मुकुंदरा के जंगल में बिछेगा वन्यजीवों की सुरक्षा का जाल
अब पहले से ज्यादा पुख्ता होगी जंगल और जानवरों की सुरक्षा : भैंसरोडगढ़ अभयारण्य मुकुंदरा में हुआ शामिल, मुकुंदरा की सल्तनत 760 से 953 वर्ग किमी बढ़ी
जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ जाएगी।
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का दायरा अब 760 वर्ग किमी से बढ़कर 953 वर्ग किमी हो गया है। भारत सरकार का गजट नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भैंसरोडगढ़ अभयारणय भी मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शामिल हो गया है। ऐसे में भैंसरोडगढ़ में अब टाइगर रिजर्व के नियम कानून लागू होंगे। जिससे जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ जाएगी। टाइगर रिजर्व में फेस-4 मॉनिटरिंग होने से प्रोटेक्शन के साथ बजट की उपलब्धता भी बढ़ेगी। गौरतलब है कि अभी तक मुकुंदरा का दायरा 760 वर्गकिमी तक फैला हुआ था, लेकिन भैंसरोडगढ़ सेंचुरी शामिल होने से इसका क्षेत्रफल 953 वर्गकिमी हो गया है।
जंगल और वन्यजीवों की बढ़ेगी सुरक्षा
उन्होंने बताया कि सेंचुरी और टाइगर रिजर्व के नियम अलग-अलग होते हैं। टाइगर रिजर्व में शामिल होने से जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा अधिक बढ़ जाती है। क्योंकि, रिवर्ज में फेस-4 मॉनिटरिंग होती है। विकास कार्यों के लिए बजट ज्यादा मिल सकेगा। बड़े-बड़े एनक्लोजर बनाए जा सकेंगे। दीवारें पक्की हो जाएंगी, जिससे जंगल का प्रोटेक्शन मजबूत होगा। वहीं, शिकार की संभावना भी बहुत कम हो जाएगी। फिल्ड स्टाफ की संख्या बढ़ेगी। इसके अलावा अन्य डवलपमेंट कार्य भी ज्यादा होंगे।
193 वर्ग किमी में फैला भैंसरोडगढ़
वन्यजीव कोटा के डीसीएफ अनुराग भटनागर ने बताया कि भैंसरोडगढ़ सेंचुरी को अब टाइगर रिजर्व का स्टेटस मिल गया है। यह सेंचुरी 193 वर्ग किमी में फैली हुई है। हमने पूर्व में इसके प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजे थे। जहां से मंजूरी मिलने के बाद भैंसरोडगढ़ को टाइगर रिर्जव में शामिल कर लिया गया है। हालांकि, इसका संचालन वाइल्ड लाइफ कोटा द्वारा किया जाएगा। लेकिन, नियम-कानून टाइगर रिजर्व के लागू होंगे। जिससे भैंसरोडगढ़ को फायदा होगा।
पैंथर व जंगली सूअर की संख्या अधिक
भैंसरोडगढ़ के जंगल में हिरण प्रजाति को छोड़ अन्य मांसाहारी जानवरों की संख्या अधिक है। जिनमें पैंथर, जंगली सूअर, हायना, जरख सहित अन्य वन्यजीवों की संख्या ज्यादा है। हालांकि, हिरण प्रजाति के शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या कम है। जिनकी संख्या बढ़ाने के लिए 5-5 हैक्टेयर के एनक्लोर बनाकर उनमें 8 से 10 जोड़ों को रखा जानी की आगामी कार्य योजना है।
हिरण की पसंदीदा घास की हो रही रिसर्च
डीएफओ भटनागर ने बताया कि अभयारणय में कई तरह की घास हैं। कौनसी घास चरने योग्य है, हिरण किस घास को खाना ज्यादा पसंद करते हैं, इसका पता लगाने के लिए रिसर्च वर्क करवा रहे हैं। इसके लिए टैंडर भी निकाल दिया है। बायोलॉजिस्ट ने काम भी शुरू कर दिया है। अगले 4 माह में रिपोर्ट मिल जाएगी। ऐसे में हिरण की पसंदीदा घास को ही ज्यादा लगाया जाएगा। इसके अलावा भैंसरोडगढ़ में शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में तेजी से हुई गिरावट के क्या कारण है, इसका पता लगाने के लिए भी रिसर्च वर्क शुरू करवा दिया है।
भैंसरोडगढ़ से हो सकती है चीतों की एंट्री
विशेषज्ञों के अनुसार, मध्यप्रदेश से राजस्थान तक 400 वर्ग किमी के क्षेत्र में चीता लैंडस्केप बनाया जाएगा। इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। अगले चरण में दक्षिणी अफ्रीका या नामीबिया से चीते गांधी सागर में लाए जाएंगे, जो भैंसरोडगढ़ से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जब चीते एनक्लोजर से बाहर निकलेंगे तो सौ फीसदी यह राजस्थान में भैंसरोडगढ़ के जंगल में एंट्री करेंगे। यहां का भगौलिक वातावरण चीते के अनूकूल है। पूर्व में भी चीता कूनों से निकल बारां के शाहबाद के जंगल तक आ चुका है।
Comment List