कूनों से चीते खुले जंगल में छोड़े, शेरगढ़-भैंसरोडगढ़ में कभी भी हो सकती है एंट्री

वाइल्ड लाइफ कोटा ने बनाई हाड़ौती की पहली चीता डेडिकेटेड टीम

कूनों से चीते खुले जंगल में छोड़े, शेरगढ़-भैंसरोडगढ़ में कभी भी हो सकती है एंट्री

वन्यजीव डीएफओ की निगरानी में जंगल से जुड़े गांवों में लग रहे जागरुकता कैम्प।

कोटा। मध्यप्रदेश के कूनों अभयारणय से चीतों को खुले जंगल में छोड़ दिया गया है। ऐसे में चीते राजस्थान की सीमा में कभी भी प्रवेश कर सकते हैं। प्रदेश की तरफ रुख हुआ तो चीतों की एंट्री शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में होने की प्रबल संभावना है। ऐसे में उनकी सुरक्षा व मॉनिटरिंग के लिए वाइल्ड लाइफ कोटा ने हाड़ौती की पहली चीता डेडिकेटेड टीम गठित कर दी है। चीतों के एनक्लोजर से हार्ड रिलीज होते ही टीम अलर्ट हो गई है। दरअसल, पिछले दिनों सवाईमाधोपुर में राजस्थान, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के वन अधिकारियों की बैठक प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अध्यक्षता में हुई थी। जिसमें चीतों को हार्ड रिलीज करने और उनके लिए डेडिकेटेड टीम बनाने के निर्देश दिए गए थे। जिसकी अनुपालना में वाइल्ड लाइफ कोटा ने अपनी चीता समर्पित टीम गठित कर दी है। यह टीम शेरगढ़, भैंसरोडगढ़ सहित अभयारणय से जुड़े बारां, बूंदी और कोटा के वन क्षेत्रों में चीतों की मॉनिटरिंग, ट्रैकिंग, सुरक्षा  व हैबीटाट डवलपमेंट पर काम करेगी। 

4 सदस्यीय चीता डेडिकेटेड टीम अलर्ट 
वाइल्ड लाइफ कोटा के डीएफओ अनुराग भटनागर ने बताया कि हाल ही में मध्यप्रदेश के कूनो अभयारणय से दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ दिया गया है। ऐसे में इनका मूवमेंट चीता लैंडस्केप राजस्थान  वनमंडल क्षेत्रों में होना संभव है। यदि, चीता मध्यप्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करता है तो उनका शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी में आने की प्रबल संभावना रहेगी। ऐसे में चीतों की प्रभावी मॉनिटरिंग व सुरक्षा के लिए 4 सदस्यीय चीता डेडिकेटेड टीम को अलर्ट कर दिया गया है। यह टीम चीते के मूवमेंट पर पैनी नजर रखेगी। जब तक चीते हमारे क्षेत्र में न आते तब तक टीम के सदस्य शेरगढ़, भैंसरोडगढ़ अभयारणय से जुड़े बारां, बूंदी कोटा वनमंडल क्षेत्रों से सटे गांवों में ग्रामीणों को चीते के प्रति जागरूक करेंगे। टीम में  भैंसरोडगढ़ सेंचुरी के रेंजर दिनेश नाथ, शेरगढ़ के सहायक वनपाल मुकेश नाथ, वन्यजीव उड़नदस्ता  कोटा की सहायक वनपाल सरिता कुमारी व प्रेम कंवर शामिल हैं। 

गांवों में कैम्प, ग्रामीणों को कर रहे जागरूक
डीसीएफ भटनागर ने बताया कि चीता समर्पित टीम  शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ सेंचुरी की सीमा से सटे कोटा, बारां और बूंदी वनखंडों के समीपवर्ती गांवों में अवेयरनेस कैम्प लगाकर ग्रामीणों को चीतों के प्रति जागरूक कर रही है। उन्होंने बताया कि चीतों से इंसान को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। लोगों को चीते का व्यवहार, प्रवृति, हैबीटाट, भोजन, चीता और अन्य मांसाहारी जानवरों में अंतर सहित चीते से जुड़ी अन्य जानकारी दी जा रही है। ताकि, चीता गांवों से जुड़े जंगलों में आ जाए तो उन्हें देख लोग डरे नहीं और उन्हें किसी तरह का नुकसान न पहुंचाए बल्कि उनके संरक्षण में वन विभाग का साथ निभाए। 

अब चीते के पीछे-पीछे आने की नहीं पड़ेगी जरूरत 
उन्होंने बताया कि चीता डेडिकेटेड टीम बनने से मध्यप्रदेश की टीम को अब चीते के पीछे-पीछे आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। चीते जैसे ही हाड़ौती के जंगलों में आएंगे तो चीता समर्पित टीम उसकी मॉनिटरिंग में जुट जाएगी।  साथ ही उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, ट्रैकिंग व अन्य व्यवस्थाएं करेगी। यदि, कोई दिक्कत आती है तो टीम मध्यप्रदेश वनकर्मियों से सहयोग लेंगे।

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कूनों में दो चीतों को खुले जंगल में छोड़ दिया गया है। ऐसे में उनका शेरगढ़ व भैंसरोडगढ़ के जंगलों में आने की प्रबंल संभावना है, जिसके मध्यनजर चीतों की सुरक्षा, मॉनिटरिंग के लिए एक डेडिकेटेड टीम गठित कर दी गई है। चीता जिसकी भी रेंज में प्रवेश करेगा, उस रेंज का रेंजर सुरक्षा के हर संभव प्रयास करेगा। साथ ही चीता डेडिकेटेड टीम के साथ समन्वय स्थापित कर बेहतर प्रबंधन के लिए पाबंद किया गया है। वहीं, सेंचुरी के आसपास के गांवों में चीता जागरूकता शिविरों का आयोजन तुरंत प्रभाव से करने के निर्देश दिए गए हैं। 
- अनुराग भटनागर, डीएफओ वन्यजीव विभाग कोटा

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चीते से इंसान को कोई खतरा नहीं है। चीतों द्वारा इंसानों पर हमला करने का अब तक के इतिहास में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। वह लोगों से दूर रहता है, उसे देखकर लोग घबराए नहीं। यहीं बात ग्रामीणों को समझाने के लिए जंगल से सटे गांवों में चीता डेडिकेटेड टीम द्वारा अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
- रामकरण खैरवा, संभागीय मुख्य वनसंरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक कोटा वन विभाग 

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