पिता का दर्द: बेटा डॉक्टर बनने भेजा था, अब उसके उठने का कर रहा हूं इंतजार

एलन कोचिंग से कर रहा था मेडिकल की तैयारी,आत्म हत्या का किया था प्रयास

पिता का दर्द: बेटा डॉक्टर बनने भेजा था, अब उसके उठने का कर रहा हूं इंतजार

जब से कोटा से आया हूं तब से आज तक किसी एलन कोचिंग संस्थान के किसी भी व्यक्ति ने पैसा तो दूर हालचाल भी नहीं पूछे हैं।

कोटा। शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात कोटा। छात्रों के सपनों का शहर कोटा। मेरा बेटा भी डाक्टर बनने का सपना लेकर कोटा आया था।  इसीलिए कोटा के एलन कोचिंग संस्थान में उसका एडमिशन करवाया था। लेकिन क्या करूं साहब बस एक दिन ऐसी सूचना मिली कि मेरा सब कुछ बर्बाद हो गया। बेटे का सपना ही नहीं टूटा , उसकी आवाज सुनने को भी मैं तरस गया हूं। 50 लाख खर्च कर चुका हूं सिर्फ इसी आशा में कि एक दिन यह उठेगा और मेरे कलेजे से लग कर फिर मुझे पापा कह सकेगा। हम बात कर रहे हैं एलन कोचिंग संस्थान से कोचिंग ले रहे छात्र चंदन के पिता की। चंदन ने 19 मार्च 2022 को पढ़ाई के तनाव में आकर गले में फांसी का फंदा लगा लिया था। इस घटना में उसकी जान तो बच गई लेकिन वह कोमा में चला गया था।

पचास लाख खर्च कर चुका फिर भी बेटे की आवाज को तरस रहा हूं
पीड़ित  पिता गोविंद यादव  ने बताया कि  चंदन दो साल से कोटा के तलवंंडी स्थित मकान  में किराए से कमरा लेकर एलन  संस्थान से मेडिकल की कोचिंग की तैयारी कर रहा था। 19 मार्च को आत्महत्या की नीयत से अपने कमरे में पंखे के कड़े पर रस्सी से गले में फंदा लगाकर लटक गया था। उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बावजूद उनके पास एलन कोचिंग का कोई सदस्य सांत्वना देने तक नहीं आया। बाद में कलक्टर के निर्देश पर उसका उपचार ठीक से किया गया। उसे तीन महीने तक कोटा में रखा गया था। इसके बाद उसे बिहार के लिए भेज दिया। चंदन की हालत बहुत गंभीर थी । वह कोमा में चला गया था। उस समय एलन कोचिंग प्रबंधन ने उसे मात्र दस हजार रुपए नकद तथा 32 हजार का बिहार तक का किराया दिया । चंदन को फिर बिहार में अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उसके इलाज में 35 से पचास हजार रुपए महीने तक का खर्च आ रहा था। बाद में  उसे प्रकाश न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल दरभंगा में भर्ती कराया । वहां आठ दिन तक रहा था। अब गांव में लेकर आ गए हैं। इलाज खर्च के लिए अपनी जमीन  बेच दी । अब और जमीन भी बेच रहा हूं। 50 लाख खर्च हो चुके हैं।  एक मेडिकल की दुकान थी जिससे जीविका चल रही थी वह अब पिछले 18 महीने से बंद है। चंदन बिस्तर पर ही पड़ा रहता है। आवाज देने पर मामूली से होट चलाता है। पथराई आंखों से लोगोें की  पहचान करने की कोशिश करता है। आवाज कहीं गुम हो गई है। अब सोचते हैं काश बेटे को कोटा नहीं भेजता तो आज यह दिन देखने को नहींं मिलता।  जब से कोटा से आया हूं तब से आज तक किसी एलन कोचिंग संस्थान के किसी भी व्यक्ति ने पैसा तो दूर हालचाल भी नहीं पूछे हैं।

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