस्याओं के समाधान के लिए चुना है। दिनभर वार्ड में घूमकर लोगों से मिलकर सफाई व्यवस्था को देखते है। वार्ड का वाट्सअप ग्रुप है जिस पर शिकायत आने पर तुरंत उसका समाधान करवाते है। टिपर निकलने के बाद कचरा डालने पर वही गंदगी नजर आती है। सफाई के लिए लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा।
-पी.डी. गुप्ता, पार्षद कोटा दक्षिण भाजपा
जनता ने पार्षद को चुना है। पार्षद नगर निगम में जनता का प्रतिनिधित्व करता है। उसका मुाख्य काम ही सफाई व्यवस्था में सुधार करवाना है। सुबह सबसे पहले वार्ड में सफाई व्यवस्था देखना ही काम रहता है। जहां सफाई कर्मचारी नहीं जाते या टिपर नहीं जाते उन्हें वहां पहुंचाया जाता है। जिससे सफाई व्यवस्था सुधरे। वहीं वाट्सअप ग्रुप से लोगों को जोड़ा हुआ है। जिस पर भी सूचना मिलने पर समस्याओं समाधान कराया जाता है।
-नवल सिंह हाड़ा, पार्षद कोटा उत्तर भाजपा
शहर व वार्ड में सफाई कीजिम्मेदारी वैसे तो नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की है। पार्षद वार्ड का जनप्रतिनिधि होने से वह सफाई व्यवस्था की मॉनिटरिंग करता है। सफाई संबंधी शिकायतों का समाधान कराया जाता है।लेकिन निगम के सफाई महकमे में कर्मचारियों की कमी होने से परेशानी आती है। वार्ड के ग्रुप बने हुए हैं जिन पर सूचना मिलने पर उनका समाधान तुरंत कराया जा रहा है।
-विवेक राजवंशी, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम कोटा दक्षिण
पार्षद वार्ड की जनता का प्रतिनिधित्व करता है। जनता से जो भी शिकायत मिलती है उनका निगम अधिकारियों, जमादार व सेक्टर निरीक्षक से कहकर उसका समाधान करवाते है। लेकिन काम तो अधिकारियों व सफाई कर्मचारियों को ही करना होता है। सरकार बदलने के बाद वार्डों में काम ही नहीं हो रहे है। अधिकारी सफाई श्रमिक बढ़ाना तो बता रहे हैं लेकिन वे काम कहां कर रहे है इसकी कोई जानकारी पार्षदों को नहीं है। काम अधिकारी व कर्मचारी नहीं कर रहे और जिम्मेदारी पार्षदों पर डाली जा रही है।
-पवन मीणा, उप महापौरनगर निगम कोटा दक्षिण
पार्षद अपने स्तर पर तो वार्डों में सफाई करवाते है। उसकी मॉनिटरिंग करते हैं। जनता जो काम बताती है उसे भी समय पर कवराते है। लेकिन सरकार बदलने के बाद वार्डों में काम ही नहीं हो रहे है। खास तौर से कांग्रेस पार्षर्दों के वार्ड में नियमित सफाई श्रमिक नहीं आने से समस्या अधिक हो ती है। पार्षदों के कहने पर अधिकारी कोई काम नहींकर रहे है।
-फरीदु्दीन सोनू कुरैशी, उप महापौर नगर निगम कोटा उत्तर
जनता ने पार्षदों को चुना ही अपने वार्ड की सफाई व्यवस्था में सुधार के लिए है। सफाई के लिए पार्षद ही जिम्मेदार रहता है। वही निगम सफाई कर्मचारियों से समंवय बैठाकर सफाई व्यवस्था को सुचारू करवाता है। फिर भी लोगों को समस्या आती है तो मोबाइल नम्बर सभी के पास है। सूचना आने पर उनका समाधान कराया जाता है। लाइट संबंधी व सफाई संबंधी समस्याओं के लिए अलग-अलग वाट्सअप ग्रुप बने हुए है।
-अनुराग गौतम, पार्षद कोटा दक्षिण कांग्रेस
सफाई के लिए जितने जिम्मेदार निगम अधिकारी व सफाई कर्मचारी है। उतनी ही जिम्मेदारी पार्षद की भी है। वार्ड की जनता पार्षद को जानती है। सुबह से ही वार्ड में घूमकर सफाई व्यवस्था को देखते है। जहां समस्या आती है वहां तुरंत समाधान करते है। यदि समय पर सूचना मिल जाती है तो कुछ ही देर में समाधान हो जाता है। लेकिन 24 घंटे के भीतर सफाई संबंधी शिकायत का समाधान कराया जा रहा है। वार्ड के लोगों का वाट्सअप ग्रुप बना हुआ है। जिसके माध्यम से भी सूचना आने पर उनका समय सीमा में समाधान कराया जा रहा है।
-लव शर्मा, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम कोटा उत्तर
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