चंबल की कराइयों में आबाद हो रही वल्चर की दुनिया

150 से 200 की संख्या में है इंडियन वल्चर

चंबल की कराइयों में आबाद हो रही वल्चर की दुनिया

वल्चर की विभिन्न प्रजातियों की संख्या में हो रहा इजाफा

कोटा। दुनिया में भले ही लोंग बिल्ड वल्चर खतरे की श्रेणी में हो लेकिन चंबल की कराईयों के बीच इनकी आबादी फल-फूल रही है। प्राकृतिक आवास अनुकूल होने से साउथ ईस्ट एशिया की सबसे बड़ी ब्रिडिंग कॉलोनी बनती जा रही है। मोटे अनुमान के तौर पर चंबल में इस समय 150 से 200 के करीब इंडियन वल्चर है। करीब 50 की संख्या में व्हाइट रुम्पेड वल्चर की संख्या है। गिद्दों की यह प्रजाति चंबल पर नेस्टिंग करती है। हाड़ौती में किंग वल्चर की संख्या भी करीब डेढ़ से दो दर्जन के बीच है।  

दो सौ से ज्यादा पक्षियों का कलरव
नेचर प्रमोटर एएच जैदी ने बताया कि मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की करीब 250 से ज्यादा प्रजातियां हैं। इनमें क्रेसअ‍ेड सरपेंट, ईगल, शॉर्ट टोड,पैराडाइज फ्लाई केचर, सारस क्रेन, स्टोक बिल किंग फिशर, कलर्ड स्कोप्स आउलग्रीन पीजन, गोल्एन ओरिओल,बैबलर,गागरोनी तोता, टुईंया तोता, एलेक जेन्डेरियन पैराकीट, रूडी शेल्डक, वाइट पैलिकन, ग्रेट फलेमिंगो, नोर्दन शावलर, नोर्दन पिंटटेल, बार एडेड गूज, ग्रेलेक गूज, गारगेनी टील समेत पक्षियों की कई प्रजातियां हैं।

मुकुंदरा की गौद में पल रहे वन्यजीव
मुकुन्दरा हिल्स को 9 अप्रेल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। यह करीब 760 वर्ग किमी में चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़़ में फैला है। करीब 417 वर्ग किमी कोर और 342 वर्ग किमी बफर जोन है। इसमें मुकुन्दरा राष्ट्रीय उद्यान, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर व चंबल घडिाल अभयारण्य का कुछ भाग शामिल है।

विरासत से भरा टाइगर रिजर्व
प्राकृतिक छटा के साथ मुकुन्दरा विरासत से भरा पड़ा है। रिजर्व में 12वीं शताब्दी का गागरोन किला, 17वीं शताब्दी का अबली मीणी का महल, पुरातात्विक सर्वे के अनुसार 8वीं-9वीं शताब्दी का बाडोली मंदिर समूह, भैंसरोडगढ़ फोर्ट, 19वीं शताब्दी का रावठा महल, शिकारगाह समेत कई ऐतिहासिक व रियासतकालीन इमारतें, गेपरनाथ, गरड़िया  महादेव मंदिर भी है, जो कला-संस्कृति व प्राचीन वैभव को दर्शाते हैं।

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औषधीय पौधों की भरमार 
जेडीबी कॉलेज में वनस्पति विभाग की प्रोफेसर पूनम जायसवाल ने बताया कि मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शुष्क, पतझड़ी वन, पहाड़ियां नदी, घाटियों के बीच तेंदू, पलाश, बरगद, पीपल, महुआ, बेल, अमलताश, जामुन, नीम, इमली, अर्जुन, कदम, सेमल और आंवले के घने वृक्ष हैं। साथ ही पादक विविधता अधिक मात्रा में है। यहां औषधीय पौधों की भरमार है।

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दुर्लभ वन्यजीव का घर टाइगर रिजर्व  
चम्बल नदी किनारे बघेरे, भालू, भेड़िए, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, काले हरिन, दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ वन्यजीव भी देखने को मिलेंगे। इसके अलावा, चीतल, भालू, पैंथर सांभर, जंगली बिल्ली, सियार, जरख, लंगूर, नेवला, झाउ चूहा, जंगली खरगोश, गिल्हरी, चिंटीखोर यानी पैंगोलिन, सिही जंगली चूहा सहित कई वन्यजीव हैं।

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