Special In Government
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सूबे में एक बार नाथी का बाड़ा चर्चा में है। हो भी क्यों ना हर कोई नेता नाथी का बाड़ा से ताल्लुकात रखे बिना नहीं रहते। इसके बिना उनकी पार भी नहीं पड़ती है। गुजरे जमाने में नाथी का बाड़ा केवल पाली जिले से ताल्लुकात रखता था लेकिन अब इसका थड़ा बदल कर सीकर के लक्ष्मणगढ़ इलाके में पहुंच गया है।
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सूबे में इन दिनों एक बार फिर ललचाई नजरों को लेकर काफी खुसरफुसर है। दोनों दलों में नेताओं की नजरें भी दिल्ली की तरफ टिकी हैं। भगवा और हाथ वाले एक-एक गुट को दिल्ली वालों बड़ी आस है। दिल्ली वाले हैं कि सिर्फ चक्कर पर चक्कर कटवा रहे हैं और कोई फरमान जारी नहीं कर रहे। वे फिलहाल वजन टटोलने में लगे हुए हैं।
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सूबे में इन दिनों हाथ वाले भाई लोग 19 और 27 के फेर में फंसे हुए हैं। दोनों खेमों के नेताओं के 11 महीनों से समझ में नहीं आ रहा कि आखिर इस फेर के चक्रव्यूह का तोड़ क्या है। दिल्ली वाले नेता भी इसके चलते चुप रहने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं।
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सूबे की राजनीति में केबिनेट रिशफलिंग को एक बार फिर शगूफा उठा है। शगूफा भी पिंकसिटी से लेकर लालकिले वाली नगरी तक दौड़ रहा है। रिशफलिंग को लेकर हर कोई अपने हिसाब से मायने निकाल रहा है। निकाले भी क्यों नहीं, राजधर्म आड़े जो आ रहा है। दिल्ली तक की भाग दौड़ में एक बात का खुलासा हुआ है कि आलाकमान को एक सूची को इंतजार है।
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सूबे में हाथ वाली पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। दो खेमों में बंटे भाई लोग आपस में दो-दो हाथ करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। वैसे तो खुद को पार्टी का वफादार वर्कर साबित करने के लिए रात दिन बढ़कर दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि उनको अपने स्वार्थ के सिवाय 136 साल पुरानी पार्टी की इमेज से कोई लेना देना नहीं है।
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सूबे में हाथ वाले कुछ भाई लोग आठ महीनों से काफी उछलकूद कर रहे हैं। अब उनको नवें महीने का बेसब्री से इंतजार है। इंतजार इसलिए है कि अगले महीने उन्हें गुड़ या घूघरी मिलने का पूरा भरोसा है। सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में भी इसके लिए उन्होंने मैसेज देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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सूबे में इन दिनों अपर क्लास वाले लोगों की नजरें पूर्व दिशा की तरफ टिकी हैं। टिके भी क्यों नहीं, दोनों दलों में जो भी कुछ हो रहा है, उसी दिशा के पानी का कमाल है। हाथ वाले दल में सपोटरा और दौसा वाले मिनेश वंशज भाईसाहबों ने जब से दुबारा जुबान खोली है, तभी से अगुणी दिशा के ठाले बैठे पंडितों को भी काम मिल गया, सो उन्होंने भी कुंडलियां देखना शुरू कर दिया है।
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आज हम बात करेंगे देवदर्शनों की। जब भी किसी पर आपदा आती है, तो अपने देवों के देवरे ढोकते हैं, वे न रात देखते और न ही दिन। कई देवों के घोड़ले तो रातीजगा कराने में भी कोई कसर नहीं छोड़ते। सूबे में चुनावी जंग तो पौने तीन साल बाद होगी, मगर नंबर वन की कुर्सी के लिए के भगवा वाले भाई लोगों में ऐसा कलह मचा है कि उनको भी देवदर्शनों की शरण लेनी पड़ रही है।
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सूबे में इन दिनों दोनों दलों में अशांति है लेकिन दोनों बड़े बंगलों में पूर्ण शांति है। सिविल लाइन्स स्थित इन दोनों बंगलों में रहने वाले बड़े लोग भी चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। हाथ वाले भाई लोगों में नौ महीनों से शांति की तलाश है, तो कमल वाले भाइयों में तीन महीने से अशांति है। दोनों तरफ काचे कलवों की कमी नहीं हैं।
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सूबे में इन दिनों दोनों दलों में अशांति है लेकिन दोनों बड़े बंगलों में पूर्ण शांति है। सिविल लाइन्स स्थित इन दोनों बंगलों में रहने वाले बड़े लोग भी चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। हाथ वाले भाई लोगों में नौ महीनों से शांति की तलाश है, तो कमल वाले भाइयों में तीन महीने से अशांति है। दोनों तरफ काचे कलवों की कमी नहीं हैं।
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